प्रशांत भूषण: “सीजेआई सरकार को खुश करने के लिए ऐसे फैसले कर रहे हैं”

सुप्रीम कोर्ट में पैदा हुए असाधारण संकट पर इस मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से बातचीत.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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सुप्रीम कोर्ट में एक असाधारण परिस्थिति बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक लिहाज से उनके प्रति अविश्वास प्रस्ताव जारी कर दिया है. चारों जजों का जो आरोप है उसके मुताबिक मुख्य न्यायाधीश, जो कि मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, वे अपने अधिकारों का मनमाना इस्तेमाल करते हुए संवेदनशील, महत्वपूर्ण और राजनीतिक रूप से अहम मामलों को अपने चहेते, अपेक्षाकृत जूनियर जजों की बेंच को सौंप रहे हैं. हालांकि चारों जजों ने किसी विशेष मामले का जिक्र नहीं किया लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जजों का इशारा सोहराबुद्दीन हत्याकांड में जज रहे जस्टिस बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले की तरफ था. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज की कथित संलिप्तता भी इस विवाद की जड़ में है.

सुप्रीम कोर्ट के भीतर कशमकश की शुरुआत लगभग दो महीने पहले हो गई थी. मामला लखनऊ के प्रसाद मेडिकल कॉलेज की मान्यता से जुड़ा था. इस मामले में एक पूर्व जज की गिरफ्तारी हो चुकी है और सीबीआई द्वारा मुहैया सबूत इशारा करते हैं कि इस घूसखोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के कोई वरिष्ठ जज भी शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल थे. वे अतीत में इस मामले से जुड़े रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इस तथ्य को उजागर करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मांग की कि वे स्वयं ही इस मामले की सुनवाई से अलग हो जाएं क्योंकि उनके हित इस केस में विरोधाभासी हैं. जस्टिस दीपक मिश्रा ने ऐसा करने से इनकार करते हुए खुद की बेंच में इसकी सुनवाई करने की बात कही. वहां से यह विवाद खड़ा हुआ.

माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा संकट में जुडीश्यरी का एक बड़ा लिबरल, प्रोग्रेसिव तबका, बार एसोसिएशन के लोग, जिनमें प्रशांत भूषण भी शामिल हैं, और कुछ वरिष्ठ जज एक तरफ हैं जबकि मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी जज दूसरे पाले में खड़े हैं.

फिलहाल इस संकट में दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं. प्रशांत भूषण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक बार फिर से मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ चार आरोपों की एक शिकायत सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों को सौंपी है. इसमें मुख्य न्यायाधीश शामिल नहीं हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले से जुड़ी तमाम जटिलताओं और इसके भावी नतीजों पर प्रशांत भूषण से विस्तार से बातचीत की.

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