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न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के 101वें संस्करण में चर्चा का मुख्य विषय रहा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चीन में कोरोना वायरस के चलते पैदा हुई आपात स्थिति पर जारी की गई सलाह, स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा द्वारा अर्नब गोस्वामी की खिंचाई के बाद उड्डयन कंपनियों द्वारा उन्हें एकतरफा उड़ान से प्रतिबंधित करना, बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा द्वारा दिया गया आपत्तिजनक सांप्रदायिक बयान और उसके चलते चुनाव आयोग की कर्रवाई, शरजील इमाम पर देशद्रोह का मामला और प्रशांत किशोर और पवन कुमार की जेडीयू से बर्खास्तगी.
इस सप्ताह चर्चा में बीबीसी मराठी के संपादक आशीष दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी और न्यूज़लॉन्ड्री के सोशल मीडिया एडिटर मेघनाद चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत अतुल ने आशीष से प्रशांत किशोर की बर्खास्तगी से जुड़े सवाल से की, “सीएए को लेकर नीतीश कुमार लोकसभा में कुछ कहते हैं और राज्यसभा में पार्टी का स्टैंड कुछ और रहता है. ये जेडीयू की अपनी अंदरूनी राजनीति के बारे में बताता है कि वो कितना कंफ्यूज हैं. नीतीश कुमार जैसे नेता का यह कहना कि उन्होंने प्रशांत किशोर को पार्टी में अमित शाह के कहने पर लिया था. ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार ने जेडीयू का सदस्यता अभियान अमित शाह को आउटसोर्स कर दिया है. इसे आप किस प्रकार से देखते हैं?”
इसके जवाब में आशीष ने कहा, “मुझे लगता है कि नीतीश कुमार ने जितनी बार पलटियां खाई है उससे लगता है कि उनका एक मकसद है कि कैसे भी सत्ता में बने रहना है चाहे आरजेरडी के साथ जाना हो या बीजेपी के साथ. और ये विचारधारा की उलझन है जो प्रतिबिंबित हो रही है. तो जो पार्टी के बाकी लीडर हैं उनको ये समझ में नहीं आ रहा है कि हम किस विचारधारा के साथ हैं. दूसरा मुझे लगता है कि प्रशांत किशोर के साथ नीतीश कुमार का शुरू से ही ट्रस्ट का इशू रहा है. प्रशांत ज़मीन से ऊपर आये नेता तो थे नहीं. प्रशांत किशोर खुद की एक कंपनी चलाते हैं. उन्होंने मोदी के साथ 2014 में काम किया था और अभी जगन मोहन को आंध्र प्रदेश में मदद की थी. तो शुरू से ही दोनों में ट्रस्ट इशू था. और इसमें विचारधारा की उलझन और आ गई.”
मेघनाद प्रशांत किशोर के मुद्दे पर उनके व्यक्तित्व का जिक्र किया, “ये एक बहुत दिलचस्प चीज़ है कि प्रशांत किशोर जो किरदार है वो मुझे बहुत आकर्षक लगता है. जैसा आपने बताया कि वो आईपैक नाम की कंपनी चलाते हैं. जो राजनीतिक परामर्श देती है. राजनीतिक परामर्शदाता को हम अंग्रेजी में मर्सिनिरी कहते हैं. जिसे आप पैसे के बदले में सुझाव देते हैं. वो आपके लिए काम करेंगे. ये आपके लिए सोशल मीडिया में मदद करेंगे, पोलिटिकल कैंपेन में मदद करेंगे. पश्चिम बंगाल में भी उनकी सेवाएं ली गई थी. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी उनकी सेवाएं ली हैं. ऐसी स्थिति में अगर आप जेडीयू के नंबर टू बन जाएं तो एक संशय तो खड़ा हो ही जाता है.”
इसी तरह अन्य विषयों पर भी बहुआयामी चर्चा हुई.
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