दिल्ली बीजेपी के नेताओं ने फर्जी वीडियो साझा किया. जिस पर ज़ी न्यूज़ और पंजाब केसरी ने फेक न्यूज़ चला दी.
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है इसके साथ ही बढ़ रहा है राजनीति का तापमान. इस राजनीति में साम-दाम, छल-छद्म का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है.
दो महीने के लॉकडाउन के कारण बेपटरी हो चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कई तरह की छूट दे रही हैं. इसी के अंतर्गत दिल्ली परिवहन निगम की बसें 19 मई यानी मंगलवार से सड़कों पर महीनों बाद चलने लगीं.
डीटीसी बस में सवारियों की संख्या निर्धारित करते हुए केजरीवाल सरकार ने एक विज्ञापन के जरिए बताया कि एक बस में ज्यादा से ज्यादा 20 लोग ही सफर कर सकते हैं.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने ट्वीट करके बताया कि कुछ टर्मिनलों और बस स्टैंडों पर हमने बस में चढ़ने से पहले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी है. हम सभी व्यस्त बस स्टैंडों पर यह लागू करने प्रयास करेंगे.
बीजेपी ने जारी किया वीडियो
डीटीसी बसों की शुरुआत को दिल्ली बीजेपी ने दिल पर ले लिया. उसके कई नेताओं ने ग्यारह सेकेंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया. इस वीडियो में एक शख्स मास्क को नीचे करके कहता नजर आ रहा है, ‘‘इतनी भीड़ है. बीमारी पकड़ लेगी तो कौन जिम्मेदार होगा? डीएम होगा, सीजीएम होगा या केजरीवाल होगा? हां भाई है कोई जवाबदेही?’’
दिल्ली बीजेपी ने इस वीडियो को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दो बार साझा किया और एक बार पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश सिंह वर्मा के ट्वीट को रीट्वीट किया.
बीजेपी दिल्ली के ट्विटर अकाउंट से इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा गया- “केजरीवालजी, आपने तो कहा था कि आप सुनिश्चित करेंगे कि बस में 20 से ज्यादा लोग एक समय में यात्रा ना करें. क्यों लोगों को मरवाना चाहते हो मुख्यमंत्रीजी, जवाब दो! ये कैसा मुख्यमंत्री है जिसे जनता की जान की कोई फ़िक्र ही नहीं है.”
इस ट्वीट को चार हज़ार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया. वहीं 13 सौ से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया.
इसके बाद पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने इस वीडियो को साझा किया. वर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘‘बधाई हो उन सबको जिन्होंने केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया, जिस मुख्यमंत्री को अपने नागरिकों की जान से ज्यादा जीएसटी की पड़ी है.”
अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि सुनिश्चित करेंगे की हर बस में 20 लोग ही रहेंगे. इसका जिम्मेदार कौन होगा?
प्रवेश वर्मा के ट्वीट को छह हज़ार से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया और 13 हज़ार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया.
बीजेपी के नेता इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने एक और ट्वीट किया इस वीडियो में एक तरफ अरविंद केजरीवाल की क्लिप लगाई गई है. जिसे ‘दावा’ बताया गया और दूसरी तरफ वायरल 11 सेकेंड वाली वह वीडियो लगाई गई है. उसके ऊपर ‘हक़ीकत’ लिखा गया. यहां अरविंद केजरीवाल वीडियो में दावा कर रहे हैं कि एक बस में 20 से ज्यादा लोगों को नहीं बैठने दिया जाएगा.
इस वीडियो को साझा करते हुए बीजेपी के लोगों ने लिखा- ‘‘केजरीवाल जी, लगता है आपके लिए लोगों की जान से प्यारा आपका राजस्व है! कृपया दिल्ली की जनता की जान के साथ खिलवाड़ न करें.’’
इस वीडियो को बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी अपने ट्विटर पर साझा किया.
बीजेपी के नेताओं द्वारा यह वीडियो साझा करने की देर थी कि सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर यह आग की तरह फैल गया. कई लोगों ने इसे साझा किया और केजरीवाल सरकार पर लॉकडाउन के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाए. इसे लगभग 3 हज़ार लोगों ने लाइक किया उर 12 सौ लोगों ने रीट्वीट किया.
कांग्रेस के नेताओं ने भी साझा किया वीडियो
यह वीडियो जब सोशल मीडिया पर कायदे से वायरल हो गया तब दिल्ली कांग्रेस के लोगों की नींद खुली. देर शाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन ने भी यही वीडियो शेयर कर केजरीवाल पर निशाना साधा.
अजय माकन ने लिखा केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद डीटीसी की बसों की संख्या में 3000 की कमी आई है. अब ये हालात हैं.
ज़ी न्यूज़ और पंजाब केसरी ने बनाई खबर
बीजेपी नेताओं द्वारा आरोप लगाते वीडियो साझा होने के बाद ज़ी न्यूज़ और पंजाब केसरी ने इस वीडियो से जुड़ी ख़बर अपनी वेबसाइट पर लगाई. इसके अलावा भी कुछ वेबसाइट ने ख़बर लगाई है.
ज़ी न्यूज़ ने ‘दिल्ली में बस सरकार के लॉकडाउन नियमों की उड़ी धज्जियां, वीडियो हो रहा वायरल’ शीर्षक से खबर चलाई. इस खबर में आगे लिखा गया है कि सोशल मीडिया पर दिल्ली की बस का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें केजरीवाल सरकार के लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ गई हैं. वीडियो में डीटीसी बस में यात्रियों की भीड़ नजर आ रही है.
नीचे और कुछ बातें लिखने के बाद प्रवेश वर्मा का ट्वीट ख़बर में एम्बेड कर दी गई. देर रात ज़ी न्यूज़ ने ये खबर अपनी वेबसाइट से हटा दी. दिलचस्प बात यह है कि ज़ी न्यूज़ ने यह फेंक न्यूज़ लगभग उसी वक्त चलाई जब ट्विटर पर इसके संपादक सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण को फेंक न्यूज़ पर ज्ञान दे रहे थे.
पंजाब केसरी ने ‘दिल्ली के खुलते ही नियम भूल गए लोग, बसों में इकटठी हो गई भारी भीड़ (वीडियो)’ शीर्षक से खबर लगाई. खबर में पंजाब केसरी लिखता है, ‘‘लंबे इंतजार के बाद मंगलवार को दिल्ली खुल गई. केजरीवाल सरकार ने बसों, ऑटो, टैक्सी, ग्रामीण सेवा को सड़कों पर उतरने की अनुमति दी है. नियम के अनुसार बस में 20 से अधिक सवारी नहीं बैठ सकते लेकिन दिल्ली में ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है. राजधानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिग की धज्जियां साफ उड़ती हुई दिख रही हैं.’’
इसके बाद वेबसाइट ने प्रवेश वर्मा का ट्वीट खबर में एम्बेड कर दिया. पंजाब केसरी की खबर को पढ़कर साफ़ लगता है कि यह खबर भी वर्मा के ट्वीट के आधार पर बनाई गई है. यह खबर अभी भी वेबसाइट पर मौजूद है.
क्या यह वीडियो 19 मई की है?
अब बात आती है कि जो ग्यारह सेकेंड का वीडियो बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं द्वारा साझा किया गया उसका सच क्या है? क्या वह 19 मई का है?
इस सवाल का जवाब है नहीं. दरअसल यह वीडियो लगभग दो महीने पुराना है. मार्च महीने में यह सबसे पहले सामने आया था. 27 मार्च को डीटीसी कर्मचारियों के एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘डीटीसी कर्मचारी मीडिया ग्रुप’ में इसे साझा किया गया था.
डीटीसी कर्मचारी मीडिया ग्रुप सरकार से नाराज़ चल रहे डीटीसी के कांट्रेक्ट कर्मचारियों का एक ग्रुप है.
27 मार्च की रात 09:05 मिनट पर एक कर्मचारी ने वीडियो साझा करते हुए लिखा- “आज की यह वीडियो और इस तरह दिल्ली देश में बहुत जल्द कोरोना महामारी खत्म होगी. जय हो केजरीवाल सरकार. हद हो गई. किस बात का कर्फ्यू. किस बात का लॉकडाउन. कोई फॉलो नहीं कर रहा है.’’
इस वीडियो के संदर्भ में ‘डीटीसी कर्मचारी मीडिया ग्रुप’ के व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन और डीटीसी कांट्रेक्चुअल वर्कर्स यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज शर्मा से न्यूजलॉन्ड्री को बताया, “यह वीडियो पुराना है. हमारे ग्रुप में 27 मार्च को शेयर हुआ था. 19 मई को जब किसी ने इसे साझा किया तो उन्हें बताया गया कि यह पुराना वीडियो है. इसके बाद ग्रुप पर साफ़-साफ़ शब्दों में लिखा गया कि किसी भी वीडियो की सत्यता जांचने के बाद ही उसे साझा करें. यह वीडियो पुरानी है. इसका 19 मई को कोई सम्बन्ध नहीं है.’’
यानि यह वीडियो 19 मई का नहीं है. इसके बावजूद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय समेत भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने पुराने वीडियो के सहारे फर्जी खबर फैलाई और दिल्ली सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की. ज़ी न्यूज़ और पंजाब केसरी ने इसकी बिना इसकी तहकीकात किए इस पर खबर भी बना दी.
हालांकि यह साफ़ है कि यह वीडियो कोरोना के आने के बाद की ही है क्योंकि वीडियो में बोल रहा शख्स मास्क को गर्दन पर लटकाए हुए है. बस में जो लोग खड़े हैं वो भी मास्क लगाए हुए है. लेकिन यह वीडियो लगभग दो महीने पहले सामने आया था. यह 19 मई का कतई नहीं है जिसका दावा बीजेपी और कांग्रेस के नेता कर रहे हैं.
प्रवेश वर्मा, अमित मालवीय और फेंक न्यूज़
हालांकि यह पहला मौका नहीं जब सांसद प्रवेश वर्मा कोई गलत खबर फैलाते हुए पकड़े गए हैं.
बीते दिनों उन्होंने नमाज़ पढ़ते हुए कुछ लोगों का वीडियो साझा किया था. जिसमें दावा किया था कि लॉकडाउन में दिल्ली में मुस्लिम समाज के लोग एक जगह जमा हुए. वह वीडियो भी पुरानी थी. जिसको लेकर दिल्ली पुलिस की चेतावनी के बाद वर्मा ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था.
रही बात बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की तो उनके नाम पर फेंक न्यूज़ फैलाने के अनगिनत कारनामे दर्ज हैं. शाहीनबाग़ में सीएए/ एनआरसी को लेकर हुए प्रदर्शन पर बैठने के लिए पांच सौ रुपए लेने का दावा करने वाला वीडियो भी मालवीय ने ही साझा किया था. जो न्यूजलॉन्ड्री-ऑल्ट न्यूज़ की तहकीकात में फर्जी पाया गया था.