रिजवाना तबस्सुम ने अपने कमरे के नोटिस बोर्ड पर शमीम नोमानी नाम के एक युवक को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. पुलिस शमीम को गिरफ्तार कर चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में रहने वाली स्वतंत्र पत्रकार रिजवाना तबस्सुम ने सोमवार को तड़के अपने घर में आत्महत्या कर लिया. वो अपने कमरे में मृत पाई गईं.
स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है. रिजवाना के शव को पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया. तबस्सुम ने अपने संक्षिप्त सुसाइड नोट में मौत के लिए एक स्थानीय युवक शमीम नोमानी को जिम्मेदार ठहराया है.
रिजवाना युवा प्रतिभाशाली पत्रकार थीं. वह जमीन से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती थीं. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा करने के बाद कुछ दिनों तक वो दिल्ली में ख़बर लहरिया नामक मीडिया संस्था से जुड़ी हुई थी. इसके बाद वो स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रही थीं.
वो द प्रिंट, बीबीसी हिंदी, न्यूज़क्लिक, एशियाविल, द क्विंट समेत देश के कई प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों के लिए बतौर फ्रीलांसर जुड़ी हुई थी.
रिजवाना के परिजनों का कहना है, ''वो रात के करीब साढ़े दस बजे सबसे बातचीत करके अपने कमरे में सोने के लिए चली गई. सुबह जब देर तक नहीं उठी तब हमने दरवाजा तोड़कर देखा. कमरे में उनका शरीर दुपट्टे से लटका हुआ था.''
रिजवाना के छोटे भाई आजम ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, “दीदी अक्सर देर रात को सोती थीं. आजकल रमजान चल रहा है तो वैसे भी सब देर से ही सोते हैं. रोजाना वो सुबह नौ बजे तक जग जाया करती थीं, लेकिन आज जब दस बजे तक नहीं जगीं तो मैंने उन्हें फोन किया. फोन नहीं उठाने पर हमने दरवाजा खटखटाया जो अंदर से बंद था. फिर दरवाजा तोड़ा तो वो फांसी लगा चुकी थी. कमरे में पाईप से दुपट्टा बंधाकर उन्होने फांसी लगाया था.’’
आजम बताते हैं कि उनके कमरे में एक बोर्ड था जो कुछ दिनों पहले ही रिजवाना लाई थी. उस पर वो कौन सी स्टोरी कब करनी है लिखा करती थी. बीती रात उस पर उन्होंने लिखा है कि ‘शमीम नोमानी जिम्मेदार है.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले को देख रहे लोहता थाने के एसएचओ राकेश कुमार सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत पुलिस ने केस दर्ज करते हुए युवक को गिरफ्तार कर लिया है.
राकेश कुमार कहते हैं, ‘‘इस मामले में तहकीकात चल रही है. दोनों के बीच फोन पर लम्बी बातचीत होती थी. क्या बातचीत होती थी? किस मामले पर अनबन हुई थी इस तमाम एंगल से जांच जारी है. इसलिए अभी ज्यादा कुछ कह पाना मुश्किल हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और कॉल डिटेल आने के बाद ही मामला साफ हो पाएगा.’’
शमीम नोमानी समाजवादी पार्टी से जुड़ा कार्यकर्ता बताया जा रहा है. उनके फेसबुक पर भी यह जानकारी उपलब्ध है. हालांकि राकेश कुमार कहते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.
समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता भी शमीम के पार्टी से जुड़े होने से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि वह पार्टी में किसी पद पर नहीं था.
शमीम नोमानी को लेकर रिजवाना के भाई आजम कहते हैं, ‘‘लॉकडाउन के बाद शमीम राशन बांटने आते थे जिसके बाद दोनों में राशन को लेकर ही बात होती थी. एक दो बार वो हमारे घर भी आए थे. इसके अलावा हमें कोई जानकारी नहीं है.’’
रिजवाना के काम को देखकर लगता है कि एक समर्पित पत्रकार असमय दुनिया से चली गई, खबर लहरिया से रिजवाना को 2012 में जोड़ने वाली मीरा जाटव न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, ''तबस्सुम एक अच्छी और जागरूक पत्रकार थी. उसके रिपोर्टिंग का क्षेत्र काफी बड़ा था. उसे जो भी जिम्मेदारी दी जाती थी उसे वो बेहतर तरीके से निभाती थी. वो लगातार जमीन से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही थी. उसका इस तरह जाना हैरान कर रहा है.’’