पतंजलि और रामदेव से अपने कारोबारी रिश्ते पर रजत शर्मा को स्पष्टीकरण देना चाहिए

बीते साल दिवालिया हो गई रुचि सोया को पतंजलि ने खरीदा और उसमें इंडिया टीवी के रजत शर्मा की भूमिका.

WrittenBy:अयान शर्मा
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हाल ही में बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा (कोरोनिल) बनाने का दावा किया. दावा किए जाने के कुछ देर बाद ही इस पर सवाल उठने लगे. मीडिया का एक तबका बाबा रामदेव और पतंजलि की इस दवाई की तारीफ में बिछ गया. भारतीय मीडिया ने बाबा रामदेव के कोविड क्योर नामक दवा को बढ़चढ़कर बताया. हालांकि सोशल मीडिया पर और कुछ बुद्धिजीवियों के विरोध के बाद तुरंत ही इस बात से किनारा कर लिया गया, और बताया गया कि यह कोविड किट एक दवाई है जिसे इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बेचा जाएगा.

रजत शर्मा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. “स्वामी रामदेव ने आयुर्वेद में कोरोना का इलाज ढूंढ़ा. क्या बुरा किया?अच्छा हुआ कि आयुष मंत्रालय ने सहमति दे दी. इसे दवाई कहो या इम्युनिटी बूस्टर क्या फर्क पड़ता है.” इंडिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा ने ट्विटर पर यह राय जाहिर की, जब पतंजलि अपने दावे से पीछे हट चुका था. शर्मा के मुताबिक रामदेव ने कोई गड़बड़ी नहीं की है.

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इस चमत्कारिक दवा (कोरोनिल किट) में दिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य स्वासारी और दिव्य अणु तेल को शामिल किया गया है. मालूम हो कि 23 जून को इस दवा को न्यूज एंकरों ने करिश्माई इलाज बता दिया था. उन्होंने रामदेव की हां में हां मिलते हुए बाताया कि यह मात्र 545 रुपये में मिलेगी. टीवी न्यूज एंकरों ने तब तक इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रचार बंद नहीं किया जब तक कि आयुष मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह दवा अधिकृत नहीं है. मंत्रालय ने पतंजलि को यह आदेश दिया कि इसकी मार्केटिंग बद करें. पतंजलि को उत्तराखंड सरकार ने कोविड क्योर से जुड़ी किसी भी दवा को लाइसेंस नहीं दिया.

वहीं शोधकर्ता ने खुद ही दवा की गुणवत्ता के ऊपर सवाल उठाते हुए अपने को इससे अलग कर लिया.एक सप्ताह बाद, एक जुलाई को आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को एक इम्यूनिटी बूस्टर दवा के रूप में बेचने की इजाजत दे दी. इसके तुरंत बाद रजत शर्मा टीवी पर दोबारा आए और अपने प्रोग्राम ‘आज की बात’ में रामदेव की प्रशंसा में पुल बांध दिए. इसके अलावा रामदेव ने पतंजलि के हरिद्वार मुख्यालय में दिए गए अपने 35 मिनट के इंटरव्यू में एलोपैथिक दवाइयों के बारे में नाराजगी प्रकट करते हुए अपने आलोचकों पर कड़ा प्रहार किया. यही नहीं इस दौरान इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने मुश्किल सवाल और विवादित कोरोनिल दवा के बारे में सवाल पूछने के बजाय रामदेव के उत्पादों को एक शोकेस के रूप में दिखाया.

इस पूरे इंटरव्यू से ऐसा लगता है कि पतंजलि का जो बिजनेस साम्राज्य है उसका प्रमोशन किया गया है. इस कार्यक्रम में रजत शर्मा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, "मैं यह कहना चाहता हूं कि इस दवा को बनाकर स्वामी रामदेव ने एक रास्ता दिखाया है और कोई अपराध नहीं किया है, उन्होंने किसी को लूटा नहीं है. उन्होंने गहन शोध के बाद लोगों की मदद करने की कोशिश की है. हालांकि यह समय ही बताएगा कि यह दवा कितनी प्रभावशाली है लेकिन रामदेव के बारे में सवाल उठाना बिल्कुल भी ठीक नहीं है."जबकि रजत शर्मा हमें यह भरोसा देना चाहते हैं कि उनके दिल में पतंजलि और रामदेव के प्रति जो प्यार है वह आयुर्वेद पर गर्व के कारण है. क्या यह सच है?

बीते दिसंबर महीने से शर्मा, रामदेव और पतंजलि के बीच जो खिचड़ी पक रही है उससे कुछ संकेत मिल जाते हैं. पिछले वर्ष 18 दिसंबर को पतंजलि ने एक दिवालिया खाद्य कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज को 4,350 करोड़ रुपये में खरीद लिया और अगले ही दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि उन्होंने रुचि सोया के निदेशक मंडल का पुनर्गठन किया है. इसका नया बोर्ड भी तुरंत ही बना दिया गया. इसके 6 मे से 3 स्वतंत्र डायरेक्टर थे. खास बात यह है कि इनमें एक नाम रजत शर्मा का भी था. वहीं इसकी पांच कमेटियों में से तीन में रजत शर्मा को सदस्य भी बनाया गया. जिसमें स्टेट होल्डर रिलेशनशिप कमेटी, नॉमिनेशन कमेटी और वेतन कमेटी थी.

इस बोर्ड में पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण को रुचि सोया का नया चेयरमैन तथा रामदेव को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया. बॉम्बे एक्सचेंज की वेबसाइट के अनुसार बोर्ड की अब तक पांच मीटिंग हो चुकी हैं. इसकी अंतिम मीटिंग 27 मार्च को हुई थी. इसका अर्थ यह है कि रजत शर्मा के रुचि सोया से गहरे कारोबारी रिश्ते हैं यानि इसके सिरे पतंजलि से भी जुड़ते हैं. पारदर्शिता के लिहाज से भी इंडिया टीवी और रजत शर्मा का यह कदम गलत है कि वो पतंजलि के उत्पादों का प्रचार-प्रसार करे और अपने प्रधान संपादक का उस कंपनी से रिश्ते पर स्पष्टीकरण तक न दे.

बात सिर्फ कोरोनिल तक सीमित नहीं है. पिछले तीन महीने से इंडिया टीवी हर दिन सुबह 'कोरोना से जंग बाबा रामदेव के संग' नाम से एक शो दिखा रहा है. योगा के बहाने इस शो में रामदेव के उत्पादों को दिखाया जाता है. इस शो में रामदेव भी अपने व्यापार को बढ़ाने का कोई मौका नहीं चूकते हैं.

26 जून के शो में 17 मिनट के कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने दवा वाले कहकर एलोपैथिक ड्रग के ऊपर तीखे कटाक्ष किए। उन्होंने कहा कि यह लोगों को बेवकूफ बना ते हैं. यह ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायराइड की दवाइयां बेचने के नाम पर लोगों को लूट रहे हैं. यह महंगी दवाएं बेच रहे हैं, लेकिन कोरोनिल की वजह से उनका धन कमाने का सपना चकनाचूर हो गया है.

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शर्मा ने 29 जून के एपिसोड में सुपर फूड्स के बारे में बात करते हुए कहा कि यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है. इस दौरान शो में टीबी के मरीजों के लिए शर्मा ने अपनी कंपनी के उत्पाद दिखाए. एक जुलाई के एपिसोड में कोरोनिल किट के फायदे के बारे में बताया गया, लेकिन किसी भी एपिसोड में प्रधान संपादक से कंपनी के रिश्तों के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.

न्यूजलॉन्ड्री ने रजत शर्मा को रुचि सोया और इंडिया टीवी के बीच रिश्तों के बारे में एक मेल लिखकर कुछ सवाल पूछे हैं. हालांकि अभी तक मेल का कोई जवाब नहीं आया है. यदि कोई जवाब आता है तो इस स्टोरी में उसे जोड़ दिया जाएगा.

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बता दें कि रजत शर्मा 77 टीवी चैनलों के संगठन न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन (NBA) के अध्यक्ष भी हैं. एक बड़ी मीडिया बॉडी के अध्यक्ष होने के नाते उनकी यह ड्यूटी बनती है कि वे उन मानकों का पालन करें जिसकी जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. लेकिन उनका टीवी एनबीए के मूलभूल सिद्धांतों की ही धज्जियां उड़ा रहा है. एनबीए कहता है-“ब्रॉडकास्टर कोई भी ऐसी चीज ब्रॉ़डकास्ट नहीं करेगा जिसमें किसी का प्रमोशन होता हो या किसी एक का पक्ष लिया गया हो. खबरों का चयन कभी इस आधार पर नहीं किया जाएगा कि वे किसी समूह, विचारधारा या इच्छा को बढ़ावा देती हों.”

रजत शर्मा अपने मीडिया संस्थान का प्रयोग करते हुए रामदेव और पतंजलि के बारे में बिना कुछ बताए या अपने आप को अलग करते हुए इन मानकों की धज्जी उड़ा रहे हैं. रजत शर्मा अपने शो 'आप की अदालत' में नेताओं और सार्वजनिक जीवन में रहने वालों की जवाबदेही तय करने का दावा करते हैं. लेकिन पारदर्शिता और जवाबदेही के उन्हीं मानकों को वो अपने या अपने चैनल पर लागू नहीं करते. इंडिया टीवी काफी बड़े दर्शक वर्ग को अपनी तरफ खींचता है इसलिए अगर वह किसी कंपनी या उत्पाद का विज्ञापन करता है तो पहले उसे अपने प्रधान संपादक के साथ उस उत्पाद या कंपनी के रिश्तों का खुलासा करना चाहिए. यह बहुत जरूरी है.

अपडेट: जुलाई 7 को रजत शर्मा ने रूचि सोया कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया.

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