तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली सायरा बानो के साथ बातचीत.
लोकसभा के बाद राज्यसभा में ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधयेक पास होने के साथ ही तीन तलाक के खिलाफ कानून का रास्ता साफ हो गया है. जिन महिलाओं ने इस दकियानूस प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई थी उनमें सायरा बानो नाम की एक महिला भी शामिल थीं जो की खुद तीन तलाक की शिकार हैं.
उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले के हेमपुर की निवासी सायरा बानो का निकाह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निवासी रिजवान अहमद से 2002 में हुआ था. सायरा का आरोप है कि उनके पति ने कथित तौर पर 10 अक्टूबर, 2015 को स्पीड पोस्ट के जरिए तीन बार तलाक लिखकर उन्हें छोड़ दिया था. इसके खिलाफ सायरा ने 23 फरवरी, 2016 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने 22 अगस्त, 2018 को फैसला दिया कि तीन तलाक प्रथा असंवैधानिक है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह इस पर कानून बनकर इसे अपराध की श्रेणी में डाले.
सायरा बानो अपने पिता इकबाल अहमद के साथ रहती हैं, जो हेमपुर स्थित आर्मी यूनिट में नौकरी करते हैं. उनका एक बेटा और एक बेटी उनके पूर्व पति के साथ रहते हैं. आज सायरा बानो इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं. देश की अनगिनत मुस्लिम औरतों को तीन तलाक के अमानवीय चंगुल से बाहर निकालने में उनकी भूमिका हमेशा के लिए यादगार हो चुकी है. राहुल सिंह शेखावत ने तीन तलाक बिल के राज्यसभा की बाधा पार कर कानून बन जाने के ठीक बाद सायरा बानो से विस्तार से बातचीत की.
आज तीन तलाक के खिलाफ कानून राज्यसभा में भी पास हो गया है, इस पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
मेरे लिए ये बहुत खुशी की बात की बात है कि आखिरकार तीन तलाक के खिलाफ बिल पास हो गया है. लोकसभा में पहले ही पास हो गया था अब राज्यसभा में भी पास हो गया. इसके लिए मैं भाजपा सरकार को मुबारकबाद देती हूं. इस खुशी को मैं लफ्जों में बयां नहीं कर सकती. लेकिन सच कहूं तो लग रहा है कि मेरा ख्वाब पूरा हो गया. इस बिल के बनने के बाद अब देश तीन तलाक के अत्याचार से मुक्त होगा, ऐसी उम्मीद है.
क्या फकत संसद में कानून बन जाने से तीन तलाक रुक जाएगा?
बिल्कुल इस कानून के बनने से तीन तलाक की कुप्रथा पर रोक लगेगी. यकीनन इससे मुसलमान औरतों को फायदा पहुंचेगा. जमाने से तीन तलाक के नाम पर औरतों के साथ जुल्म हो रहा था. देश भर में इसकी शिकार मुसलमान औरतें घुट-घुट कर बेसहारा जिंदगी जीने को मजबूर थी. लेकिन अब कानून बनने से यकीनन बदलाव आएगा. वो फरियाद कर सकती हैं.
हिंदुओं में तो पहले से ही विवाह और तलाक से जुड़े कानून हैं. लेकिन, उसकी जमीनी हकीकत सबके सामने है. फिर आपको कैसे इस क़दर यकीन है कि मुस्लिम औरतों को फायदा पहुंचेगा?
आपकी बात बिल्कुल सही है कि हिन्दुओं के लिये कानून होने के बावजूद दिक्कतें हैं. और ये भी सच है कि सुप्रीम कोर्ट के असंवैधानिक करार देने के बावजूद भी तीन तलाक के मामले जारी हैं. लेकिन अब कानून के जरिए सजा मुकर्रर होने के बाद तीन तलाक देने वालों के मन में डर पैदा होगा. और महिलाओं को न्याय के लिए एक जरिया मिल जाएगा, जिससे मुसलमान औरतों को इस कुप्रथा से बड़ी निजात मिलेगी.
संसद में बिल का विरोध करने वालों की दलील थी कि इससे तलाक की शिकार औरतों को गुजारा भत्ता पाने में भी दिक्कत पेश आएगी.
ये दलीलें मुद्दतों से चले आ रहे जुल्म को बदस्तूर जारी रखने के लिए दी गई थी. आज की तारीख में तीन तलाक की शिकार औरतों की जिंदगी नरक से बदतर है. संसद में हिमायत जताने वाले बताएं कि उन्हें कौन गुजारा भत्ता दे रहा है. ये दलील तीन तलाक को जारी रखने कि खातिर साजिशन दी जा रही है.
ऐसी कौन सी वजहें थी कि दीगर सियासी जमातों के नेता-प्रतिनिधि तीन तलाक कानून की मुखालफत कर रहे थे?
जो मर्द सालों से तीन तलाक के जरिए औरतों पर जुल्म ढा रहे थे वो मजहब की दुहाई देकर इसकी खिलाफत कर रहे थे. लेकिन हर वो औरत इस कानून के हक में थी जिसकी जिंदगी इसकी वजह से तबाह हुई. फर्क सिर्फ इतना है कि दबाव में इस जुल्म शिकार औरतें घर की दहलीज से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं.
तो आपके अंदर ये हौसला कैसे पैदा हुआ?
ऊपर वाले का करम है और हालात ने लड़ने का हौसला पैदा किया. लोग लड़ने के लिए मना करते थे लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. मेरे घरवालों ने इस पूरी लड़ाई में मेरा साथ दिया. पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दिया और अब संसद ने इसके खिलाफ कानून पास कर दिया है. जिसका फायदा आगे हर मुसलमान औरत को मिलेगा. अब रवायतों के नाम पर तीन तलाक देना और हलाला जैसा जुल्म करना गैरकानूनी होगा.
सायराजी इस बिल के पास होने का क्रेडिट आप किसे देंगी?
मोदीजी ने पिछ्ली सरकार में कोशिश की थी, लेकिन तब यह कानून पास नहीं हो पाया. लेकिन उन्होंने चुनावों में वादा किया था और इस बार तीन तलाक देने वाले को सजा देने वाला बिल पास कराने में कामयाबी हासिल की. इसके लिए मैं प्रधानमंत्रीजी को मुबारकबाद देती हूं.
क्या सियासत में किस्मत आजमाने का कोई इरादा है?
मैंने अभी इस बारे में सोचा नहीं, लेकिन मेरी इच्छा है. मुझे पिछले दिनों देहरादून में तीलू रौतेली पुरस्कार मिला था. तब बीजेपी के अध्यक्ष अजय भट्टजी ने बुलाकर कर कहा था कि आप हमारी पार्टी में शामिल हो जाइये. उसके बाद कई बार बातें हुई, लेकिन पता नहीं क्यों मेरी जॉइनिंग नहीं कराई गई.