डीयू इलेक्शन: दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव में भी फेल हुई ईवीएम

8 उम्मीदवारों और 9वें पर नोटा के बावजूद ईवीएम में मौजूद थे 10 बटन. किसने डाले 10वें नंबर पर वोट?

WrittenBy:अमित भारद्वाज
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बुधवार, 12 सिंतबर, 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के मतदान हुए थे. आज चुनाव के नतीजे आने थे लेकिन शुरुआती मतगणना के बाद काउंटिंग को रोक दी गई है.

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छात्रों का आरोप है कि ईवीएम में गड़बड़ी की गई है. 6 ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की सूचना मिली है. 5 मशीनों में 10वें नंबर के बटन पर वोट पड़े हैं वहीं एक ईवीएम में डिसप्ले खराब होने की सूचना है.

ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कर्नाटक के चुनाव में गड़बड़ी सामने आई, फिर गोरखपुर के लोकसभा उपचपुनाव में यह गड़बड़ी देखने को मिली. 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे. इसके बाद यह मामला राजनीतिक सुर्खियों में आ गया था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया. दबाव में चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीनों को पूरी तरह से सुरक्षित बताते हुए इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ को असंभव बताया था.

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में विवाद की वजह दिलचस्प है. डूसू सेक्रेटरी के पोस्ट पर कुल 8 उम्मीदवार खड़े थे. 9वां बटन नोटा का था. जबकि जब ईवीएम में कुल 10 बटन थे. इस अतिरिक्त बटन का तर्क किसी को समझ नहीं आया. काउंटिंग शुरू होने पर पाया गया कि 10वें बटन पर 40 से ज्यादा वोट पड़े हैं. जब छात्रों ने चुनाव अधिकारियों से इसकी शिकायत की, तो चुनाव अधिकारी ने कहा कि “आपस में देख लो.” अधिकारियों के इस जवाब से मामले ने तूल पकड़ लिया और छात्रों के बीच झड़प हो गई. नतीजा यह हुआ कि काउंटिंग को दूसरी बार भी रोकना पड़ा. सुबह में भी ईवीएम में गड़बड़ियों का हवाला देते हुए काउंटिंग रोका गया था.

यह स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन की खामियों की तरफ इशारा करता है. यह समूची चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाता है.

काउंटिंग रोके जाने तक छह राउंड की गिनती हो चुकी थी, जिसमें कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई अध्यक्ष और सेक्रेटरी के पद पर आगे चल रही थी.

चीफ इलेक्शन कमीशन प्रो. वीएस पॉल ने मीडिया से कहा, “फिलहाल आज के दिन के लिए काउंटिंग बंद कर दी गई है. चुनाव आयोग शाम को बैठक करेगा और उसके बाद अंतिम निर्णय सुनाएगा.”

एनएसयूआई के उपाध्यक्ष कुणाल सेहरावत जो कि मतगणना केन्द्र के भीतर ही मौजूद थे, उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “2019 लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, यही कारण है कि एनएसयूआई को रोकने के लिए इतने षड्यंत्र रचे जा रहे हैं.”

एबीवीपी की नेशनल मीडिया कंवेनर मोनिका चौधरी ने एनएसयूआई के आरोपों का खंडन किया और कहा, “चूंकि एनएसयूआई चुनाव हार रही है इसीलिए वह ईवीएम का मुद्दा उठा रही हैं. हम चाहते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन मतगणना आरंभ करे.”

एक ओर एनएसयूआई और तमाम विपक्षी संगठन एबीवीपी और विश्वविद्यालय प्रशासन पर धांधली का आरोप लगा रहे हैं. वहीं एबीवीपी दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के अड़ियल रवैये का विरोध कर रहा है.

कुणाल के मुताबिक, “जब सेक्रेटरी पद के उम्मीदवार ही 8 थे. 9वां नोटा था. वहां 40 वोट 10वां नंबर के बटन पर पड़ रहे हैं, जिसपर कोई उम्मीदवार ही नहीं था. यह कैसे संभव हुआ? इसका जवाब हमें डीयू प्रशासन क्यों नहीं दे रहा है?”

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों के लिए करीब 44.46 प्रतिशत मतदान हुआ था. मोटे तौर पर मतदान शांतिपूर्ण रहा था.
सीवाईएसएस की ज्वाइंट सेक्रेटरी पीहू दास ने कहा, “जिस तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव प्रक्रियाओं का माखौल बना रहा है, वह लोकतंत्र ही हत्या है. हमारी मांग है कि मतगणना जल्द से जल्द बहाल की जाए.”

यह शायद दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हो रहा है जब काउंटिंग को इस तरह से रोक दिया गया है. चुनाव परिणामों पर संशय के बादल घिर आए हैं, जहां यह भी मालूम नहीं चल पा रहा है कि चुनाव कैंसिल होंगे, दुबारा होंगे या विश्वविद्यालय यथास्थिति बनाये रखते हुए काउंटिंग शुरू करेगा.

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