न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी के असिस्टेंट एडिटर राहुल कोटियाल की ग्राउंड रिपोर्ट को मिला मानवाधिकार श्रेणी में रेड इंक पुरस्कार.
न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी की बस्तर से की गयी रिपोर्ट श्रृंखला को इस साल प्रतिष्ठित रेड इंक अवार्ड दिया गया है. इस रिपोर्ट श्रृंखला को मानवाधिकार श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रिपोर्ट के ख़िताब से नवाज़ा गया है. न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी के असिस्टेंट एडिटर राहुल कोटियाल ने बीते साल ये रिपोर्ट्स दंडकारण्य के जंगलों में बसे कुछ बेहद दूरस्थ गांवों में पहुंचकर की थी. अगस्त 2018 में सुरक्षा बलों ने दंडकारण्य में 16 कथित नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था. सुरक्षा बलों ने इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन मॉनसून’ के तहत हासिल हुई बड़ी कामयाबी बताया था. लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी ने घटनास्थल पर पहुंच कर पाया कि मारे गये 16 लोगों में अधिकतर मासूम गांववासी शामिल थे जिनमें से कुछ की उम्र तो महज़ 13 साल थी.
यह घटना मानवाधिकार हनन के क्रूरतम उदाहरणों में से एक थी. न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी की रिपोर्ट्स में यह तथ्य भी सामने आये कि मानवाधिकार हनन की ऐसी घटनाएं दंडकारण्य में आये दिन की बात हो चली हैं. लाल लकीर के भीतर बसे गांवों के ग्रामीण लगातार सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जारी हिंसा के भंवर में पिस रहे हैं और एक पूरी सभ्यता इस संघर्ष में धीमी मौत मरने को अभिशप्त हो चुकी है.
इन रिपोर्ट्स में ऐसे कई चश्मदीदों के बयान शामिल हैं जो 16 लोगों की मौत के प्रत्यक्षदर्शी थे. इनमें से कुछ लोग तो ऐसे भी थे जिन्हें उस गोलीबारी में गोली लगी थी और वह गोलियां उनके शरीर में मौजूद थीं, लेकिन नक्सलियों और सुरक्षा बलों के भय से ये लोग अस्पताल तक जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे थे. इन रिपोर्ट्स में ऐसी आपबीतियां भी शामिल थी जिन्हें 15-20 दिनों तक बिना किसी लिखा-पढ़ी के सुरक्षा बलों ने अपनी क़ैद में रखा, पूछताछ के नाम पर यातनाएं दी गयी और उनके घरों को उजाड़ दिया गया.
ये रिपोर्ट्स उन उम्मीदों को भी दर्ज़ करती हैं, जो लगातार मानवाधिकार हनन का शिकार होने के बाद भी दंडकारण्य में बसे ग्रामीणों में अभी बाक़ी हैं. मारे गये लोगों के शवों को इन ग्रामीणों ने जलाने के बजाय सिर्फ़ इसलिए दफ़ना दिया था ताकि निष्पक्ष जांच होने की दशा में इन शवों का नये सिरे से पोस्टमार्टम हो सके, जैसा कि बलात्कार के एक मामले में यहां पहले भी हो चुका है.
दंडकारण्य में मानवाधिकार हनन की ऐसी कई कहानियां दफ़्न हैं जो कभी मुख्यधारा के विमर्श का मुद्दा नहीं बन पायी. इन रिपोर्ट्स को जनता तक पहुंचाने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी ने दंडकारण्य के घने जंगलों के भीतर 55 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय की थी. यह रिपोर्ट श्रृंखला कुल तीन भागों में प्रकाशित हुई थी. इसमें एक मुख्य ग्राउंड रिपोर्ट के साथ ही ‘बस्तर डायरी’ के नाम से दो अन्य फ़ीचर रिपोर्ट्स भी शामिल थीं, जो विस्तार से उस समाज का लेखा-जोखा बताती हैं, जो समाज आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत मानवाधिकारों से वंचित है और नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच छिड़े युद्ध की सबसे बड़ी क़ुर्बानी दे रहा है.
पुरस्कृत रिपोर्ट्स को नीचे दिये गये लिंक्स पर पढ़ा जा सकता है: