क्या अरुंधति रॉय ने वही कहा था जो कुछेक मीडिया संस्थाएं और टीवी चैनल वाले बता रहे हैं?
यह स्पष्टीकरण 25 दिसंबर को दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए मेरे भाषण के संदर्भ में है जो नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के ऊपर मैंने दिया था. (यह देश अब जान चुका है कि एनपीआर ही एनआरसी का डाटा बेस है).
मैंने कहा कि 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से एनआरसी और डिटेंशन कैंप की मौजूदगी को लेकर दो-टूक झूठ बोला.
मैंने कहा कि उस झूठ के जवाब में जब सरकारी कर्मचारी एनपीआर के आंकड़े इकट्ठा करने के लिए आएं तो हम सबको मजाकिया जानकारियां उन्हें देनी चाहिए. मेरा प्रस्ताव हंसी मजाक के साथ सविनय अवज्ञा करने का था.
वहां मौजूद मुख्यधारा के तमाम टीवी चैनलों के पास मेरे पूरे भाषण की रिकॉर्डिंग है. लेकिन उन्होंने इसे प्रसारित नहीं किया. वे सिर्फ गलतबयानी और झूठ फैलाने के लिए उत्तेजित हुए और बाकियों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने इसके आधार पर मेरी गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी और टीवी चैनल वालों ने मेरे घर के बाहर घेरा डाल दिया.
संयोग से मेरा पूरा भाषण यूट्यूब पर उपलब्ध है:
मैं एक सवाल करना चाहती हूं: प्रधानमंत्री पूरे देश से झूठ बोलें तो सही और उस पर मजाक करने वाले को सुरक्षा के लिए खतरा और आपराधिक ठहराया जाय?
अजब दौर है, गजब हमारा मीडिया है.
अरुंधति रॉय
27 दिसंबर, 2019