अब टीवी-9 भारतवर्ष में कोरोना का विस्फोट, प्रबंधन की ओर से धमकी और लापरवाही

8 कोरोना पाज़िटिव मिलने के बावजूद टीआरपी के लालच में कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में डाल, उन्हें दफ्तर से काम करने के लिए किया जा रहा मजबूर.

WrittenBy:बसंत कुमार
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शुक्रवार, 29 मई को फिल्मसिटी, नोएडा स्थित टीवी-9 भारतवर्ष के दफ्तर में टीआरपी आने के बाद रिव्यू मीटिंग चल रही थी. कर्मचारियों की चिंता दूसरी थी, प्रबंधन की दूसरी. अब तक पुष्ट खबरों के मुताबिक टीवी-9 भारतवर्ष के 8 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. इनमें चैनल की एक महिला एंकर भी हैं. कर्मचारियों ने मैनेजिंग एडिटर समेत तमाम एडिटरान और प्रबंधन से मांग की कि उनका टेस्ट कंपनी करवाए, तभी वे दफ्तर से काम कर पाएंगे. इस पर प्रबंधन और शीर्ष संपादकों ने जो जवाब दिया वह चौंकाने वाला है. प्रबंधन ने कहा कि टेस्ट कराने का मतलब है कि तीन दिन के लिए उस कर्मचारी को आइसोलेशन में भेज देना. ऐसे में चैनल का कामकाज रुक जाएगा. बड़ी मुश्किल से हम यहां तक (टीआरपी चार्ट में) पहुंचे हैं. इसलिए कंपनी किसी का भी टेस्ट नहीं करवाएगी. यह उसका काम नहीं है.

चैनल की एक एंकर गुरुवार को दो बुलेटिन करने के बाद तीसरे के लिए मेकअप करवाने जा रही थीं, तभी उनका फोन बजा. फोन पर बात करने के बाद वो सारा कामधाम छोड़कर सीधे घर के लिए निकल गईं. दरअसल उन्हें फोन पर सूचना मिली थी कि उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है.

गुरुवार को टीवी-9 में ‘ई कॉन्क्लेव’ था. इस ‘ई कॉन्क्लेव’ में कई बड़े नेता शामिल हुए. इस दौरान लगातार काम कर रहे एक सीनियर कर्मचारी का शाम को रिजल्ट आया तो सब हैरान थे. उनका रिजल्ट पॉजिटिव था. दिनभर वे ऑफिस में इधर से उधर भागकर काम कर रहे थे, तमाम लोगों से मिलते-जुलते रहे, शाम को पॉजिटिव पाए गए.

इसी दिन एक और कर्मचारी का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया. यानी एक दिन में तीन लोग. इसमें से दो लोग पूरे दिन ऑफिस में मौजूद थे. इस जानकारी के आते ही टीवी 9 भारतवर्ष के ऑफिस में पहले से बना डर का अंधेरा और गहरा हो गया.

एक कर्मचारी बताते हैं, ‘‘ऑफिस में आज ( गुरुवार को) ही तीन लोगों का कोरोना पॉजिटिव आया है. इससे पहले पांच लोगों का पॉजिटिव आ चुका है. यह सब बीते एक सप्ताह के भीतर हुआ है.’’

कर्मचारी आगे कहते हैं, ‘‘लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या के कारण यहां काम कर रहे तमाम कर्मचारी डरे हुए हैं. जब भी किसी का पॉजिटिव टेस्ट आता है, उसके आसपास के कुछ लोगों को क्वारंटाइन कर दिया जाता है. बाकी लोग काम करते रहते हैं. जो माहौल है उसे देखकर लग रहा है कि यहां ज़ी न्यूज़ दुहराया जाएगा. या शायद उससे आगे भी चले जाएं.’’

लापरवाही कर रहा प्रबंधन

हाल ही में ज़ी न्यूज़ में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर न्यूजलॉन्ड्री ने दो रिपोर्ट के जरिए बताया था कि कैसे संस्थान ने कर्मचारियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया. सरकारी नियमों को नजरअंदाज करते हुए कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया गया. कैब हो या ऑफिस के अंदर कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा गया. कर्मचारियों ने इसको लेकर कई बार शिकायत की लेकिन उनकी शिकायतों को नज़रअंदाज कर दिया गया. इसका नतीजा हुआ कि ज़ी न्यूज़ में अब 36 मामले सामने आ चुके है. ज़ी न्यूज़ की बिल्डिंग सील हो चुकी है.

नोएडा के फिल्म सिटी में ही स्थित टीवी-9 भारतवर्ष, जो कर रहा है वह ज़ी न्यूज़ से एक क़दम आगे की बात है. ज़ी न्यूज़ में 15 मई को एक कर्मचारी में कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई तो उसके बाद उनके संपर्क में आए लगभग 51 लोगों का टेस्ट द्वारा कराया गया. उसके बाद भी टेस्ट होने का सिलसिला जारी है, लेकिन टीवी-9 कंपनी ने टेस्ट करवाने से सीधा पल्ला झाड़ लिया है, जिसका जिक्र हमने ऊपर किया है. यानि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का सीधे-सीधे उल्लंघन किया जा रहा है.

वहां के एक कर्मचारी बताते हैं, ‘‘अब तक कोरोना के जितने टेस्ट हुए हैं, वो कर्मचारियों ने खुद से कराया है. प्रबंधन ने अब तक किसी का टेस्ट नहीं कराया है. एक दिन डॉक्टर्स आए थे तो कुछ लोगों का नॉर्मल थर्मल स्क्रीनिंग किया गया, उनके परिजनों का नाम आदि लेकर चले गए, दवा बताकर चले गए. अब प्रबंधन ने कहा है कि कर्मचारियों के टेस्ट की जिम्मेदारी उनकी नहीं है.’’

किसी भी शख्स में कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि होने के बाद उसके आसपास मौजूद रहने वाले तमाम लोगों को एहतियातन क्वारंटाइन किया जाता है और उनका टेस्ट कराया जाता है. चूंकि ऑफिस में 12 घंटे तक लोग साथ रहते हैं तो अगर ऑफिस में किसी का टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसके संपर्क में आए सभी लोगों का टेस्ट करना ज्यादा ज़रूरी हो जाता है. कर्मचारियों का आरोप है कि टीवी-9 में ऐसा नहीं हो रहा है.

एक महिला कर्मचारी बताती हैं, ‘‘पहले जिन पांच लोगों का कोरोना रिजल्ट पॉजिटिव आया उसमें एक शख्स वीओ करते हैं. उन्हें अपने में कुछ लक्षण नजर आया तो उन्होंने खुद ही अपना टेस्ट कराया. जब उनका टेस्ट पॉजिटिव आ गया तो वीओ रूम को सील कर दिया गया. उनके आसपास के दो तीन लोगों को क्वारंटाइन किया गया. वीओ आर्टिस्ट तमाम लोगों के संपर्क में आता है. हम सब स्क्रिप्ट लेकर उनके पास जाते हैं. वीओ होने के बाद फिर स्क्रिप्ट वापस लेते हैं. मेरी तरह बहुत से ऐसे लोग हैं. लेकिन ना तो हमारा टेस्ट करवाया गया, ना ही क्वारंटाइन होने की इजाजत है. इस तरह की लापरवाही हर रोज प्रबंधन कर रहा है.’’

टीवी 9 का दो चेहरा

हिंदी में एक मुहावरा है- हाथी का दांत खाने के और दिखाने के और. यह मुहावरा टीवी 9 के मैनेजमेंट पर सटीक बैठता है.

तारीख 22 मार्च

जनता कर्फ्यू के दौरान टीवी 9 भारतवर्ष की टीम ने कुछ अलग किया. जिसकी तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- ‘जनता कर्फ्यू की सफलता में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है. टीवी न्यूज की आपाधापी के बीच @TV9Bharatvarsh ने अपने एंकर से घर से ही बुलेटिन करवाने का जो प्रयोग किया है, वो सराहनीय है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसका बहुत लाभ होगा.’

प्रधानमंत्री की तारीफ वाला यह ट्वीट अब भी टीवी 9 भारतवर्ष के एग्जीक्यूटिव एडिटर समीर अब्बास के ट्विटर अकाउंट में टॉप पर पिन है.

मई 2020 का एक दिन

सुबह के करीब 8 बजकर 29 मिनट पर टीवी-9 भारतवर्ष के मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय का एक मैसेज ग्रुप में आता है. धमकी भरी भाषा में संत प्रसाद लिखते हैं- “जो सचमुच बीमार है, उनके लिए ऑर्गेनाइजेशन खड़ा है. जो ठीक हैं, उनका ये दायित्व है कि मुश्किल वक़्त में वो संस्थान का साथ दें. अगर कोई बेवजह छुट्टी ले रहा है, कायर की तरह डर कर घर बैठ रहा है, झूठ बोलकर खुद को अलग कर रहा है और ऐसे वक़्त में काम को प्रभावित कर रहा है उसके लिए ये आखिरी और सख्त चेतावनी है.”

TV 9 आउटपुट व्हाट्सएप ग्रुप

इसके आगे वे कई और बातें लिखते हैं. जिसका लब्बोलुआब यह है कि तय समय पर बिना छुट्टी लिए, सबको काम पर आना है.

यानी संस्थान ने दिखावे के लिए एक दिन घर से एंकरों का कार्यक्रम कराया उसके बाद कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए मजबूर कर दिया गया. उसके बाद एक दिन भी एंकरों ने घर से बुलेटिन नहीं किया. अब जब वहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तब कंपनी टेस्ट से पल्ला झाड़ रही है और फिर भी लोगों को दफ्तर आने के लिए चेतावनी दे रही है.

टीआरपी के लिए सरकारी नियमों की उड़ाई गई धज्जियां

जब केंद्र की मोदी सरकार ने 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की तो भारत में सबकुछ ठहर गया. हालांकि मीडिया एसेंशियल सेवाओं के तहत अपना काम करता रहा. लेकिन ऑफिस में लोगों की संख्या कम करने के लिए मीडिया संस्थानों ने वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था कर्मचारियों को दी. इससे सोशल डिस्टेंसिंग में आसानी हुई.

टीवी-9 भारतवर्ष में भी शुरुआत के पन्द्रह दिनों तक ऐसा ही हुआ. कर्मचारियों को दो दिन के अन्तराल के बाद दो दिन ऑफ दिया जा था. हालांकि इस दौरान शिफ्ट की टाइमिंग बढ़ा दी गई थी.

लेकिन दो दिन काम के बाद दो दिन ऑफ की व्यवस्था जल्द ही खत्म हो गई. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस दौरान टीवी 9 भारतवर्ष की टीआरपी अचानक से बढ़ गई थी. ये वही समय था जब कोरोना मामले में तबलीगी जमात की एंट्री हो चुकी थी. जमातियों को लेकर कई तरह की खबरें सूत्रों के हवाले से टीवी स्क्रीन पर तैर रही थी. इस दौरान टीवी-9 भी तबलीगी जमात के प्रति हमलावर था. यहां भी फेक न्यूज़ के जरिए तबलीग के लोगों को निशाना बनाया गया. जिस तरह से टीआरपी बढ़ रही थी उसी तरह यहां कर्मचारियों को ऑफिस आने के लेकर दबाव बढ़ रहा था.

यहां काम करने वाले एक कर्मचारी बताते है, ‘‘दो दिन काम के बाद दो दिन ऑफ की व्यवस्था जैसे खत्म हुई, उसके बाद ऑफिस में सोशल डिस्टेंसिंग लगभग खत्म हो गई. लोग शिफ्ट खत्म होने का इंतजार करते थे. एक उठा नहीं की दूसरा उसकी कुर्सी ले लेता था. इस दौरान कोई सेनेटाईजेशन नहीं होता था. कई लोग बिना मास्क के ऑफिस आते रहे. इस दौरान कोरोना के केस आने लगे.’’

दिन में काम किए और शाम को रिजल्ट आया पॉजिटिव

संस्थान लगातार लापरवाही कर रहा है. इसका ताजा उदाहरण गुरुवार को आए मामले हैं. गुरुवार को जिन तीन लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आया उसमें एक एंकर और एक सीनियर कर्मचारी हैं जो गेस्ट कोऑर्डिनेशन का काम करते हैं. दोनों लोग टेस्ट कराने के बाद नतीजा आने से पहले तक ऑफिस में थे. अगर उनका टेस्ट हुआ था तो आखिरी नतीजे आने तक उन्हें ऑफिस क्यों आने दिया गया? इससे बड़ी लापरवाही क्या हो सकती है.

आखिर क्यों ऑफिस आ रहे थे ये लोग. इसका जवाब है, संस्थान के मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय का धमकी भरा वह मैसेज जिसका जिक्र हमने ऊपर किया है. अपने मैसेज में संत प्रसाद साफ़-साफ़ शब्दों में कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए धमकाते नजर आते हैं.

टीवी-9 के एक कर्मचारी इस मामले पर कहते हैं, ‘‘संस्थान के दबाव के कारण ऐसा हुआ. क्वारंटाइन के कारण कर्मचारियों की संख्या वैसे भी कम हो गई है. तो प्रबंधन कर्मचारियों पर दबाव बना रहा है कि आपको ऑफिस आना ही पड़ेगा. जो लोग डरकर ऑफिस नहीं आ रहे उन्हें कायर कहा जा रहा है. डरपोक बोला जा रहा है. उन्हें ऑफिस आने के लिए धमकाया जाता है.’’

जिस तरह ज़ी न्यूज़ में सौ प्रतिशत कर्मचारियों को दफ्तर आने का हुक्म दिया गया था ठीक वैसा ही यहां भी हुआ जिसका असर कैब में आने जाने वाली भीड़ पर भी पड़ा. वहां काम करने वाली एक कर्मचारी बताती हैं, ‘‘दो से तीन दिन पहले तक एक कैब में ड्राईवर समेत तीन लोगों को भेज रहे हैं. पहले एक कैब में चार से पांच लोग सफर करते थे.’’

यानी गृह मंत्रालय के नियमों का यहां भी मखौल उड़ाया गया. नियम के अनुसार एक कैब में ड्राईवर समेत कुल तीन लोग ही सफर कर सकते हैं.

एक कर्मचारी कहते हैं, ‘‘अभी बाहर मीडिया के क्षेत्र में जिस तरह का महौल है उसका भी फायदा यहां उठाने की कोशिश की जा रही है. नौकरी से निकाले जाने का डर हर कर्मचारी के अंदर है.’’

एक कर्मचारी बताते हैं, ‘‘मैं अपने परिजनों के साथ रहता हूं. माता-पिताजी दोनों बुजुर्ग है. उन दोनों को रक्त-चाप की बीमारी है. ऐसे में मेरा इस हालात में ऑफिस से घर जाना खतरनाक है. ऑफिस कर्मचारियों के रहने के लिए इंतजाम कर रहा है. मैं भी कोशिश कर रहा हूं कि वहीं रह जाऊं. अगर मुझे होता है तो उनके बचने की संभावना तो होगी.’’

प्रबंधन का क्या कहना है

इस पूरे विवाद पर न्यूजलॉन्ड्री ने टीवी-9 की एचआर श्वेता सिंह और मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय को कुछ सवालों की लिस्ट मेल और वाट्सऐप के जरिए भेजा.

कर्मचारियों को धमकाने और कायर कहने का आरोप मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय पर लग रहा है (जिसका स्क्रीनशॉट ऊपर दिया गया है) उनसे हमने फोन पर भी बात की. उन्होंने बताया कि आपके सवाल मैंने ग्रुप एडिटर बीवी राव को भेज दिया है. वहीं इस मामले में कोई जवाब देंगे.

हमारे तमाम सवालों के जवाब में टीवी-9 भारतवर्ष के आधिकारिक प्रवक्ता की तरफ एक जवाब आया. उसमें उन्होंने बताया, “हम सरकार के तमाम नियमों का पालन कर रहे हैं. अपनी पूरी कोशिश के बावजूद अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे कुछ कर्मचारियों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है. नोएडा प्रशासन की सलाह पर कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान की जा रही है और उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है.”

प्रवक्ता आगे जवाब लिखते हैं, “सभी कर्मचारियों का स्वास्थ्य बेहतर है. कार्यालय उनकी हर तरह की मदद कर रहा है, जैसा कि परिवार के किसी सदस्य को दिया जाता है. उन सभी में कोई लक्षण दिखाई नहीं दिया था. इसलिए हमारी ओर से लापरवाही का कोई सवाल ही नहीं है.”

कर्मचारियों का टेस्ट नहीं कराने के सवाल पर टीवी-9 के प्रवक्ता ने जवाब दिया है, ‘‘आप शायद जानते हैं कि टेस्ट करना या नहीं करना किसी व्यक्ति या संस्थाओं के हाथों में नहीं है. यह सरकारी नियम है कि जिसमें लक्षण होगा उसी का टेस्ट किया जाएगा.’’

जवाब में आगे लिखा गया है, “मीडिया एक आवश्यक सेवा है. ऐसे में संकट की इस घड़ी में हम देश भर में चिंतित लोगों तक जानकारी पहुंचा रहे है. इस दौरान सुरक्षा की भी तमाम कोशिश कर रहे हैं.”

टीवी-9 के प्रवक्ता और कर्मचारियों की जानकारी आपस में कितना विरोधाभासी है यह पूरी ख़बर पढ़कर आप स्वयं तय करें. साथ में मैनेजिंग एडिटर संत प्रसाद राय का संदेश है, जो हालात को बयान करने के लिए काफी है.

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