एनएल टिप्पणी: कंगना की खनक और अर्णब की सनक

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

ByAtul Chaurasia
   bookmark_add
एनएल टिप्पणी: कंगना की खनक और अर्णब की सनक
  • whatsapp
  • copy

टिप्पणी में एक बार फिर से धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी हो रही है. इस बार बातचीत का दायरा डंकापति की बजाय कंगना रनौत पर केंद्रित रहा.

संजय ने धृतराष्ट्र से कहा महाराज थोड़ा कहूंगा, ज्यादा समझना. ब्रह्मांड के लगभग हर फटे में कंगना की टांग फंसी हुई है. नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है और नया-नया राष्ट्रवादी अयोध्या चला जाता है. ऐसा लगता है कि इन दिनों समूचा जम्बुद्वीप सर्कस में तब्दील हो चुका है. महाराज भी फुरसत में थे क्योंकि राजसभा का मानसून सत्र स्थगित चल रहा था. सो उन्होंने संजय से पूरी घटना विस्तार में सुनाने की आज्ञा दी.

कंगना से महाराज फारिग हुए तो उन्हें तत्काल डंकापति की याद आई. संजय ने उसकी भी ख़बर दी. और ख़बर ऐसी की धृतराष्ट्र के पैरों तले ज़मीन खिसक गई. खबर थी डंकापति के पिछले जन्म की. धृतराष्ट्र हैरानी और प्रश्नवाचक दोनो भाव मिलाकर बोले- क्या मुसलमानों का भी पुनर्जन्म होता है? संजय ने कहा- कभी सुना तो नहीं महाराज.

तो क्या-क्या हुआ दरबार में? जानने के लिए इस बार की टिप्पणी देखें और साथ में मीडिया के अंडरवर्ल्ड की कही-अनकही बातें.

subscription-appeal-image

Press Freedom Fund

Democracy isn't possible without a free press. And the press is unlikely to be free without reportage on the media.As India slides down democratic indicators, we have set up a Press Freedom Fund to examine the media's health and its challenges.
Contribute now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like