यूपी का रावणराज और सुशांत सिंह की आत्मा से ख़बरिया चैनलों का सीधा संपर्क

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   
  • Share this article on whatsapp

इस हफ्ते हम आपके लिए लेकर आए हैं एक अज़ीमोशान सिनेमा जिसका नाम है यूपी का रावणराज. आप कहेंगे कि बात तो रामराज की हुई थी, ये रावणराज कहां से आ गया. रामराज किसके लिए था, रावणराज किसके लिए यह भी समझ लीजिए.

काजू भुने हैं प्लेट में,

व्हिस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में

आजादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह

जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में

यानि रामराज का वादा उनके लिए था, जो विधायक निवास में रहते हैं, हम जिस रावणराज की बात कर रहे हैं वह फुटपाथ वालों के लिए है. उत्तर प्रदेश की जनता इसी रावणराज से मुब्तिला है. कभी गाजियाबाद, कभी अमेठी, कभी इटावा तो कभी लखनऊ से बीते हफ्ते रोजाना हत्या, दबंगई, लूटपाट की खबरें आती रहीं. हमने उत्तर प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था का एक सिनेमा आपके सामने रखा है.

रावणराज का सिनेमा लंबा खिंचे उससे पहले आपको अंतिम दृश्य दिखाकर पटाक्षेप करता हूं. दो साल की देरी से 2019 में जारी हुआ राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो का आंकड़ा यूपी के रावणराज पर एक हल्की सी रोशनी डालता है. सूबे में साल 2017-18 के बीच 4,324 हत्याएं हुईं. यह देश के सभी सूबों में सबसे अधिक है.

यूपी के रावणराज के अलावा असम की बाढ़ पर खबरिया चैनलों का रवैया और अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर एंकर-एंकराओं का प्रहसन इस हफ्ते की टिप्पणी में विशेष.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article imageएनएल चर्चा 126: असम, बिहार में बाढ़ और यूपी की बदहाल कानून व्यवस्था
article imageयोगी आदित्यनाथ और खाकीवर्दी की धुन पर नाच रही है यूपी की व्यवस्था
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like