कोरोना पॉजिटिव तरुण सिसोदिया की मौत, हत्या और आत्महत्या की उलझन में फंसी.
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोविड-19 का इलाज करवा रहे दैनिक भास्कर के पत्रकार ने सोमवार की दोपहर कथित रूप से अस्पताल की चौथी मंज़िल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. उनकी मौत को संदेहास्पद बताते हुये बहुत से पत्रकारों ने इस हादसे की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है. अब तक की जानकारी के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स के निदेशक को एक आंतरिक जांच समिति का गठन करने और 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
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Contributeन्यूज़लॉन्ड्री ने तरुण की मृत्यु के बारे में एम्स के जनसम्पर्क अधिकारी बीएन आचार्य से बात की. उन्होंने छूटते ही कहा, "इस मामले को लेकर हमने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है. वही हमारा आधिकारिक बयान है.”
प्रेस विज्ञप्ति में एम्स ने लिखा है- “तरुण स्थिति भ्रान्ति का शिकार हो गए थे जिसके चलते न्यूरोलॉजिस्ट और एक मनोचिकित्सक उनका इलाज कर रहे थे. उनको इस सम्बन्ध में दवाइयां भी दी गयी थीं. 6 जुलाई की दोपहर, तकरीबन 1:55 बजे तरुण पहली मंजिल पर स्तिथ आईसीयू वार्ड से भाग गए. अस्पताल के कर्मचारी भी उनके पीछे उन्हें रोकने के लिए भागे थे. तरुण चौथी मंज़िल पर पहुंच गए थे. उन्होंने एक खिड़की का शीशा तोड़ा और वहां से नीचे कूद गए. ज़ख़्मी हालत में उन्हें तुरंत ट्रामा सेंटर के आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन गंभीर चोटें लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी.”
हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की हेल्थ बीट पर काम करने वाले युवा पत्रकार तरुण सिसोदिया को 24 जून को करोना वायरस से संक्रमित होने के चलते दिल्ली के एम्स में दाखिल किया गया था. छह जुलाई की शाम उन्होंने अस्पताल की चौथी मंजिल से कथित तौर पर कूद कर आत्महत्या कर ली. उनकी मौत पर बहुत से पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सवाल खड़ा किया है और उनकी मौत को संदेहास्पद बताया है. एक व्हाट्सऍप ग्रुप के स्क्रीनशॉट्स भी साझा किये जा रहे हैं जिसमें तरुण अपनी जान खतरे में होने की बात कह रहे हैं.
तरुण के भाई दीपक सिसोदिया ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, "तरुण की मौत अस्पताल की लापरवाही के चलते हुए है. वो आईसीयू में भर्ती था. आईसीयू एम्स की पहली मंजिल पर है. वह आईसीयू से निकलकर चौथी मंजिल पर कैसे पहुंचा, यह बात समझ से परे हैं. दो-तीन दिन पहले तरुण ने मुझसे कहा था कि अस्पताल में उसका इलाज ठीक तरह से नहीं हो रहा है और वह कहा रहा था कि हम उसे वहां से निकाल ले. जब इस बात की शिकायत हमने डॉक्टरों से की तो उनका कहना था कि तरुण ऐसा इसलिए कह रहा है क्योंकि वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती होने के चलते मानसिक रूप से परेशान हैं.”
दीपक की बात ध्यान देने लायक है. कोविड का मरीज बहुत कड़ी सुरक्षा में रहता है. पूरे कोविड वार्ड पर कड़ी निगरानी रखी जाती है क्योंकि यह एक महामारी फैलाने वाला रोग है और साथ ही बेहद संक्रामक है. इसके बावजूद तरुण पहली मंजिल की आईसीयू से चौथी मंजिल तक कैसे पहुंचा?
तरुण के एक करीबी दोस्त ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, "तरुण को पहले आईसीयू में भर्ती किया गया था,उसके बाद उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. कुछ दिन बाद उसे फिर से आईसीयू में दाखिल कर दिया गया. तरुण ने लगभग तीन-चार व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी जान को खतरा होने की बात लिखी थी.उनकी मौत के बाद यह पूरा मामला संदेहास्पद हो गया है.”
गौरतलब है कि मार्च महीने में जीबी पंत अस्पताल में तरुण का ब्रेन ट्यूमर का भी इलाज हुआ था.
उनके दोस्त आगे कहते हैं, "तकरीबन डेढ़ महीने पहले तरुण ने मुझे फ़ोन करके नौकरियों के बारे में पूछा था.उसने मुझसे कहा था कि उसे डर है कि दिल्ली का दैनिक भास्कर एडिशन बंद हो सकता है और उनकी नौकरी जा सकती है.उसे नौकरी जाने का डर था. लेकिन खुशकिस्मती से उनकी नौकरी नहीं गयी. उनके संस्थान ने उन्हें दिल्ली के बजाय नोएडा से काम करने के लिए कहा था."
दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक नवनीत गुर्जर से न्यूज़लॉन्ड्री ने बात की. गुर्जर कहते हैं, "तरुण हमारे अखबार का स्थायी कर्मचारी था और उसे नौकरी से नहीं हटाया गया था. वो हमारे रिपोर्टर था और हम उनके परिवार को अखबार के नियमों ने अनुसार आर्थिक मदद भी मुहैय्या कराएंगे.”
इस बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार है.
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