पानीपत में काम की तलाश में गए युवक के साथ हुई घटना. पानीपत पुलिस का रवैया लापरवाह.
शुक्रवार, 11 सितम्बर को न्यूजलॉन्ड्री की टीम दोपहर करीब 3 बजे सहारनपुर जिले के ननौता कस्बे में पहुंची. वहां हमरी मुलाकात इखलाक सलमानी से उनके औसत से घर में हुई. इखलाक़ चारपाई पर लेटे हुए थे. लकड़ी के सहारे एक टूटी फूटी सी टीन डाली हुई थी, जिसमें बिजली या पंखे का कोई साधन नहीं था, उसी के नीचे घायल इखलाक को लिटाया हुआ था. उनके बड़े भाई इकबाल हाथ के पंखे से उन्हें हवा कर रहे थे.
चरपाई पर लेटे हुए इखलाक बार-बार शरीर पर लगी चोटों और कोहनी से थोड़ा नीचे कटे दाहिने हाथ में हो रहे दर्द से कराहने लगते थे. इखलाक के सारे शरीर पर चोट के निशान थे. वो उठने बैठने की स्थिति में भी नहीं थे. माथे पर एक गहरा घाव था. उनके भाइयों ने बताया कि सीमेंट की ईंट से इसके सिर पर वार किया गया है. उन्होंने हमें घटनास्थल से मिली ईंट का फोटो भी दिखाया जो उन्होंने संभाल कर रख लिया है. चोट के कारण इकराम करवट भी नहीं ले पा रहे थे. उनके भाई उसे करवट दिलवाते और लेटे-लेटे पानी पिला रहे थे.
परिवार के लोगों के मुताबिक, 23 अगस्त को इखलाक काम की तलाश में पानीपत गया था. वहां कुछ लोगों ने मुस्लिम होने के कारण उसके साथ मारपीट की और उसके हाथ पर 786 गुदा हुआ देखकर उसका हाथ काट दिया. इसके बाद उसे मरा समझ कर हमलावर रेलवे लाइन पर फेंक कर चले गए.
घटना के बाद से ही आस-पड़ोस के लोगों का घर आना-जाना लगा हुआ था. जिसके लिए वहां 4-6 कुर्सियां रखी हुई थीं. स्थानीय सांसद फजलुर्रहमान सहित जिले के अन्य नेता भी इखलाक का हाल-चाल लेने आए थे. घर की माली हालत खराब होने के बावजूद किसी से भी कोई फौरी मदद अभी तक नहीं मिली है.
घटना की शुरुआत
इखलाक के बड़े भाई इकराम सलमानी ने हमें विस्तार से घटना के बारे में जानकारी दी,“हम यहीं ननौता में हेयर ड्रेसर का काम करते हैं. कोरोना और लॉकडाउन के कारण हमारे काम पर बहुत बुरा असर हुआ है. इस कारण काम बंद होने से मेरा छोटा भाई इखलाक सलमानी काम की तलाश में हरियाणा के पानीपत गया था. जहां किशनपुरा इलाके में एक पार्क में ये आराम कर रहा था. इसी दौरान दो अधेड़ उम्र के व्यक्ति वहां पहुंचे. उन्होंने शराब पी रखी थी. उन्होंने आकर इसका नाम पूछा और सीधे हाथ पर ‘786’ गुदा हुआ देखकर उसके साथ मारपीट करने लगे. मुसलमान होना तो अब गुनाह हो गया है.”
इकराम बताते हैं, “इखलाक ने उन्हें बताया था कि इसके बाद जब उसे प्यास लगी तो उसने रात में पास ही स्थित एक घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वह घर उन्हीं लोगों का था जिन्होंने उसके साथ मारपीट की थी. इसके बाद वे उसे अंदर ले गए और 2 महिलाओं सहित लगभग 6-7 लोगों ने उसके साथ जमकर मारपीट की और उसके 786 वाले दाहिने हाथ को आरा मशीन से काट दिया और पास ही स्थित रेलवे लाइन पर मरा हुआ समझ कर फेंक दिया. पूरी रात बेहोश रहने के बाद सुबह इसे जब कुछ होश आया तो इसने घर फोन किया. तब मैंने पानीपत में अपने संबंधियों को घटना के बारे में बताया. वो लोग इसे पहले पानीपत के सरकारी अस्पताल ले गए फिर वहां से रोहतक मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया.”
इकराम और परिजनों ने इस घटना में पुलिस की मिलीभगत के साथ ही इलाज में लापरवाही का आरोप भी लगाया है.जिस कारण इसे देखने में भी परेशानी हो रही है.
इकराम का कहना है,“आरोपी दबंग किस्म के लोग हैं और पुलिस से मिले हुए हैं. इसके कारण पुलिस ने हल्की धाराओं में 15 दिन के बाद केस दर्ज किया है. लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. हमें इंसाफ चाहिए.”
वहीं पानीपत पुलिस का कहना है कि डॉक्टर द्वारा पीड़ित के अनफिट फॉर स्टेटमेंट घोषित करने के कारण उसे मामला दर्ज करने में 15 दिन लग गए.
दूसरी ओर जिन पर मारपीट का आरोप है उन्होंने इखलाक पर बच्चा चोरी करने और उसके साथ कुकर्म करने के प्रयास का आरोप लगाकर 7 अगस्त को यानि जिस दिन इखलाक के बयान और उनकी एफआईआर हुई उसी दिन, (15 दिन बाद) पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कराई है.
यहां आरोपियों और पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़ा होता है. अगर इखलाक ने कुकर्म और बच्चा चोरी का प्रयास किया था तो रणवीर सैनी ने इसकी एफआईआर 15 दिन बाद क्यों दर्ज करवाई. इससे भी अहम बात, इखलाक की एफआईआर दर्ज होने के बाद उनकी एफआईआर क्यों दर्ज हुई. क्या पुलिस और रणवीर सैनी काउंटर एफआईआर के जरिए इस मामले में लीपापोती कर रहे हैं?
क्या हुआ था?
न्यूजलॉन्ड्री की टीम ने पानीपत में घटनास्थल पर जाकर पूरे घटनाक्रम की पड़ताल की.घायल इखलाक के बड़े भाई इकराम ने हमें अपना ख्याल रखने की हिदायत के साथ एक लड़के को हमारे साथ भेजा जिसने हमें आरोपियों का घर दूर से ही दिखाया. ये इखलाक के ममेरे भाई नदीम थे जो घायल इखलाक को उठाकर वहां से ले गए थे और अस्पताल में भी उसके साथ रहे थे.
नदीमने हमें घटनास्थल दिखाया. उन्होंने हमेंवह रेलवे ट्रैक भी दिखाया जहां इखलाक पड़े हुए थे. नदीम घटना वाले दिन को याद कर बताते हैं,“सुबह जब हमें इस घटना का पता चला तो हम एक पुलिस वाले को लेकर यहां आए. इखलाक नंगे हालत में यहां पड़ा हुआ था. किसी औरत ने अपना दुपट्टा इस पर डाल दिया था.”
“इसके बाद हम जीआरपी की मदद से इसे पास ही स्थित पानीपत के अस्पताल ले गए जहां से इसे रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया. वहां इसके इलाज में घोर लापरवाही बरती गई. मैं दो दिन इसके साथ रहा. कोई केयर नहीं थी. जब एक दिन डॉक्टर से पूछा कि इस ‘कटे हाथ का ऑपरेशन’ कब करोगे तो उन्होंने कहा, ‘जब ठीक हो जाएगा,” नदीम ने बताया.
नदीम सवालिया अंदाज में कहते हैं, “ये लोग कह रहे हैं कि ये बच्चा चोरी करने आया था. अगर मान भी लें कि चोरी करने आया था तो आप उसे पकड़कर पुलिस को देते. खुद कानून तो हाथ में नहीं ले सकते ना. लेकिन पुलिस ने भी उनसे यह सवाल नहीं पूछा.”
नदीम ने घटनास्थल से बामुश्किल 100 मीटर दूर वह घर भी दिखाया जिनके ऊपर इखलाक का हाथ काटने का आरोप है. नदीम ने कहा कि वहां आस-पास के लोगों में एकता है. कोई भी इस बारे में कुछ नहीं बता रहा है. हालांकि एक औरत ने चुपचाप बताया कि उसने 5-6 लोगों को इसके साथ मारपीट करते देखा था.
हमने उस मोहल्ले में जाकर अपने स्तर पर घटना की जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की. लेकिन आस-पास के लोगों ने कोई बी जानकारी देने से मना कर दिया. वो मीडिया पर एकतरफा रिपोर्टिंग करने का आरोप लगा रहे थे. हमने दो 2 दुकानदारों से आरोपियों के घर का पता जानना चाहा तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया. आखिरकार एक दुकानदार ने बताया कि आप रणधीर सैनी का घर पूछ लीजिए. वहां जब हम पहुंचे तोघर के बाहर कुछ लोग बैठे हुए थे और वहां 5-6 भैंसे बंधी थीं.
एक ने चारा मशीन की तरफ इशारा कर कहा, “क्या इससे हम उसका हाथ काट सकते थे?” इसके बाद रणधीर ने उस घटना के बारे में बताया.
रणधीर के मुताबिक, “23 अगस्त को वह अपनी पत्नि और 7 वर्षीय भांजे के साथ डेरी में चारपाई पर सोए हुए थे. लगभग एक बजे जब हमारी आंख खुली तो देखा कि बच्चा गायब है और पार्क और रेलवे लाइन की ओर खुलने वाला गेट खुला हुआ है. जब हमने उसकी तलाश शुरू कीतो वह पार्क में इखलाक के पास नग्न अवस्था में मिला. उसके होंठ सूजे हुए थे और इखलाक के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी. गुस्से में हमने उसे थोड़ा बहुत मारा जरूर लेकिन उसके बाद वह छूटकर भाग गया. अब उसका हाथ कहां और कैसे कटा हमें नहीं पता.”
हालांकि जब हमने बच्चे से मिलने के लिए कहा तो रणधीर ने कहा, “वह अस्पताल गया है. हमने उसके खिलाफ किडनैपिंग और रेप के मामले में एफआईआर दर्ज करा दी है.”
इसके अलावा उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट और एफआईआर कॉपी दिखाने से भी इंकार कर दिया. बाद में कई बार हमने उनसे फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.
पुलिस का रवैया
इस पूरे मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर पीड़ित के परिजन शुरू से ही सवाल खड़ा कर रहे हैं. उनका आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है.
अपनी रिपोर्टिंग के दौरान हमने पाया कि इस मामले में पुलिस की भूमिका लापरवाही भरी है. घटनास्थल से बामुश्किल 200 मीटर की दूरी पर किशनपुरा पुलिस चौकी है, लेकिन पुलिस को इस घटना के बारे में कोई जानकारी तब तक नहीं थी जब तक पीड़ित के परिजनों ने उन्हें नहीं बताया. दूसरे जब हम इसके बारे में जानकारी लेने पहुंचे तो हमें सही जानकारी देने की बजाय इधर से उधर घुमाया जाता रहा.
किशनपुरा पुलिस चौकी में एसआई ओमप्रकाश से हमने इस बारे में जानकारी मांगी. उन्होंने हमसे कहा कि वह फाईल चांदनीबाग थाने में है आप वहां जाकर पता करो.
घटना वाले दिन के बारे में पूछने पर उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि जीआरपी ने उसे अस्पताल पहुंचाया था, वही आपको बताएंगे. जब हम जीआरपी थाने पहुंचे तो एसआई कृष्ण जो उस दिन घटनास्थल पर पहुंचे थे वे वहां मौजूद नहीं थे, किसी जांच के सिलसिले में बाहर थे.
हालांकि फोन पर उन्होंने हमें बताया कि रेलवे लाइन पर पड़े होने के नाते हमने उसे उठाकर अस्पताल पहुंचाया था. मारपीट और हाथ काटने को लेकर वे पूरे विश्वास के साथ कह रहे थे, “यह ट्रेन हादसा है. कोई किसी को मारे-पीटे और किसी को पता न चले ऐसे कैसे हो सकता है.”
हमारे ये पूछने पर कि उसके पूरे शरीर पर चोट कैसे लगी, इस सवाल का उनके पास कोई जवाब नहीं था. उन्होंने यही कहा कि रेल लाइन पर पड़ा था तो हमने उठाकर अस्पताल भेज दिया बाकि की जांच तो चांदनीबाग थाने में हो रही है, आप वहां पता करो. हमने 7 अगस्त को उसका बयान दर्ज कर जीरो एफआईआर दर्ज कर थाने में पहुंचा दिया है. इससे पहले डॉक्टर ने उसे अनफिट फॉर स्टेटमेंट बताया था.
यहां से हम सीधे चांदनी बाग थाने पहुंचे. एसएचओ अंकित नंदाल वहां नहीं
थे. वहां मौजूद एक अन्य एसआई ने हमें बताया कि वे मीटिंग में गए हैं, बाकि इस मामले कीजांच किशनपुरा पुलिस चौकी के एसआई ओमप्रकाश कर रहे हैं. आप उनसे पूछ सकते हैं.जबकि खुद एसआई ओमप्रकाश ने ही हमें चांदनी बाग थाने में जानकारी लेने को कहा था.कुल मिलाकर अधिकारी ‘जांच चल रही है’ कहकर पल्ला झाड़ रहे थे.
बाद में चांदनी बाग थाना एसएचओ अंकित नंदाल से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा, “इस मामले में रणधीर सैनी ने भी 7 अगस्त को ही एक एफआईआर (FIR no.518/2020)दर्ज कराई है जिसमें पॉक्सो एक्ट और सेक्सुअल उत्पीड़न का आरोप है.”
इसके बाद उन्होंने खुद को व्यस्त बताते हुए बाद में बात करने को कहा. हमने पानीपत की एसपी मनीषा चौधरी से मिलकर बात करने की कोशिश की लेकिन वह भी मौजूद नहीं थी. कई बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
घर का हाल
हमने ननौता में कुछ पड़ोसियों से भीइनकेबारे में पूछताछ की तो पता चला कि इनकी आर्थिक हालत काफी खराब है. 6 भाइयों में इखलाक अपने बड़े भाई इकराम के साथ ही हेयर ड्रेसर का काम करता था.
वहां हम इखलाक की मां से मिले तो उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. फोटो दिखाते हुए उन्होंने कहा, “मेरे बेटे की जिंदगी खराब हो गई.”
अन्य भाई इकबाल ने कहा, “बताओ अब क्या होगा.हाथ कटने से इसकी तो जिंदगी खराब हो गई.”
अगले दिन इखलाक के भाई इकराम ने हमें बताया,“हम रास्ते में हैं. रात से इसकी तबीयत बिगड़ गई है. आंखों से देखने में परेशानी हो रही है और हाथ में सेप्टिक बन रहा है जिस कारण बेहतर इलाज के लिए हम इसे चंड़ीगढ़ ले जा रहे हैं.”