महामारी की दलदल में दुनिया की अर्थव्यवस्था

कोराना वायरस के असर से वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर 2 प्रतिशत तक कम हो जाएगी.

WrittenBy:डाउन टू अर्थ
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

नोवेल कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) अप्रैल 2020 तक पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन गई. मार्च के मध्य तक इसने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले लिया और दुनिया को अभूतपूर्व संकट में धकेल दिया. 28 मई 2020 तक दुनिया भर के 188 देशों में 57 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो गए.दुनिया भर में 3.56 लाख लोग इसकी चपेट में आकर मारे गए.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
imageby :

वैश्वीकृत दुनिया में यह महामारी व्यापार के लिए एक से दूसरी जगह में जाने वाले लोगों के माध्यम से फैली है. यह 1919-20 में विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों के माध्यम से फैले स्पेनिश फ्लू महामारी से भिन्न है. इस महामारी ने स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में डाल दिया है. इतिहास में पहली बार सबकी गतिशीलता पर अंकुश लगा है.

imageby :

सेंटर फॉर इकॉनोमिक पॉलिसी रिसर्च के अर्थशास्त्रियों के समूह का अनुमान है कि विश्व के दो तिहाई देशों का उत्पादन और आमदनी कंटेनमेंट नीतियों से जुड़ी है. इंटरनेशनल माइग्रेशन ऑर्गनाइजेशन ने महामारी को गतिशीलता का संकट बताया है जो अप्रत्याशित स्वरूप का है. आधुनिक अर्थव्यवस्था में हर व्यक्ति का किसी न किसी जगह आर्थिक हित या निवेश है. गतिशीलता के बिना इस अर्थव्यवस्था की सांसें रूक जाएंगी. संक्रमण रोकने के लिए महामारी के कर्व को फ्लैट करना या इसके फैलाव की दर को कम करना हर देश का मकसद बन गया है.

imageby :

देश लंबे समय तक लॉकडाउन लागू कर रहे है. व्यापक पाबंदियों को लागू कर जितनी तेजी से हम कर्व को फ्लैट करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, अर्थव्यवस्था भी उतनी ही तेजी से पंगु बनती जाएगी. वायरस को फैलने से रोकने के लिए हमें आर्थिक ठहराव का भी जोखिम उठाना होगा.

imageby :

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का अनुमान है कि 2.5 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे और कामगारों को 3.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा. आईएलओ का कहना हैं कि यह अनुमान कम से कम है. यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम का अनुमान है कि केवल विकासशील देशों में आय का नुकसान 220 बिलियन डॉलर तक हो सकता है. अनुमान के मुताबिक, 55 प्रतिशत वैश्विक आबादी सामाजिक सुऱक्षा से वंचित है.

imageby :

आर्थिक नुकसान इसे और बढ़ा सकता है. गतिशीलता में अंकुश लगने से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई संभव नही है यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट के अनुसार, 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर दो प्रतिशत घट सकती है. इसका मतलब है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा. इंटरनेशल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूटके अनुसार, विश्व में आर्थिक गतिविधियों का एक प्रतिशत कम होने का मतलब है गरीबी का दो प्रतिशत बढ़ जाना. विश्व बैंक का अनुमान है कि स्वास्थ्य पर अप्रत्याशित खर्च बढ़ने से 10 करोड़ लोग भीषण गरीबी की दलदल में पहुंच जाएंगे.

imageby :
imageby :
Also see
article imageपृथ्वी दिवस: क्या यह महामारी किसी शहर की परिकल्पना को बदल सकती है?
article imageपर्यावरण का सच: अभी नहीं तो कभी नहीं
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like