सिल्वर टच आईटी फ़र्म के प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार के साथ क़रीबी संबंधों को फेसबुक चतुराई से छुपा गया.
फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फ़ेक न्यूज़ की आवाजाही लगी रहती है. यह आज उतनी ही सामान्य बात है, जितना सामान्य राजनीतिक दलों द्वारा आईटी सेल बनाना और सोशल मीडिया माध्यमों पर ट्रोलिंग सेना खड़ी कर देना. इसे कुछ यूं भी कहा जा सकता है कि आईटी सेल दस्तों की ट्रोलिंग सेना शुरुआत है, वहीं फ़ेक न्यूज़ परिणाम.
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Contributeफेसबुक ने भारत में 700 से ज्यादा पेजों, ग्रुप और अकाउंट को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया है. इनके बारे में फेसबुक का कहना है कि ये ग़लत जानकारी फैलाने का काम करके फेसबुक के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे. फेसबुक ने कहा है कि हटाये गये पेज, ग्रुप या अकाउंट को उनके व्यवहार के आधार पर हटाया गया है, न कि पोस्ट की गयी सामग्री के आधार पर. इन्हें चलाने वाले लोग फर्जी अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे थे.
फेसबुक ने अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस का बाकायदा नाम लेते हुए, उससे जुड़े लोगों द्वारा संचालित 687 पेज व अकाउंट हटा दिये. इनके दो लाख से ज़्यादा फॉलोवर्स थे. फेसबुक की जानकारी के मुताबिक ये पन्ने अगस्त 2014 में शुरू होने के बाद से अपने पोस्ट की पहुंच बढ़ाने के लिए फेसबुक विज्ञापनों पर 39,000 डॉलर (लगभग 27 लाख रुपये) से ज्यादा खर्च किये थे. फेसबुक ने इसी क्रम में एक आईटी कंपनी ‘सिल्वर टच’ का नाम भी लिया है और उसके 15 फेसबुक पेज, ग्रुप व अकाउंट हटा दिये हैं. जून, 2014 से संचालित हो रहे सिल्वर टच के पेजों, ग्रुप और अकाउंट के लगभग 27 लाख फॉलोवर्स थे. अपने पोस्ट की पहुंच बढ़ाने के लिए उन्होंने 48 लाख से ज़्यादा का खर्च फेसबुक विज्ञापनों पर किया था. फेसबुक ने इस कंपनी का नाम लेते समय बहुत चालाकी से कुछ जानकारियां छिपा लीं, ये जानकारियां सिल्वर टच के सत्ताधारी दल भाजपा से बेहद करीबी संबंधों की ताकीद करती हैं.
अहमदाबाद स्थित आईटी फर्म ‘सिल्वर टच’ भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा की बहुत क़रीबी रही है, इतनी क़रीबी रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘नमो एप’ इसी कंपनी ने डेवलप किया है. लेकिन इस सच्चाई को जानते हुए भी फेसबुक ने जिस हिम्मत से कांग्रेस का नाम लिया, भाजपा का नाम लेने में उसका साहस चुक गया.
फेसबुक पर कुछ कहने से पहले, सिल्वर टच और भाजपा के संबंधों पर प्रकाश डालना जरूरी है. इसी साल के शुरुआती महीने में पत्रकार समर्थ बंसल ने देश में फ़ेक न्यूज़ के चलन और मोदी सरकार के इस चलन से सीधे संबंध को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में सामने आया था कि लाखों यूजर्स द्वारा फ़ॉलो किये जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नमो एप’ के माध्यम से फ़ेक न्यूज़ फैलाया जा रहा है. नमो एप फ़ेक न्यूज़ परोसने वाले अकाउंट्स को प्रचारित करता पाया गया था.
नमो एप के ‘माय नेटवर्क’ सेक्शन में मौजूद अकाउंट्स में से एक ‘द इंडिया आई’ भी था. रिपोर्ट के अनुसार द इंडिया आई को अनफॉलो करने बावजूद उसके पोस्ट एप के नेटवर्क फीड में आते हैं. गौरतलब है कि हाल में फेसबुक द्वारा हटाये जाने से पहले द इंडिया आई फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया माध्यमों पर बड़े पैमाने पर फ़ेक न्यूज़ परोसने का काम करता रहा है. अगर इनके फैलाये फ़ेक न्यूज़ की प्रकृति पर नज़र डाली जाये, तो भाजपा की पिछले पांच वर्षों की राजनीति ही उनसे प्रतिबिंबित होती है. इनमें बड़ी मात्रा में गाय-गोमूत्र, हिंदू-मुसलमान-पाकिस्तान, राम मंदिर, देशद्रोही-भक्त, खांग्रेसी, आपिया से संबंधित सूचनाएं होती हैं. इनमें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशों से लेकर राष्ट्रवाद की बहस में फंसानेवाली उन्मादी तस्वीरें, पोस्टें शामिल हैं.
(द इंडिया आई के काम का एक नमूना, स्रोत: ऑल्ट न्यूज़)
फ़ेक न्यूज़ का खुलासा करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने सितंबर, 2018 में द इंडिया आई की पड़ताल की थी, जिसमें सामने आया था कि ‘हीमैन नमो (@HemanNamo)’ ट्विटर हैंडल और द इंडिया आई आपस में जुड़े हुए हैं. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में सामने आया था कि इस हैंडल को संचालित करने वाला व्यक्ति हिमांशु जैन द इंडिया आई से जुड़ा हुआ था. यहां ध्यान दिया जाये कि हिमांशु जैन ही आईटी फ़र्म सिल्वर टच के भी निदेशक हैं और द इंडिया आई डॉट भी इनके नाम और फ़ोन नंबर से ही पंजीकृत था. यहां तक कि द इंडिया आई डॉट कॉम को होस्ट करने के लिए भी सिल्वर टच कंपनी के सर्वर का ही इस्तेमाल किया गया था.
सिल्वर टच का भाजपा टच
अब आते हैं सिल्वर टच पर. सिल्वर टच अहमदाबाद से चलने वाली आईटी कंपनी है और ई-गवर्नेंस के लिए सेवाएं देने का काम करती है. सिल्वर टच ने 2014 के बाद से ही मोदी सरकार के लिए कई योजनाएं पूरी की हैं. लेकिन ‘नमो एप’ बनाने के लिए कंपनी को सबसे ज़्यादा जाना जाता है. एनडीटीवी की साल 2017 की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि सिल्वर टच के उस वर्ष के 62.5 करोड़ रुपये के काम के ठेकों में 53 फीसदी सरकारी थे.
(सिल्वर टच के प्रबंध निदेशक विपुल ठक्कर के कुछ ट्वीट, स्रोत: ऑल्ट न्यूज़)
सिल्वर टच के निदेशक हिमांशु जैन अपने ट्विटर हैंडल @HemanNamo से भाजपा के समर्थन में हैशटैग चलाने और ट्रेंड कराने का काम भी करते हैं. ऑल्ट न्यूज़ के खुलासा करने के बाद उन्होंने अपने हैंडल का नाम बदलकर @NamoNews2019 कर लिया है. एक चीज़ बस नहीं बदली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी उन्हें फॉलो करते थे, आज भी करते हैं.
सिल्वर टच के प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार के साथ क़रीबी संबंध हैं. लेकिन यह सबकुछ फेसबुक नज़रअंदाज कर रहा है और भाजपा का नाम लेने से बच रहा है. पहले भी फेसबुक पर सरकार की आलोचना करने वाले लोगों के अकाउंट बंद करने, वहीं फ़ेक न्यूज़ परोसने वालों पर कोई कार्रवाई न करने जैसे आरोप लगते रहे हैं.
इस बात को भी नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए कि फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाले भाजपा समर्थित पेज फॉलोवर्स के बीच सांप्रदायिकता और उग्र राष्ट्रवाद के माध्यम से ध्रुवीकरण का प्रयास करते हैं. भाजपा के आईटी सेल की ट्रोलिंग सेना सरकार पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही बताने, महिलाओं को अश्लील गालियां, धमकियां देते दिखायी देती है. ज़ाहिर सी बात है कि एक के ग़लत से दूसरे को सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन यह तथ्य है कि फेसबुक भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान में बैठी सरकार के समर्थक ट्रोल्स के प्रति उतना मुखर नहीं दिखायी दे रहा है, जितना वह दुनिया के सामने निष्पक्ष होने का दावा करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मार्क जुकरबर्ग की गले लगने वाली तस्वीरों से किसी को कोई समस्या नहीं है, समस्या फेसबुक का खुला पक्षपात है.
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