बिजनौर: सुलेमान की मौत की पुलिसिया कहानी में झोल ही झोल

बिजनौर पुलिस अब तक 20 वर्षीय सुलेमान की मौत से जुड़ी तीन कहानियां बता चुकी है. क्या बिजनौर पुलिस कुछ छुपा रही है?

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20 दिसंबर को बिजनौर के नहटौर कस्बे में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान 20 वर्षीय सुलेमान की मौत हो गई.

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बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने 24 दिसंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से स्वीकार किया था कि सुलेमान की मौत पुलिस की गोली से हुई है. त्यागी ने कहा था, ‘‘हिंसा के दौरान हमारे एक दरोगा का सरकारी पिस्टल उपद्रवी छीनकर भाग रहे थे. हमारा एक सिपाही मोहित कुमार दोबारा वह पिस्टल हासिल करने के लिए आगे बढ़ा तभी एक उपद्रवी ने उसके ऊपर गोली चला दी. आत्मरक्षा में उसने भी गोली चलाई, जो उस उपद्रवी को लगी. बाद में पता चला कि वो सुलेमान था. उसकी मौत हो गई.’’

29 दिसंबर को इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार सुलेमान के भाई मोहम्मद शोएब ने एक एफआईआर दर्ज कराई है. जिसमें नहटौर पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ राजेश सिंह सोलंकी के अलावा स्थानीय आउटपोस्ट प्रभारी आशीष तोमर, कॉन्स्टेबल मोहित कुमार और तीन अन्य अज्ञात पुलिसकर्मियों के नाम दर्ज हैं. इन सभी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 147, 148 और 149 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस के दावे के विपरीत सुलेमान  का परिवार शुरू से ही उसकी हत्या का आरोप पुलिस पर लगा रहा है. साथ ही परिवार इस बात से भी इनकार कर रहा है कि सुलेमान ने कांस्टेबल मोहित को गोली मारी थी.

जाहिद हुसैन का दावा है कि उनका बेटा बीमार था इसीलिए वह नोएडा से अपने घर आया हुआ था. 20 दिसंबर के दिन वह नमाज़ पढ़ने के लिए पास की मस्जिद में गया था. वहां से पुलिस उसे उठाकर ले गई और लगभग एक किलोमीटर दूर ले जाकर गोली मार दी. जब सुलेमान घायल अवस्था में परिजनों को मिला तब उसके शरीर से शर्ट गायब था. उसे छाती पर गोली लगी थी.

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नेहटौर के अपने घर में मोहम्मद सुलेमान के पिता.

20 दिसंबर की रात सुलेमान की मौत हो गई. 21 दिसंबर, शनिवार को पोस्टमॉर्टम के बाद सुलेमान को उसके गांव नहटौर से दूर ननिहाल में दफनाया गया. परिजनों ने बताया कि पुलिस ने उसे गांव में दफनाने नहीं दिया और कहा कि बिजनौर में ही कहीं दफना दो गांव नहीं ले जाना है. थक हार उसे ननिहाल में ही दफनाया गया. जो नहटौर से 20 किलोमीटर दूर है.

एसपी संजीव त्यागी और कांस्टेबल मोहित शर्मा के बयान में अंतर

घटना के तीन दिन बाद 23 दिसंबर को पहली बार बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से स्वीकार किया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में सुलेमान को गोली मारी. लेकिन उन्होंने कहीं भी यह बात नहीं कही कि सुलेमान ने उन्हें (एसपी संजीव त्यागी) निशाना बनाया था, लेकिन बीच में कांस्टेबल मोहित कुमार आ गए. इसके अगले ही दिन 24 दिसंबर को बरेली के एडीजी अविनाश चन्द्र ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा कि सुलेमान ने एसपी त्यागी को निशाना बनाया था लेकिन सिपाही मोहित बीच में आ गया और उसे पेट में गोली लग गई.

न्यूज़लॉन्ड्री को इस मामले की तहकीकात के दौरान दैनिक जागरण के मेरठ संस्करण में प्रकाशित कांस्टेबल मोहित कुमार का एक इंटरव्यू मिला. यह इंटरव्यू 23 दिसंबर को ही प्रकाशित हुआ था. उसी दिन जिस दिन संजीव त्यागी का बयान इंडियन एक्सप्रेस में छपा था. लेकिन जागरण में छपे इंटरव्यू में मोहित कुमार कुछ और ही दावा कर रहे थे.

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दैनिक जागरण में प्रकाशित मोहित शर्मा का इंटरव्यू.

23 दिसंबर के दैनिक जागरण में ‘इसे मत मारो, छोड़ दो… मुझे मार लो’ शीर्षक से छपे मोहित कुमार के इंटरव्यू के शीर्षक में जागरण लिखता है, “हिंसा के जख्म: बिजनौर में उपद्रवियों की गोली से घायल कांस्टेबल मोहित कुमार ने सुनाई बर्बरता की दास्तां.”

इंटरव्यू में मोहित कुमार घटना के दिन जो कुछ हुआ उसको बताते हुए कहते हैं, ‘‘शुक्रवार को जिले में अलर्ट के बाद पुलिस प्रशासन सतर्क था. कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए जगह-जगह निरीक्षण चल रहा था. दोपहर करीब ढाई बजे नहटोर में पत्थरबाजी की सूचना पर हम उच्चाधिकारियों समेत वहां पहुंचे तो हजारों लोग सड़कों पर थे. इतनी बड़ी संख्या में हिंसक भीड़ को कभी नहीं देखा था. पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए हम लोग काफी अंदर तक तंग गलियों में पहुंच गए थे, जहां उपद्रवियों ने हमें घेर लिया और बेरहमी से पीटने लगे. मेरे साथ मौजूद एसआइ राकेश कुमार ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की. कहा- उसको छोड़ दो.. भले ही मुझे मार लो. इसके बाद भी उपद्रवी नहीं रुके.

जागरण आगे लिखता है कि इस बीच किसी ने मोहित पर गोली चला दी, जो सीधे उसके पेट में लगी. इसके बाद वह अचेत होकर नीचे गिर पड़ा. इस दौरान घायल हुए एसआइ राकेश कुमार उपचाराधीन हैं.

मोहित कुमार ने अपने इस इंटरव्यू में कहीं भी सुलेमान का, आत्मरक्षा में गोली चलाने, दरोगा की छिनी गई पिस्टल को ढूढ़ने या एसपी संजीव त्यागी को बचाने के लिए बीच में आकर गोली खाने जैसी कोई बात नहीं बताया था.

इस तरह से हमारे पास सुलेमान की मौत और कांस्टेबल मोहित को गोली लगने से जुड़ी तीन कहानियां मौजूद हैं.

  1. जो एसपी संजीव त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया.
  2. जो एडीजी अविनाश चंद्र ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया. 
  3. जो खुद कांस्टेबल मोहित कुमार ने दैनिक जागरण को बताया.

जाहिर है इन तीन कहानियों की उलझी हुई गुत्थी को बिजनौर के एसपी, एडीजी या कांस्टेबल ही सुलझा सकते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी से इस बारे में बात की और उन्हें कांस्टेबल मोहित कुमार द्वारा दैनिक जागरण को दिए गए इंटरव्यू के बारे में बताया. त्यागी गुस्साकर कहते हैं, ‘‘जागरण ने गलत इंटरव्यू छापा है. उसने मोहित कुमार की फोटो भी गलत लगाया है. मोहित कुमार के नाम पर जिसका फोटो छपा है वो किसी दरोगा की फोटो है. हम जागरण को नोटिस भेज रहे हैं. मोहित ने भी हमसे कहा है कि जागरण ने उल्टा-सीधा छाप दिया है.’’

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एडीजी अविनाश चंद्र और एसपी संजीव त्यागी 24 दिसंबर को नेहटौर में मोहम्मद सुलेमान के परिवार के साथ.

संजीव त्यागी हमसे फोन पर बात करने के दौरान ही अपने सहकर्मियों से पूछते हैं कि दैनिक जागरण को नोटिस भेजा या नहीं.

एसपी संजीव त्यागी दैनिक जागरण में छपे इंटरव्यू को ही गलत बताकर उसे नोटिस भेजने की बात करते हैं. इस पर दैनिक जागरण के मेरठ संस्करण के संपादक जेपी पाण्डेय ने न्यूज़लॉन्ड्री से कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि मोहित कुमार का इंटरव्यू लाला लाजपत राय अस्पताल में आमने-सामने बैठकर हुआ था. जहां तक मोहित शर्मा की गलत तस्वीर छापने की बात है तो जागरण में छपी तस्वीर के नीचे कैप्शन में साफ लिखा है कि वह तस्वीर मोहित कुमार की नहीं बल्कि एएसआई राकेश कुमार की है जो उसके साथ ही घायल हुआ था.

सुलेमान की मौत पर सवाल

बिजनौर पुलिस के इस घालमेल भरे दावे और प्रतिदावे के बीच सवाल बना हुआ है कि मुहम्मद सुलेमान को गोली किसने मारी?

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अलग-अलग समय पर बताई जा रही अलग-अलग कहानियां सच नहीं हो सकती हैं. इसलिए पुलिस के दावे पर संशय बढ़ता जा रहा है.

मोहित कुमार को लगी गोली पर सवाल

बिजनौर में न्यूज़लॉन्ड्री ने मोहित कुमार से बात करने की तमाम कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. उनके मोबाइल पर संपर्क करने पर दूसरी तरफ से बार-बार रॉन्ग नम्बर बताकर फोन काट दिया गया. 28 दिसंबर से उनका फोन बंद है. हमने इस संबंध में एसपी संजीव त्यागी से भी मदद मांगी लेकिन उन्होंने कहा कि मोहित का नम्बर मेरे पास नहीं है. आप खुद बात कर लें.

न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी तहकीकात के दौरान मेरठ के जिला अस्पताल लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज और मेरठ के ही आनन्द अस्पताल के डॉक्टर्स और अधिकारियों से बात की. मोहित कुमार 20 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे. 22 दिसंबर से 25 दिसंबर तक आनंद अस्पताल में भर्ती रहे.

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अस्पताल में दर्ज रिकॉर्ड में मोहित कुमार (यहां, मोहित शर्मा) को 22 दिसंबर को मेरठ के आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया और 25 दिसंबर को छुट्टी दे दी गई.

मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी सुपरीटेंडेंट हर्षवर्धन न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘मोहित हमारे यहां 20 दिसंबर को भर्ती हुए थे. शायद वो हमारे यहां के इलाज से खुश नहीं थे और दो दिन बाद यहां से चले गए. उन्हें गोली छूकर गई थी. पेट में गोली नहीं फंसी थी. हमें कोई गोली नहीं मिली.’’

हमने आनंद अस्पताल में मोहित कुमार का इलाज करने वाले डॉक्टर ध्रुव जैन से भी बात की. वे कहते हैं, ‘‘मोहित हमारे यहां 22 दिसंबर को मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज होकर या रेफर होकर आए थे, हमें नहीं पता. उस वक़्त वे लगभग रिकवर हो चुके थे. हालांकि उन्होंने हमें बताया कि उन्हें काफी दर्द है. उनका सिटी स्कैन नहीं हुआ था तो हमने सिटी स्कैन करके देखा कि कोई और अंदरूनी चोट तो नहीं है. लेकिन सब ठीक था. गोली उनके पेट के अंदर नहीं लगी थी छूकर निकल गई थी. उनके पेट में दस-पन्द्रह सेंटीमीटर का घाव था.’’

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