कोरोना: लॉकडाउन के कारण यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीय छात्र

कोरोना के चलते यूक्रेन में भी लॉकडाउन चल रहा है और सुरक्षा उपकरणों का अभाव है, जिससे भारतीय छात्र मुश्किल में हैं.

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कोरोना वायरस से अब तक 70,000 से ज्यादा जानें दुनिया भर में जा चुकी हैं. डब्ल्यूएचओ द्वारा पहले ही वैश्विक महामारी घोषित किए जा चुके इस वायरस की चपेट में भारत सहित 200 से ज्यादा देश आ चुके हैं. जिस कारण दुनिया की आधी से अधिक आबादी लॉकडाउन में जिन्दगी गुजारने को मजबूर है.

भारत में भी 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है. अब तक देश में 150 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं. लॉकडाउन के कारण विदेशों में पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्र भी फंस कर रह गए हैं. उन्हें अब वापस लौटने की चिंता सता रहा है. वहीं उनके परिवार भी इससे परेशान हैं.

पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन में ऐसे हजारो छात्र फंसे हुए हैं. वहां की उज्ह्होरॉड नेशनल यूनिवर्सिटी, तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी, सूमीस्टेट यूनिवर्सिटी में मेडिकल और अन्य कोर्सों की पढ़ाई कर रहे हजारों छात्र एक अनिश्चय की स्थिति में फंस गए हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने ऐसे कई छात्रों से संपर्क किया है. उनका कहना है कि यूक्रेन में कोरोना वायरस पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है, इस बढ़ते खतरे के बावजूद उन्हें मास्क जैसे बुनियादी सुरक्षा उपकरण भी नहीं मिल पा रहे हैं. दुकानदार स्थानीय लोगों को ही सुरक्षा उपकरण, मास्क आदि दे रहे हैं. उन्होंने यूक्रेन में स्थित भारतीय एम्बेसी में भी सम्पर्क किया है लेकिन आश्वासन के अलावा कोई सहायता नहीं मिल रही है इससे छात्रों की परेशानी और बढ़ गई है.

यूक्रेन में फंसे छात्र ने यूक्रेन  में स्थित भारतीय एम्बेसी को ट्विटर पर मैसेज किया.

दूसरी चिंता की बात छात्रों में यह है कि इस बारे में वे बताने से भी डर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे भविष्य में उनका कैरियर प्रभावित हो सकता है. उज्ज्होरोड नेशनल यूनिवर्सिटी में मेडिकल के एक छात्र ने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर बातचीत की. उसने बताया,“इस शहर में 500 से अधिक छात्र फंसे हुए हैं. हमारी चिंता यह है कि यहां कोरोना के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. लेकिन हमारे पास मास्क तक नहीं हैं. जब हम मास्क खरीदने जाते हैं, तो दुकानकार सिर्फ लोकल लोगों को ही मास्क बेच रहे हैं. इसकी वजह से रोजमर्रा के सामान खरीदने में भी हमें मुश्किल हो रही है क्योंकि दुकानदार बिना मास्क वालों को अंदर नहीं आने देते और न ही सामान देते हैं. पहले यहां 12 मार्च तक लॉकडाउन किया गया था जिसे बढ़ते खतरे को देखते हुए अब 24 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है. और इसे आगे बढ़ाने की भी बात चल रही है.”

छात्र ने आगे बताया, “हमने भारत सरकार को भी इस बारे में एक ई-मेल किया है लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला है. इसके अलावा हमने ट्विटर से भारतीय दूतावास में भी सम्पर्क किया. उन्होंने जवाब दिया कि लॉकडाउन जारी रहने तक वे कुछ नहीं कर सकते. इससे हमारे घरवालों की चिंता भी बढ़ गई है.”

हमारी बातचीत के दौरान वह छात्र इस बात को लेकर बेहद चिंतित था कि कहीं उसकी पहचान उजागर न हो जाए. वरना उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि पहले कुछ लोगों ने ऐसा किया है तो उन्हें परेशान किया गया था.

यूक्रेन स्थित भारतीय एंबेसी का छात्रों को रिप्लाय.

उज्ज्होरोड नेशनल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही एक अन्य छात्रा ने भी नाम न छापने की गुजारिश करते हुए अपनी परेशानी बताई. उसके मुताबिक यूक्रेन में सुरक्षा उपकरणों का बड़े पैमाने पर अभाव है. मास्क के बारे में पूछने पर छात्रा ने बताया, “मेरे पास पिछले साल का मास्क था, उसी से काम चला रही हूं. अभी मास्क भी नहीं मिल रहा है. हमारे कांट्रेक्टर ने हॉस्टल के बच्चों को तो मास्क उपलब्ध करा दिया है लेकिन हमें नहीं मिला है.”

एक मोटा आंकड़ा है कि पूरे यूक्रेन में लगभग 10,000 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं.

यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने व्हाट्सएप के जरिए न्यूज़लॉन्ड्री को संदेश भेजा है जिसमें उसने मोदी सरकार से जल्द से जल्द वापस ले जाने की गुहार लगाई है. साथ ही ये चिंता भी जताई है कि अगर हालात और ज्यादा बिगड़ गए तो वे क्या करेंगे.

छात्र ने व्हाट्सएप के जरिए न्यूज़लॉन्ड्री को संदेश भेजा

हरियाणा निवासी एक छात्र के पिता से भी हमने संपर्क किया. वो अपने बेटे को लेकर काफी चिंतित थे. उन्होंने कहा कि हमें तो पता नहीं था कि एकदम से लॉकडाउन हो जाएगा, वरना हम उसे पहले ही बुला लेते. साथ ही उन्होंने हमसे भी गुजारिश की कि अगर हम कुछ सहायता कर सकें तो करें, ताकि उनका बेटा वापस आ सके.

छात्रों की समस्या को लेकर हमने कम्पनी के कांट्रैक्टर अमरीक सिंह से बात की जो इनमें से ज्यादातर छात्रों को भारत से यूक्रेन ले गए थे. अमरीक सिंह कहते हैं, “भाईसाहब! ऐसा तो कुछ नहीं है, हमारे पास तो कोई शिकायत भी नहीं आई है. बच्चे तो बच्चे होते हैं. हमने तो सभी से कहा है कि कोई भी किसी भी तरीके की परेशानी हो तो हमें फोन कर दो. हम वहीं भिजवा देंगे. मास्क भी हमने बंटवाए हैं. और बच्चों की वजह से ही हम अभी भी ऑफिस खोल रहे हैं ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. आप जानते ही हैं कि इंडिया में भी लॉकडाउन है चल रहा है, फ्लाइट बंद हैं, इसलिए वापस तो बुला नहीं सकते. अगर किसी को कोई परेशानी है तो आप बोल देना, हम हमेशा तैयार हैं.”

छात्रों ने घर जाने को लेकर भारतीय एंबेसी को ट्विटर पर मैसेज किया.

हमने विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के ऑफिस में भी फोन कर उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन वहां से हमारे फोन का कोई जवाब नहीं मिला.

इसके अलावा यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास में भी हमने मैसेज भेज कर इस बारे में उनकी तैयारियों को जानने की कोशिश की, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनका कोई जवाब नहीं आया था. अगर इस बारे में कोई प्रतिक्रिया आती है तो उसे रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.

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