सीबीआई और ईडी के शिकंजे में होने के बावजूद संदेसरा ग्रुप को मिलेगा 1500 करोड़ का पोर्ट प्रोजेक्ट

राज्य सरकार ₹1,500 करोड़ का पोर्ट प्रोजेक्ट संदेसरा समूह को देने जा रही है. यह एक बड़ी चूक है या गुजरात सरकार लोगों को धोखा दे रही है?

WrittenBy:गौरव सरकार
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आप मानें या न मानें, गुजरात सरकार संदेसरा ग्रुप को 1500 करोड़ रुपए का पोर्ट प्रोजेक्ट देने जा रही है.

सितम्बर 2018 में जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक वाइब्रेंट गुजरात-2019 प्रेजेंटेशन के स्लाइड नंबर 16 में ‘संदेसरा समूह के लिए 41 एमएमटीपीए पोर्ट’ का प्रस्ताव दिया गया है. यह जानकारी गुजरात पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोकेमिकल निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) की वेबसाइट पर उपलब्ध है. यह साफ तौर पर बताता है कि ‘संदेसरा समूह’ के लिए 41 एमएमटीपीए पोर्ट के साथ 1,500 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है.

मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने संदेसरा समूह के स्वामित्व वाली दवा कंपनी स्टरलाइन बायोटेक लिमिटेड (एसबीएल) समूह पर इसी साल अक्टूबर में 5,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में फौजदारी का मुकदमा नई दिल्ली की विशेष पीएमएलए कोर्ट में दायर किया है. क्या इसकी जानकारी गुजरात सरकार को नहीं है?

मुंबई मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने कहा, “संदेसरा समूह ने बैंको से बड़ा लोन लेने के लिए साजिश रचते हुए बैलेंस-शीट के साथ छेड़-छाड़ की है. लोन लेने के बाद गलत तरीके से कंपनी के प्रमोटर्स ने उस पैसे को व्यक्तिगत कामों में लगाया.”

5,000 करोड़ की गड़बड़ी के मामले में ईडी के साथ-साथ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी जांच कर रही है. साल 2016 में वड़ोदरा में सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की बेटी की शाही शादी हुई थी. इसकी जांच के सिलसिले में अस्थाना और चेतन संदेसरा के संबंधों का खुलासा 25 अक्टूबर, 2018 को हुआ.

इस मामले में अतिरिक्त निदेशक की अगुवाई में हुई जांच में करीब दर्जन भर लोगों से पूछताछ हुई. चार होटल, लक्ष्मी विलास पैलेस, होटल एक्सप्रेस टॉवर, सनसिटी क्लब एण्ड रिसॉर्ट और सूर्या पैलेस होटल ने सीबीआई से खर्च का ब्यौरा साझा किया है.

इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई को ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिससे पता चलता है कि चेतन संदेसरा के फार्म हाउस पर संगीत समारोह का आयोजन किया गया था. मालूम हो कि जांच में नवंबर 2016 में हुए विवाह में अस्थाना और चेतन संदेसरा के बीच दोस्ताना संबंध का पता चला था. हालांकि तब संदेसरा जांच के घेरे में नहीं थे.

हालांकि सीबीआई और ईडी के पास फिलहाल संदेसरा बंधुओं के ठिकानों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में गुजरात सरकार किस आधार पर समूह को परियोजना सौंपने की तैयारी कर रही है? परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी किस पर होगी?

इसी साल सितंबर की शुरुआत में चेतन संदेसरा के भाई नितिन संदेसरा के बारे में जानकारी जुटाने के लिए सीबीआई की टीम ने नाइजीरिया का दौरा किया था. इसके ठीक एक दिन बाद खबर आई कि 5,000 करोड़ रुपए के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में आरोपी नितिन संदेसरा यूएई फरार हो गए हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने नाइजीरिया इंटरपोल से देश लौटने पर जानकारी साझा करने का निवेदन किया था.

23 अक्टूबर, 2018 तक संदेसरा समूह की कुल लोन धोखाधड़ी की रकम 8,100 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी थी. इनमें 3,675 करोड़ रुपए घरेलू लोन और 4,425 करोड़ रुपए विदेशी लोन की रकम शामिल है. बैंक की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक सीबीएल समूह पर कुल 13,750 करोड़ की देनदारी है.

साल 2011 में आयकर विभाग की ओर से संदेसरा परिसर में हुई छापेमारी में जब्त किए गए डायरी में “आरए” कोडवर्ड में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम भी शामिल था. अगस्त 24 को अस्थाना ने कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र में अपने बचाव में कहा कि डायरी में ‘आरए’ का अर्थ रनिंग एकाउंट है. मामले में ईडी या सीबीआई ने अपने एफआईआर में अस्थाना का नाम शामिल नहीं किया था.

सीबीआई और ईडी परत-दर-परत संबंधों को सामने ला रही है. इसके बाद भी संदेसरा समूह को पोर्ट प्रोजेक्ट देने की योजना बनाकर अनजाने में गुजरात सरकार बड़ी गलती कर रही है. या सरकार के बारे में ऐसी जानकारी है जिसके बारे में किसी को पता नहीं है— सीबीआई और ईडी को भी नहीं.

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