अजय लांबा ने बताया कि लगातार जांच में असहयोग कर रहे आसाराम पर एक ट्रिक काम कर कर गई और उसने अपना सारा गुनाह कबूल कर लिया.
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू की जेलयात्रा पर आने वाली किताब ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन’ की रिलीज़ पर रोक लगा दिया है.यह किताब हार्पर कॉलिन्स इंडिया से आने वाली है.कोर्ट का यह फैसला आसाराम मामले में सह अभियुक्त संचिता गुप्ता की याचिका पर आया है.
यह किताब जोधपुर के तत्कालीन डीसीपी रहे अजयपाल लांबा और संजीव माथुर ने मिलकर लिखी है. अजय फिलहाल जयपुर के एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस, (लॉ एंड ऑर्डर) हैं. हमने अजय के साथ यह इंटरव्यू कुछ दिन पहले रिकॉर्ड किया था.उस वक्त तक किताब के प्रकाशन पर रोक नहीं लगी थी.
अजय ने इस किताब में विस्तार से आसाराम के खिलाफ साल 2013 में मिली पहली शिकायत और उसके बाद साल 2018 में हुई उनकी सज़ा तक, एक-एक पहलु को समेटा है. इस किताब में दर्ज आसाराम के कारनामें किसी सनसनीखेज फिल्मी प्लॉट की तरह हैं. गवाहों पर हमले, पुलिसवालों को धमकियां, गवाहों की हत्या, उनकी गुमशुदगी आदि तमाम हथकंडों के बीच यह किताब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक छोटे से मध्यवर्गीय परिवार के असाधारण साहस की कहानी हमारे सामने रखती है.
आसाराम का पूरा व्यक्तित्वशुरू से ही बेहद विवादित, आपराधिक कृत्यों से भरा हुआ और असमाजिक रहा. इसके बावजूद ऐसा व्यक्ति किस तरह से एक ताकतवर संत के रूप में स्थापित हुआ वह एक अलग कहानी है. भारत में आम जनता की आस्था का दोहन करना कितना आसान है, आसाराम जैसे धंधेबाज और आपराधिक चरित्रों की कहानी हमें यह बात बार-बार याद दिलाती है. यह धर्म से जुड़े उसके कोमल, सात्वित, नैतिक विचारों के विपरीत उसके स्याह पक्ष की कहानी सामने लाता है जिसमें आसाराम जैसा बलात्कारी, कुकर्मी न सिर्फ सारे ऐशो-आराम भोगता है बल्कि तमाम अनैतिकताओं और बेइमानियों में लिप्त होने के बावजूद खुद को एक ऊंचे पायदान पर रखकर दूसरों को हर दिन सत्य, प्रेम, नैतिकता का प्रवचन देता है.
यह किताब जोधपुर और राजस्थान पुलिस के नजरिए से भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. पुलिसिया अंदाज और कार्रवाइयों की पूर्वधारणा वाले समाज के सामने यह किताब पुलिस प्रशासन, उसकी कार्यशैली, उसकी चुनौतियों, उसकी समस्याओं का एक नया संसार खोलती है. एक केस किस तरह से अलग-अलग पुलिस वालों से उनकी सामाजिक, निजी और पारिवारिक जिंदगी से अलग-अलग कीमतें वसूलती है, उसे समझने में यह किताब मददगार है.
और इन तमाम बातों से ऊपर यह किताब एक बेहिसाब ताकतवर आदमी को मिट्टी में मिला देने वाली एक साधारण सी बच्ची की असाधारण कहानी का दस्तावेज है जिसे जरूर पढ़ा जाना चाहिए. जब भी अदालत इस पर लगी रोक हटाती है, इसे जरूर पढ़ें.
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Contributeदिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू की जेलयात्रा पर आने वाली किताब ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन’ की रिलीज़ पर रोक लगा दिया है.यह किताब हार्पर कॉलिन्स इंडिया से आने वाली है.कोर्ट का यह फैसला आसाराम मामले में सह अभियुक्त संचिता गुप्ता की याचिका पर आया है.
यह किताब जोधपुर के तत्कालीन डीसीपी रहे अजयपाल लांबा और संजीव माथुर ने मिलकर लिखी है. अजय फिलहाल जयपुर के एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस, (लॉ एंड ऑर्डर) हैं. हमने अजय के साथ यह इंटरव्यू कुछ दिन पहले रिकॉर्ड किया था.उस वक्त तक किताब के प्रकाशन पर रोक नहीं लगी थी.
अजय ने इस किताब में विस्तार से आसाराम के खिलाफ साल 2013 में मिली पहली शिकायत और उसके बाद साल 2018 में हुई उनकी सज़ा तक, एक-एक पहलु को समेटा है. इस किताब में दर्ज आसाराम के कारनामें किसी सनसनीखेज फिल्मी प्लॉट की तरह हैं. गवाहों पर हमले, पुलिसवालों को धमकियां, गवाहों की हत्या, उनकी गुमशुदगी आदि तमाम हथकंडों के बीच यह किताब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक छोटे से मध्यवर्गीय परिवार के असाधारण साहस की कहानी हमारे सामने रखती है.
आसाराम का पूरा व्यक्तित्वशुरू से ही बेहद विवादित, आपराधिक कृत्यों से भरा हुआ और असमाजिक रहा. इसके बावजूद ऐसा व्यक्ति किस तरह से एक ताकतवर संत के रूप में स्थापित हुआ वह एक अलग कहानी है. भारत में आम जनता की आस्था का दोहन करना कितना आसान है, आसाराम जैसे धंधेबाज और आपराधिक चरित्रों की कहानी हमें यह बात बार-बार याद दिलाती है. यह धर्म से जुड़े उसके कोमल, सात्वित, नैतिक विचारों के विपरीत उसके स्याह पक्ष की कहानी सामने लाता है जिसमें आसाराम जैसा बलात्कारी, कुकर्मी न सिर्फ सारे ऐशो-आराम भोगता है बल्कि तमाम अनैतिकताओं और बेइमानियों में लिप्त होने के बावजूद खुद को एक ऊंचे पायदान पर रखकर दूसरों को हर दिन सत्य, प्रेम, नैतिकता का प्रवचन देता है.
यह किताब जोधपुर और राजस्थान पुलिस के नजरिए से भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. पुलिसिया अंदाज और कार्रवाइयों की पूर्वधारणा वाले समाज के सामने यह किताब पुलिस प्रशासन, उसकी कार्यशैली, उसकी चुनौतियों, उसकी समस्याओं का एक नया संसार खोलती है. एक केस किस तरह से अलग-अलग पुलिस वालों से उनकी सामाजिक, निजी और पारिवारिक जिंदगी से अलग-अलग कीमतें वसूलती है, उसे समझने में यह किताब मददगार है.
और इन तमाम बातों से ऊपर यह किताब एक बेहिसाब ताकतवर आदमी को मिट्टी में मिला देने वाली एक साधारण सी बच्ची की असाधारण कहानी का दस्तावेज है जिसे जरूर पढ़ा जाना चाहिए. जब भी अदालत इस पर लगी रोक हटाती है, इसे जरूर पढ़ें.
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