अंडा-मुर्गीपालन उद्योग भी मंदी की चपेट में

बर्बादी के कगार पर पूर्वांचल के अंडा फार्म मालिक, हर रोज हो रहा लाखों का घाटा.

WrittenBy:मनोज सिंह
Date:
Article image

बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर में एक विरोध जलूस ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. यह जलूस पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों ने निकाला था. पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों की माने तो यह उद्योग धीरे-धीरे बर्बादी के कगार पर पहुंच रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के चलते यह स्थिति पैदा हुई है. दूसरे राज्यों से अंडों की आमद, अंडे के मूल्य में वृद्धि न होने और मुर्गी दाने के रेट में काफी इजाफा होने से अंडा उत्पादकों को पिछले छह माह से भारी नुकसान हो रहा है. अंडा उत्पादकों को प्रति अंडे लागत चार से सवा चार रूपए तक पहुंच गई है जबकि उन्हें थोक बिक्री से 3.15-3.25 रूपए ही मिल रहे हैं. इस प्रकार उन्हें प्रति अंडे एक रुपए तक का नुकसान हो रहा है. कई अंडा उत्पादक बीते छह महीनों के दरम्यान में लाखों का घाटा उठा चुके हैं. अंडा उत्पादक बैंकों से लिए गए कर्ज वापस करने में भी अक्षम सिद्ध हो रहे हैं.

अपनी समस्याओं को प्रशासन और सरकार से अवगत कराने के लिए अंडा उत्पादकों ने 21 अगस्त को गोरखपुर के पंत पार्क से एक जुलूस निकाला और डीएम से मिलकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन दिया. डीएम ने उनकी समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराने का आश्वासन दिया है. अंडा उत्पादकों ने कहा कि यदि जल्द हालात नहीं सुधरे तो उन्हें अपने लेयर फार्म बंद करने पड़ेंगे. इससे हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार होंगे और उनकी पूंजी डूब जाएगी.

उत्तर प्रदेश कुक्कुट नीति 2013 प्रभावी होने के बाद से प्रदेश में छोटे लेयर फार्मों की स्थापना बड़ी संख्या में हुई है और प्रदेश में अंडे का उत्पादन काफी बढ़ा है. पिछले छह वर्षो में गोरखपुर मंडल के चार जिलों- गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज में 100 से अधिक लेयर फार्मों की स्थापना हुई है. ये लेयर फार्म स्थापित करने वाले अधिकतर युवा हैं जिन्होंने बैंकों से ऋण लेकर अपना कारोबार शुरू किया.

गोरखपुर मंडल में स्थापित लेयर फार्मों की उत्पादन क्षमता 25 लाख अंडा प्रतिदिन है. कई ऐसे बड़े लेयर फार्म हैं जो एक दिन में एक लाख तक अंडा उत्पादित करते हैं. दस हजार से 20 हजार अंडा प्रतिदिन उत्पादन करने वाले फार्मों की संख्या अधिक है. गोरखपुर जिले में भटहट, बासगांव, कुशीनगर जिले में जगदीशपुर, महराजगंज में पनियरा आदि क्षेत्रों में कई लेयर फार्म स्थापित किए गए हैं.

शुरू में तो कारोबार बहुत अच्छा चला लेकिन सरकार की ओर से संरक्षण न मिलने से उनकी हालत अब खस्ता होने लगी है. उन पर सबसे अधिक मार तब पड़ी जब सरकार ने मक्का और सोया की एमएसपी बढ़ा दी जिसके कारण मुर्गी के दाने का दाम काफी बढ़ गया. आज की तारीख में मुर्गी दाना यानी फीड का दाम 25 रुपया किलो हो गया है जो पिछले वर्ष 19 रुपए था.

पूर्वांचल अंडा उत्पादक कृषक कल्याण समिति के अध्यक्ष अवधेश जायसवाल ने बताया कि मक्का और सोया के रेट में इजाफा के साथ-साथ फीड में लगने वाली हर चीज का दाम पिछले वर्ष की तुलना में काफी बढ़ गया है. आज एक अंडे के उत्पादन में ब्रुडिंग, फीड, दवा, लेबर, बिजली और लोन की किश्त मिलाकर 4.25 रुपए खर्च आ रहा है जबकि अंडा उत्पादक मार्च 2019 से 3.25 रूपए प्रति अंडा बेचने को मजबूर हैं. इस तरह दस हजार बर्ड के लेयर फार्म वाले किसानों को प्रतिदिन 9 हजार रुपए और महीने में 2.70 लाख रुपए का घाटा हो रहा है. इस तरह एक औसत किसान को पिछले छह माह में 16.20 लाख का घाटा हो चुका है.

बढ़ते घाटे के कारण लेयर फार्म मालिक अंडे का उत्पादन घटा रहे हैं और नए बर्ड की खरीद से बच रहे हैं. गोरखपुर मंडल के लेयर फार्मों की क्षमता 25 लाख अंडा प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता है लेकिन कारोबार में घाटे के कारण उन्होंने उत्पादन क्षमता लगभग आधी कर दी है. भटहट स्थित एक बड़े लेयर फार्म ने अपना उत्पादन एक लाख अंडे प्रतिदिन से कम करके 50 हजार कर दिया है.

समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि हम सस्ता अंडा बेचने पर इसलिए मजबूर हैं क्योंकि हमारे अंडे का मूल्य पंजाब के बरवाला के ट्रेडरों द्वारा तय किया जाता है जो अंडे का रेट सस्ता खोलकर बड़े पैमाने पर अंडे को कोल्ड स्टोरेज में डम्प करते हैं और बाद में रेट बढ़ाकर अपना अंडा बेचकर फिर रेट गिरा देते हैं.

यहां बताना जरूरी है कि पंजाब का बरवाला अंडा उत्पादन में काफी आगे है. वहां दो दशक से अंडे के उत्पादन में सैकड़ों बड़े किसान लगे हुए हैं और वे प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक अंडे का उत्पादन करते हैं. उनका कारोबार तकनीकी रूप से काफी उन्नत और परिष्कृत है हालांकि फीड की कीमतों में इजाफा की वजह से बरवाला के लेयर फार्मरों की हालत भी खराब हो चली है.

पूर्वांचल के अंडा उत्पादक यदि लागत बढ़ने के कारण अंडे का दाम बढ़ाते हैं तो यहां की मंडलों में बरवाला के अंडों की आमद बढ़ जाएगी और यहां उत्पादित अंडे बिक नहीं पाएंगे. ऐसे में अंडा उत्पादकों को और अधिक नुकसान होगा.

पूर्वांचल अंडा उत्पादक कृषक कल्याण समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक बरवाला से यूपी में अंडे की सप्लाई में दस दिन लग जाते हैं और फुटकर दुकानों तक पहुंचने में एक पखवारे का समय लग जाता है. इसलिए उनकी गुणवत्ता हमारे यहां उत्पादित अंडो से काफी खराब होती है.

पूर्वांचल समिति ने 21 अगस्त को डीएम को दिए गए ज्ञापन में मांग की है कि सरकार खुद अंडे के मूल्य निर्धारित करे न कि अंडे का दाम बरवाला से तय हो. इसके अलवा सरकार अंडे का एमएसपी तय करे, मक्का और सोया पर सब्सिडी दे या सब्सिडी पर मुर्गी का फीड उपलब्ध कराए. समिति की यह भी मांग है कि अन्य राज्यों की तरह प्रदेश सरकार यूपी में मध्यान्ह भोजन योजना में अंडा भी शामिल करे. इससे जहां बच्चों को कुपोषण से बचाने में मदद मिलेगी वहीं यूपी के अंडा उत्पादकों को कारोबार में संरक्षण मिलेगा. समिति ने यह ज्ञापन पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव, नेशनल एग कोआर्डिनेशन कमेटी,  पशुपालन विभाग के निदेशक को भी भेजा है.

गोरखपुर के डीएम ने अंडा उत्पादकों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान सरकार के स्तर पर संभव है. वे समिति के पदाधिकारियों को गोरखपुर आ रहे मुख्यमंत्री से मिलवाएंगे ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके.

(जीएनएल से साभार)

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like