न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी की दो हिस्सों की इस श्रृंखला में पढ़िए उत्तराखंड में किस तरह से अफवाहों के जरिए फिरकापरस्ती और हिंसा को रचा और अंजाम दिया जा रहा है.
अपनी शांति और शीतलता के जाने जाने वाले उत्तराखंड के पहाड़ हाल के दिनों में काफी गर्म रहे हैं. सिर्फ जंगलों में लगी उस आग के कारण ही नहीं जो आजकल सुर्ख़ियों में है, बल्कि सांप्रदायिक द्वेष की उस ज्वाला के कारण भी है जो बीते कुछ सालों से समय-समय पर यहां भड़कती रही है. इस ज्वाला ने पूरे पहाड़ को एक ऐसे ज्वालामुखी में बदल दिया है जो सांप्रदायिकता की हल्की-सी हवा लगते ही भभक उठता है. रामनगर के गर्जिया मंदिर की हालिया घटना इसका छोटा-सा, लेकिन सबसे ताज़ा उदाहरण है.
बीते तीन-चार सालों में उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में सांप्रदायिक तनाव की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं. अगस्त्यमुनि, सतपुली, कोटद्वार, देहरादून, काशीपुर और हल्द्वानी की घटनाएं इनमें प्रमुख हैं. इन घटनाओं पर अगर बारीकी से गौर करें तो इनमें एक निश्चित पैटर्न भी नज़र आता है. ऐसी हर घटना की शुरुआत या तो किसी अफवाह के फैलने से होती है या किसी ऐसे अपराध के घटित होने की खबर फैलने से जिसमें आरोपित कोई मुस्लिम हो.
मुस्लिम आरोपित होने की बात सामने आते ही कहीं से एक हिंसक भीड़ सामने आ जाती है. ये भीड़ खुद ही आरोपित को सजा देने पर आमादा होती है. न्याय के नाम पर यह भीड़ कभी आरोपित को पीटती है, कभी मुस्लिम समुदाय की दुकानों/मकानों और बस्तियों में तोड़-फोड़ और आगजनी करती है. इस उन्मादी भीड़ का कोई एक चेहरा नहीं होता लेकिन थोड़ी सी मेहनत करके इसके नेतृत्व को पहचाना जा सकता है.
ये नेतृत्व हमेशा एक-से ही लोगों के हाथ में होता है. गले में भगवा गमछा डाले ये लोग या तो बजरंग दल/विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े होते हैं या ऐसे ही किसी स्वनामधन्य हिन्दू संगठनों से. जैसे कि ‘वीर सावरकर सेना’, ‘हिन्दू सेना’, ‘हिन्दू रक्षा दल’, ‘हिन्दू रक्षा मंच’, ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ आदि.
पहाड़ की शांत वादियों में नफरती हिंसा की इन घटनाओं में बीते तीन-चार सालों के दौरान ही तेजी क्यों आई है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए उस माहौल को समझना जरूरी है जिसके चलते ऐसी घटनाएं हो रही है. वह माहौल जो पहाड़ में सांप्रदायिकता का ज़हर घोल कर तैयार किया जा रहा है. वह माहौल जो हरे-भरे पहाड़ों में ‘हरे रंग’ का ही खौफ पैदा कर बनाया जा रहा है. वह माहौल जो यहां के बहुसंख्यक समुदाय में के मन में यह डर पैदा करता है कि मुसलमान धीरे-धीरे उसके संसाधनों से लेकर उसके धर्म तक पर हावी हो रहे हैं.
उत्तराखंड के पहाड़ों में मुस्लिम आबादी न के बराबर है. 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि पूरे राज्य में मुस्लिम आबादी 13.95 प्रतिशत है. इस आबादी का भी बड़ा हिस्सा प्रदेश के दो-तीन मैदानी जिलों में सीमित है. पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसा एक भी जिला नहीं है जहां मुस्लिम आबादी चार प्रतिशत से ज्यादा हो. पौड़ी जिले में सिर्फ 3.34 प्रतिशत मुस्लिम हैं और चम्पावत जिले में 3.35 प्रतिशत. इसके अलावा अल्मोड़ा, टिहरी, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी में मुस्लिम आबादी डेढ़ प्रतिशत से भी कम है. बागेश्वर और रुद्रप्रयाग जिले में तो यह आबादी एक प्रतिशत भी नहीं है.
जनसंख्या के ऐसे आंकड़ों के बावजूद जब पहाड़ सांप्रदायिक तनाव की आग में झुलसते हैं तो उस माहौल को समझना और भी जरूरी हो जाता है जो इन घटनाओं की जमीन तैयार कर रहा है. इस माहौल को तैयार करने में सोशल मीडिया का सबसे अहम योगदान है. फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे मंच आज इतने प्रभावशाली बन चुके है कि ये किसी भी विमर्श को रातों-रात खड़ा करने में सक्षम हैं. इनमें से व्हाट्सएप सबसे ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यहां भ्रामक, तथ्यहीन बहुधा फेक सूचनाओं के आधार पर जनमत तैयार करना आसान है.
व्हाट्सएप एप्लीकेशन की नीतियां ऐसी हैं कि इसमें कोई व्यक्ति क्या संदेश दूसरे को भेज रहा है, यह मालूम नहीं किया जा सकता. कंपनी दावा करती है कि उपभोक्ता द्वारा भेजे गए किसी भी संदेश को खुद कंपनी भी नहीं देख सकती. ऐसे में व्हाट्सएप पर आने वाले संदेशों का मूल स्रोत मालूम नहीं चल पाता और यही भ्रामक जानकारियों या अफवाहों के फैलने का एक बड़ा कारण बनता है.
उत्तराखंड में व्हाट्सएप के जरिये मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किस तरह से नफरत का माहौल तैयार किया जा रहा है, इसकी पड़ताल करने के लिए इस रिपोर्टर ने प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बने ढेर सारे व्हाट्सएप ग्रुप्स को खंगाला. इनमें से कोई भी ग्रुप ऐसा नहीं था जो किसी ख़ास राजनीतिक उद्देश्य से बनाया गया हो या जिसमें सिर्फ एक ही राजनीतिक विचारधारा वाले लोग शामिल हों. हमारे द्वारा सैंपल के तौर पर लिए गए अधिकतर ग्रुप्स ऐसे थे जो क्षेत्र के आधार पर अमूमन इन दिनों लगभग हर जगह ही बने हुए होते हैं. नफरत फैलाने वाले जो संदेश इनमें से लगभग हर ग्रुप में समान रूप से देखने को मिले, उन पर एक नज़र डालते हैं: (इन संदेशों को यहां इनके मूल स्वरुप में प्रकाशित किया जा रहा है इसलिए वर्तनी की गलितयों में कोई सुधार नहीं किया गया है)
व्हाट्सएप का ज़हर
‘नौछमी नारेंण (नारायण दत्त तिवारी) के युग में पहाड़ों में मुसलमान और सूअर दोनों को खूब बसाया गया. ये मुसलमान और सूअर अब उत्तराखंडियों के लिए किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं. जिस प्रकार से उत्तराखंड से कांग्रेस को नेस्तनाबूद कर दिया गया है, जरूरी है कि उनकी इस करतूत को भी नेस्तनाबूद कर दिया जाए और मुसलमान एवं सुवर विहीन हमारा उत्तराखंड हो जाये. नहीं तो वो दिन बहुत दूर नहीं जब उत्तराखण्ड कश्मीर बन जाये.’
‘एक तरफ ये आतंकवादियों के आका श्री बद्रीनाथ धाम को मजार बता रहे हैं और दूसरी तरफ कुछ हिन्दू लोग मुसलमान साईबाबा को भगवान मान रहे हैं. आंखे खोलिए और सोचिये कि आप देवभूमि उत्तराखंड के हैं, इतना डर क्यों है आपके मन में कि एक मुसलमान का भक्त बनना पड़ा आपको.’
इन संदेशों में अधिकतर मुसलमानों की बढ़ती आबादी की भ्रामक तस्वीर पेश करते हैं और हिन्दुओं में यह डर पैदा करते हैं कि जल्द ही इस देश में मुसलमानों का राज हो जाएगा. उत्तराखंड के संदर्भ में यह बात भी लगातार फैलाई जा रही है कि:
‘पहाड़ के गांव पलायन के कारण खाली हो रहे इसलिए बाहरी मुल्लों की नज़र में ये बसने की सबसे अच्छी जगह बन गए है. पहाड़ों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान तेजी से बस रहे हैं. यदि इन्हें रोका नहीं गया तो जल्द ही उत्तराखंड भी कश्मीर बन जाएगा. जागो पहाड़ी भाइयों. इस मेसेज को ज्यादा से लोगों को सेंड करो.’
लगभग इस तर्ज पर जनसंख्या की आंकड़ों की भ्रामक तस्वीरें पेश करते कई संदेश भी यहां फैलाए जा रहे है:
‘बस और कुछ सालों तक होली दिवाली मना लिजीये. दिवाली, होली, शिवरात्री, जन्माष्टमी, करवाचौथ, मकर संक्रांति, बैशाखि, पोंगल, दुर्गा पुजा, बिहु. ये सब कुछ साल हीं चलेंग. जानना चाहेंगे क्यों? The Institute of World Demographics Research ने भारत का धार्मिक जनगणना का डाटा 1948 से 2017 तक निकाला है और 2041 तक जनसंख्या का अनुमान बताया है.’
Year- 1948
Hindu : 88.2 %
Muslim: 6 %
Year- 1951
Hindu: 84.1 %
Muslim: 9.8 %
Year- 2011(Estimated )
Hindu: 79.8 %
Muslim: 15.0%
Year- 2011 (Official)
Hindu: 73.2 %
Muslim: 22.6 %
Year- 2017 (Actual)
Hindu: 68.6 %
Muslim: 27.2 %
Year- 2021(Estimated)
Hindu: 65.7 %
Muslim: 32.8 %
Year- 2031 (अनुमान)
Hindu: 60.4 %
Muslim: 38.1 %
भारत का पहला मुस्लिम प्रधानमंत्री 2030 General Elections में बनेगा.
Year- 2037 (अनुमान)
Hindu: 55.0 %
Muslim: 43.6 %
Year- 2040 (अनुमान)
Hindu: 30.5%
Muslim: 66.9%
Ghazwa-e-Hind mission of Muslims completed.
Year- 2041 (अनुमान)
Hindu: 11.2 %
Muslims: 84.5 %
अभी भी समय है. अगर अभी भी एकता नहीं दिखायेंगे तो मिटने के लिये तैयार रहें. अगर आपकी आत्मा कहती है तो कम से कम 10 लोगो को ये massage भेजें और राष्ट्र निर्माण में सहयोग करे.’
जनसंख्या के झूठे और भ्रामक आंकड़ों के साथ ही यहां कई संदेश आतंकवादियों के हवाले से भी भेजे जा रहे हैं. ऐसे संदेशों के माध्यम से लोगों में यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि कैसे इस्लाम भारत के अलग-अलग शहरों में अपने पैर पसार रहा है:
*हाफिज सईद का फतवा..*
अगर आपके पास थोडा भी समय हो तो पाकिस्तान से आये हुये इस पत्र जो की भारत की 3.5 लाख वहाबी मस्जिदों मे हर जुम्मे को पढ़ा जाता है… अवश्य पढ़ें …और आप ना भी पढ़े तो कम से कम अपने मासूम बच्चों को अवश्य पढ़ायें …ताकि वो अपनी जिंदगी..एक मासूम बनकर ना जियें!
*उर्दू फारसी पत्र की सत्यप्रति786*
*पैगाम इस्लाम*
आप सबको गुजारिश है कि हमने हिन्दुस्तान पर 800 साल हुकूमत की है। अब भी हमारी हुकूमत चलती है पर सीधी तरह से नहीं। सब पार्टियां और इनके काफिर नेता हमारे इशारे पर नाचते हैं। (हमको आज मदरसों, मस्जिदों और हज के लिये पैसा मिलता है।) 2004 और 2009 के चुनाव में हिन्दुओं की पार्टी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी मगर हमारी पूरी हुकूमत तो तब मानी जायेगी जब पूरा हिन्दुस्तान इस्लाम के झण्डे के नीचे होगा। जल्दी ही हमारे मुजाहिद्दीन लड़ाके सफ़ेद दाड़ी वाले गुजराती को मार देंगे फिर हिन्दुओं का अंतिम रहनुमा भी हमारे रास्ते से हट जायेगा ! इसलिये हर मुसलमान का फर्ज है कि खाना जंगी के लिये तैयार रहें। इसके लिये हथियारों के अलावा बम्ब बनाना सीखें और कुरान की 24 आयातें रोज पढ़ें और उसी के मुताबिक काफिरों के मारने, जलाने और धोखे से पकड़ने का काम सरंजाम दें और उनको लूट और उनकी औरतों को भगा कर शादी करें। वैसे तो ये सिलसिला 70 साल से चल रहा है। पर अब पूरा जोर तब लगायें जब खाना जंगी के लिये आईएसआई और इंडियन मुजाहिद्दीन के लिये हुकुम देंगे।
हर मुसलमान को दूसरा कलमा रोज पढ़ना चाहिये। वो यह है- हंस के लिये लिया है पाकिस्तान और लड़के लेंगे हिन्दुस्तान।
अगरचे मदरसा जैल बातों पर आप लोग चल रहे हो फिर भी तबज्जो दें।
1- *बिजनौर यू0पी0 फार्मूलाः-* यहां पर मुसलमान जवान लड़के हिन्दुओं से दोस्ती करके अपने घर बुलाकर मछली, मुर्गा खिलाते हैं और फिर काफिरों के घर उनकी औरतों से यारी करके फंसाते हैं। ये औरतें मुसलमानों को माल भी खिलाती हैं और पैसा भी देती हैं। बहुत सी काफिर लड़कियों ने मुसलमानों से शादी कर ली है। वाह अल्ला तेरा शुक्र है।
2-बोतल फार्मूला-* गरीब बस्तियों में काफिरों को ज्यादा शराब पिला कर नामर्द बनाओ और उनकी औरतों से ऐश करो। 9 करोड़ हिंदु तो मुसलमानों से मिल चुके हैं और उनकी औरतें तो आराम से मुसलमानों के बगल में आ जाती हैं।
3 *-चोरी डकैती-* काफिरों के घरों में धोखा देकर चोरियां करो उनके खेतों की फसल काटो और उनके जानवरों की भी चोरी करो।
4- *शहरी फार्मूला-(1)* मुसलमान अकल से काम लें, अपने छोटे लड़कों को काफिरों के घर नौकर रखो और 25/25 बच्चे कैसे पालोगे, 8/10 साल के बाद आपके बच्चे जवान होकर घर की हिन्दू औरतों से दोस्ती करेंगे और ऐश के साथ-साथ पैसा भी खूब मारेंगे।
*शहरी फार्मूला-(2)* मुसलमान जवान नौकर, ड्राइवर, खानसामा, रोटी पकाने वाला, माली, चैकीदार बन हिन्दू नामों से रहो और मौका मिलते ही उपर वाली बातों पर अमल करें। इसके अलावा उनकी गाड़ियों, स्कूटरों वगैरा भी चोरी कर सकते हैं। ये शहर के इमाम से हर तरह के उस्तादों का पता लग जायेगा। काफिरों को जब अपनी औरतों के बारे में पता लगा तो उन्होंने नौकरी से निकालने की कोशिश की तो औरतें ही कहने लगी-अच्छा भला ईमानदारी से काम करता है इसे नौकरी से क्यों निकालते हो। कई बार औरतें मुसलमानों के साथ भाग गईं। कई मुसलमान निकाले जाने के बाद दिन में जब काफिर घर पर नहीं होते आकर ऐश, ईशरत करते हैं। माल खाते हैं और पैसे भी ले जाते हैं। या अल्ला तेरा शुकर है तूने किसलिये हिन्दू को अंधा बनाकर रखा है, जिसको पैसा कमाने के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता। ये इस्लाम की जीत है।
*जेहाद-* खाना जंगी के जेहाद में यदि मुसलमान शहीद होगा तो उसे जन्नत मिलेगी, अगर जिन्दा बचता है तो हिन्दुस्तान के काफिरों की सारी जायदादें मुसलमानों को मिलेंगी और सारी हिन्दू औरतें भी मिलेंगी तो यह भी जन्नत होगी। जैसे पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश की सब कोठियां बंगले मुसलमानों को मिले थे। जेहाद के लिये 2 लाख सीमी के जवान 1 लाख अलकायदा के लिये मुसलमान तैयार हैं। अब हम 20 करोड़ हो गये हैं इसके अलावा 5 करोड़ बंग्लादेशी जिसमें 1 लाख मुजाहिद्दीन लड़ाके हैं। इसलिये घबराने की जरूरत नही है। हिन्दुस्तान की मिलिट्री में भी काफी मुसलमान हैं और बहुत से तो हिन्दू नामों से भर्ती हैं। पुलिस में भी काफी मुसलमान हैं और वक्त आने पर काफिरों को दोजख पहुचायेंगे।
आम हिन्दू लोगों में मुसलमानों के लिय नरम रूख है जिसकी वजह ऊपर बतायी वजह हिन्दू औरतों से दोस्ती है। केरल, मद्रास और हैदराबाद में काफी असलाह पाकिस्तान और अरब मुल्कों से आ चुका है। बिहार में चीन और बांग्लादेश से 60 हजार एके-47 आ चुकी हैं। इसलिये लाल किला पर झण्डा जल्दी झूलेगा।
अरब मुल्कों में हिन्दू औरतों को नर्स, आया, खाना बनाने वाली बनाकर ज्यादा से ज्यादा भेजें। अच्छी तनख्वाह के लालच में गरीब व दरम्यान घर की लड़कियां खुशी से जाती हैं और वहां जाकर रात को सारी की सारी अरबों के पास सो जाती हैं और मुसलमानों की आबादी बढ़ाने में काफी मददगार हैं।
*हिन्दू लड़की से शादी, ::-+-*
हिन्दू लड़की जो भगाकर लायी जाये उसे 2 दिन भूखा रखें फिर अच्छा-अच्छा खाना दें। उनकी सतत या खतना जरूर करायें। अगर उसके रिश्तेदार कोर्ट केस करें तो कोर्ट में ले जाने से पहले 50/60 बंदूकों के हथियार दिखायें और खबरदार करें। अगर हमारे खिलाफ बयान दिये तो तेरे भाई और खानदान को भून देंगे। ऐसी लड़की को वश में करने वाले ताबीज पहनाना न भूलें। ये भी कमाल का काम करता है।
*हरियाणा के मुसलमानों का कमाल- ::–* गांधी की मेहरबानी से मेवात के मुसलमान पाकिस्तान नही गये थे। पिछले 15 सालों से 40 लाख मुसलमान बिहार, यूपी, राजस्थान में आकर बस गये हैं। 70 फीसदी तो हिन्दू नामों से रह रहे हैं और ऊपर लिखी बाते अच्छी तरह सरंजाम दे रहे हैं।
पंजाब में भी लाखों मुसलमान पहुंच चुका है। वक्त आने पर ये सब जेहाद के लिये कुरान के मुताबिक काफिरों को दोजख पहुचाने के लिये तैयार हैं। अल्ला हमारे साथ है।
*काफिरों का बंटवारा::+*–
वैसे तो हिन्दू जांत-पांत में बंटा है आप लोग इनके SC/ST के दिमाग में हिन्दुओं के लिये खूब नफरत भरें कि हिन्दुओं ने इनके ऊपर सैकड़ों साल जुल्म ढाये। मुसलमानों शाबास।
*आसाम और कश्मीर- ::*
आसाम और कश्मीर पर तो मुसलमानों का कब्जा हो चुका है। सारे बुतखाने तोड़ दिये गये हैं। महलों व सड़कों का नाम बदलकर जिन्हा रोड व अली रोड कर दिये हैं। आसाम पर भी काफी हद तक मुसलमानों का कब्जा है। काफिरों का कत्ल करके दहशत फैला कर भगाया जा रहा है। इस तरह कश्मीर की तरह हिन्दुओं की जायदाद व औरतें अल्ला की फजल से हम मुसलमानों को मिल रही हैं। इन्शाह अल्लाह जल्दी ही सारे हिन्दुस्तान को इस्लाम के झंडे के नीचे आयेगा।
सन् 1947 में हमारे जवानों ने काफिरों के छोटे-छोटे बच्चे आसमान में उछालकर नैजे व भाले पर लिये थे। इनकी औरतों के साथ 10/10 मुसलमानों ने जिन्हा किया था और अल्हादानी लोहे की नोहर गर्म करके लाल-लाल उनके थनों पर चिपकाई गई थी। कई औरतों के थन काट दिये थे। उनके बच्चों को मारकर पकाकर खिलाया भी था।
राजीव गांधी के राज में फार्मूला काश्मीर में आजमाया गया। नतीजा यह निकला कि साढ़े तीन लाख पण्डितों से कश्मीर 3 दिन में खाली हो गया और करोड़ों बल्कि अरबों रूपये की काफिरों की जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो गया।
*जेहाद में औरतों के लिये खास दस्ता::++*
मुसलमान जवान का यह दस्ता स्कूटर कार छोटे ट्रक वगैरा पर हिन्दू देवताओं की फोटों चिपकाकर रखें। ड्राइवर व कंडक्टर हिन्दू वेश में हो। जब अफरा-तफरी फैले तो काफिरों को जिनमें औरतें ज्यादा हों मुसलमान मोहल्लों में भगाकर ले जायें। औरतें को वहां पहुंचा दी जायें। काफिर मर्द और बच्चे मारकर दोजख भेज दें।
ये नुस्खा 40 साल pahle आजमाया गया था, उस समय वाई वी चैहान होम मिनिस्टर थे। इसी दस्ते के लिये जयपुर फार्मूला कई साल पहले हमारे मुसलमाना जवानों ने जयपुर में फसाद शुरू किये थे और हिन्दू घरों से व लड़कियों के स्कूलों से उठा ली थी। 6 माह बाद जब 2/3 लड़कियों ने अपने घर खबर भेजी तो खानदान के उन लोगों ने उन लड़कियों को वापस लेने से इन्कार कर दिया। 1948 में जब हिन्दू मिलिट्री, हिन्दू औरतों को निकालकर हिन्दुस्तान लाई तो उनके खानदान वालों ने लेने से इंकार कर दिया। इस वास्ते कुछ ने तो खुदकुशी कर ली।
ये सब मुसलमानों के लिये अच्छा हुआ। इसके लिये हिन्दुओं की दाद देनी चाहिये।
मुसलमानों और हिन्दुओं के मरने की निस्बतः- जब पाकिस्तान बना तो एक मुसलमान शहीद हुआ था और 100 काफिर मारे गये थे अब तो बम्बों और एके 47 का जमाना है, अल्ला ने चाहा तो एक मुसलमान के मारे जाने पर 1000 हिन्दू मरेंगे अल्ला हमारे साथ है। मुसलमानों को अल्ला का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो सब भूल गयें अल्ला ने उसका दिमाग बड़ा कमजोर दिया है। इसलिये हमने 800 साल हुकूमत की और इन्शाह अल्ला फिर करेंगे। इस बात से साबित होता है कि अल्ला भी चाहता है कि मुसलमानों को हिन्दुस्तान की हुकूमत मिले और हिन्दुओं की औरतों के साथ मौज मस्ती मिले।
चीन, पाकिस्तान और बंग्लादेश से हथियार व नकली नोट हम मुसलमानों की मदद के लिये अल्ला भिजवा रहा है। हिन्दू अफसर और पुलिस वाले इसी पैसे से अंधे बना दिये जाते हैं। यह खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये। खाना जंगी के वक्त पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश भी हमारी मदद के लिये हिन्दुस्तान पर हमला बोल देंगे। नेपाल में काफी मंदिर तोड़ दिये गये हैं और आईएसआई की मदद से काफी लोग मुसलमान हो गये हैं।
*कलावा* :–मोटर साईकिल-मुसलमान जवानों को चाहिये अपने हाथ में कलावा बांध कर अपना नाम बदलकर हिन्दू नाम अपना लें। मोटर साईकिल पर सवार होकर हिन्दू मोहल्ले में कालेजों और स्कूलों के पास खड़े होकर हिन्दू लड़कियों से इश्क लड़ायें। होटलों में भी खुद भी ऐश करें और उनसे काल गर्ल्स का काम लें। इस कमाई से कुछ हिस्सा हथियारों पर खर्च करें। कारों वाले भाई जान भी करें। अरब मुल्कों में इसके लिये काफी पैसा हम तक पहुंच रहा ै ! जिसे हमने तुम्हारे मौलानाओं से तुम्हे काफिरों की लौडियों को फंसाने के बाद तुम्हे देने को कह दिया है !
भूल कर भी सिखों को न छेड़ें। ये जालिम होते हैं बल्कि चक्कर चलाकर उनको हिन्दुओं से दूर रखें। हिन्दुओं के बाद इनसे भी निबट लेंगे !
ये खत किसी हिन्दू को ना दिखायें।
आपका खादिम
हाफिज सईद
हाफिज सईद के इस कथित ख़त में लिखे गए तथ्य और उन्हें लिखने के तरीके पर किसी भी सहज बुद्धि वाले व्यक्ति को सिर्फ हंसी ही आ सकती है. लेकिन जिस देश में लाखों लोग व्हाट्सएप के कई संदेश सिर्फ इस विश्वास से फॉरवर्ड कर देते हैं कि ‘दस दिन के भीतर कुछ अच्छा होगा’ या ये मानते हैं कि भगवान की तस्वीरों वाला संदेश डिलीट करने से कुछ बुरा हो सकता है, उन लोगों के बीच ऐसे संदेश भ्रामक माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभाते हैं. साथ ही मुस्लिम समुदाय के प्रति पहले से ही कई तरीकों के पूर्वाग्रह रखने वाले लोगों में भी ऐसे संदेश उनके पूर्वाग्रहों को मजबूत करने का ही काम करते हैं.
इस तरह के संदेश भले ही आईटी सेल में राजनीतिक उद्देश्यों से बनाए जा रहे हों लेकिन इन्हें तेजी से फैलाने का काम आम लोग ही करते हैं. इसका एक कारण वह मानसिकता होती है जिसे मनोविज्ञान की भाषा में ‘कन्फर्मेशन बायस’ कहते हैं. यानी उस तरह की सूचनाओं पर आसानी से विश्वास कर लेना और उन्हें जायज़ ठहराना जो आपकी विचारधारा, सोच या पूर्वाग्रहों के अनुकूल हो. इसी मानसिकता का फायदा वे लोग उठाते हैं जो ऐसे सांप्रदायिक ज़हर फैलाने वाले संदेशों को बना रहे होते हैं.
चुनावी लाभ लेने के लिए भी ऐसे नफरत भरे संदेशों को जमकर बनाया और फैलाया जाता है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में इस तरह के संदेश अहम भूमिका निभाते हैं. इन सांप्रदायिक संदेशों में अक्सर मुस्लिम समुदाय को हिन्दुओं और हिंदुस्तान के दुश्मन की तरह दर्शाया जाता है और भारतीय जनता पार्टी या नरेंद्र मोदी को हिन्दुओं के मसीहा के तौर पर. यह भी दिलचस्प है कि बीते कुछ समय से जैसे-जैसे मौजूदा केंद्र सरकार मंहगाई, बेरोज़गारी, कालेधन और बैंक घोटालों जैसे कई मोर्चों पर घिरती नज़र आ रही है, वैसे-वैसे यह संदेश ज्यादा तेजी से फैलाए जा रहे हैं. इस तरह से संदेशों पर भी एक नज़र डालते हैं:
‘मोदी सरकार के इतने सालो मे विकास पैदा हुआ या नही, यह अलग बात है, लेकिन एक भी अफजल पैदा होने नही दिया गया….!! यही है अच्छे दिन_ साल भर में 676 आतंकवादी ठोंकने के बाद मोदीजी ने कहा ,….आओ बात करते हैं..!! इसी को कहते हैं बातचीत का माहौल बनाना..!
आतंकवादी ख़त्म हो रहे, कांग्रेस परेशान हैं !! कांग्रेस ख़त्म हो रही, आतंकवादी परेशान हैं ! ये रिश्ता क्या कहलाता है ….!!
कश्मीरी आंतकवादी ..सैय्यद सलाउद्दीन हिजबुल चीफ..जिसके 12 बच्चे हैं….! सभी को कांग्रेस के शासनकाल मे सरकारी नौकरियां मिल गईं थीं !! मोदी सरकार मे 4 बर्खास्त हुए 3 सस्पेंड और NIA ने 2 को गिरफ्तार किया है।
आखिर कब तक आलू, टमाटर, दाल, डीजल, पैट्रौल के लिए वोट करते रहोगे? अभी भी समय है देश के लिए वोट कर लो. 100 साल पुरानी पार्टी आज किसी भी राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। और कितने अच्छे दिन चाहिये।। मोदीजी ट्रंप, पुतिन, शिंजो आबे के साथ दोस्ती बढा रहे हैं और राहुल कन्हैया, हार्दिक के साथ….औकात अपनी अपनी.
पहले आतंकवादी होटल ताज तक पहुंच जाते थे, अब कश्मीर भी पूरा पार नही कर पा रहे है, ये है नोट बंदी और 56 इंच का दम. मेरा देश बदल रहा है…..
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‘मुस्लीम ने मोदी से कहा 10/15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो एक भी हिन्दू नहीं बचेगा. तो मोदी ने बोला, हटाई तो थी गुजरात से 7-8 मिनटों के लिए अब वहां तुम सब 10% पर आ गई. मुसलमा ने बोला छोड़िए न सर मै तो मजाक कर रहा था. मोदी ने फिर से बोला, बेटा जिस दिन मैने मजाक कर दिया न उस दिन कब्रिस्तान कम पड़ जाँएगे. डरते वो लोग हैं जो मरने के बाद भी जमीन के अंदर छुप जाते हैं. अरे हम हिन्दू मरने के बाद भी आग मे खेलना पसंद करते हैं. सच्चा हिंदुस्तानी हो तो आगे भेजिए.
कहते हैं तेल लगाओ डाबर का, नाम मिटाओ बाबर का
फल खाओ आम का और मंदिर बनाओ श्री राम का
जय श्री राम
मक्का वालो मक्का जाओ खुदा मिलेंगे महीने मैं, यहाँ तो हनुमान के दीवाने हैं श्रीराम मिलेंगे हर सीने मे….
आपको आपके घर के सभी की कसम हैं इसको 21/ 22 आदमी को सेंड करो. जिसने नही किया वो कभी सफल नही हो पायेगा’
‘बीजेपी से जलने वालो आखे खोल कर पड लेना:
मोदी ने महँगाई बढ़ा रखी है, व्यापार में दिक़्क़त है, GST रिटर्न भरने दिक़्क़त है, पेट्रोल महँगा कर रखा है, आरक्षण खत्म नहीं किया, राम मंदिर नहीं बनवाया, 15 लाख नहीं दिया, अच्छे दिन नहीं आए, नोटबन्दी की वजह से जनता मरी, फलाना , ढेकाना इत्यादि….. इसलिए अब हम मोदी की दूकान बंद कराएँगे, इस चुनाव में वोट नहीं देंगे, आदि आदि।
बंधुओं, रही मोदी की दूकान बंद कराने की बात, तो आपको बता दें कि मोदी की उम्र अब 67 वर्ष है और उनके पीछे ना परिवार है और बीवी-बच्चे। उन्होंने ज़िंदगी में जो पाना था वो पा लिया है। अब अगर आप वोट नहीं भी देंगे और वो हार भी जाएँगे, तब भी वो “पूर्व प्रधानमंत्री” कहलाएँगे, आजीवन दिल्ली में घर, गाड़ी, पेंशन, एसपीजी सुरक्षा, कार्यालय मिलता रहेगा। दस-पंद्रह साल जीकर चले जाएँगे। लेकिन सवाल ये उठता है कि आप क्या करेंगे?
जब कांग्रेस+लालू+मुलायम+मायावती+ममता+केजरीवाल मिलकर इस देश का इस्लामीकरण और ईसाईकरण करेगी,!! रोहिंग्याओं को बसाएगी,!! अंधी लूट करेगी, भगवा आतंकवाद जैसे नए नए शब्द बनेंगे और आतंकवादी सरकारी मेहमान बनेंगे!! हिंदुओं का खतना करवाएगी. मुसलमानो को आरक्षण देगी!! लव जिहाद को बढ़ावा देगी। सैनिक रोज मारे जाएंगे, पाकिस्तान, चीन सर पर बैठ जाएगा.. अपने बच्चों के लिए कैसा भारत छोड़ कर मरेंगे???ज़रा विचार कीजिए और तब निर्णय लीजिए।
Forwarded by: हिन्दुत्व संरक्षण संस्थान
अशुद्ध हिंदी में लिखे गए ये विशुद्ध सांप्रदायिक संदेश सिर्फ भाजपा और उसके नेताओं की प्रसंशा में ही नहीं फैलाए जाते बल्कि विपक्ष के नेताओं को बदनाम करने के लिए भी जमकर फैलाए जाते हैं. मसलन ऐसा ही एक संदेश जमकर वायरल किया गया है जिसके अनुसार ममता बनर्जी असल में एक मुसलमान हैं.
यह संदेश कहता है:
‘जिस प्रकार युसूफ खान (फिल्म जगत में) दिलीप कुमार के नाम छाया रहा उसी प्रकार शुश्री ममता बनर्जी का हाल है. क्या आपको पता हे ममता बनर्जी का असली नाम है… मुमताज़ मासामा ख़ातून* *क्या नसीब पाया है हिन्दुओ ने….* *जैसे सोनिया गाँधी का असली नाम, आनटोनिया अड्विगे अलविना है..वैसे ही एक बहुत बड़ी सच्चाई ममता बनर्जी के बारे मे है..* *जब पहली बार मैने खोजा था की ये औरत इतने हिंदुओं को बंगाल मे क्यूँ मरवा रही है तो विकीपीडिया पर मुझे इसके रिलिजन मे मुस्लिम दिखा पर अभी वो भी हटा दिया गया है ..**इस मुस्लिम अंधभक्त के रिलीजन के बारे मे अलग अलग किताबों मे अलग अलग विवरण है* *पर ममता बनर्जी एकमुसलमान है* .. *ममता बानेर्जी रोज़ नमाज़ पढ़ती है और इनका रियल नाम है मुमताज़ मासामा ख़ातून*’
इसी तरह इन सदेशों में तमाम गैर-भाजपाई नेताओं को हिन्दू विरोधी और मुस्लिम हितैषी दर्शाया जाता है. अखबारों की फर्जी हैडलाइन बनाकर जो शीर्षक फैलाए जाते हैं उनमें कुछ हालिया इस तरह से हैं:
‘मैं मुस्लिमों के किए ज़िंदा रहूँगा और मरूँगा भी उन्हीं के लिए- मुलायम सिंह’ , ‘भारत को हिंदू राष्ट्र नहीं बनने देंगे- मायावती.’ , ‘कभी नहीं बनने देंगे राम मंदिर- अखिलेश यादव.’ , ‘मुलायम: मुसलमानों का भरोसा जीतने के लिए हिंदुओ पर गोलियाँ चलवाना ज़रूरी था.’ , ‘सपा सरकार ने कहा सिर्फ़ मुस्लिम लड़कियाँ ही ‘हमारी बेटी’’
इन तमाम तरह के संदेशों के साथ ही ऐसे चुटकुले भी लगातार फैलाए जा रहे हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय पर बेहद भद्दी टिप्पणियां होती हैं. इसके अलावा हिंसा के फर्जी वीडियो भी बेहद भड़काऊ शीर्षकों के साथ लगातार ऐसे ग्रुप्स में फैलाए जा रहे हैं. ऐसे फर्जी वीडियो तो देश भर में कई बार दंगों और लिंचिंग का कारण भी बन चुके हैं. उत्तराखंड के अगस्त्यमुनि में कुछ महीनों पहले हुई हिंसा के पीछे भी ऐसा ही एक फर्जी वीडियो था. इस वीडियो के जरिये अगस्त्यमुनि के लोगों के बीच यह झूठ फैलाया गया कि एक दस साल की बच्ची के साथ किसी मुस्लिम नौजवान ने बलात्कार किया है. इस खबर के बाद एक हिंसक भीड़ सामने आई और उसने अगस्त्यमुनि में मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें फूंक डाली.
अगस्त्यमुनि की यह घटना सिर्फ एक अफवाह फैलने के कारण घटी थी. लेकिन एक अफवाह मात्र से लोगों का इतना उत्तेजित हो जाना कि वो आगजनी पर उतर आएं, ये माहौल सोशल मीडिया के जरिये फैलाए जा रहे संदेशों ने ही तैयार किया था.
अगस्त्यमुनि की इस घटना के कुछ ही दिनों सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने इस इलाके का दौरा किया था. भाकपा (माले) की राज्य कमेटी सदस्य इन्द्रेश मैखुरी भी इस टीम का हिस्सा रहे थे. इन्द्रेश बताते हैं, ‘एक तो सोशल मीडिया इस तरह का माहौल बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है. दूसरा, भाजपा की सरकार में उन तत्वों को भी बल मिल जाता है जो इस तरह की नफरत फैलाने में सबसे आगे रहते हैं. यही तत्व भीड़ को उकसाने और इस तरह की हिंसक घटनाओं को अंजाम देने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. 2007 में भाजपा की सरकार बनते ही श्रीनगर (गढ़वाल) में ऐसी सांप्रदायिक हिंसा करने की कोशिश हुई थी.’
इन्द्रेश मैखुरी आगे कहते हैं, ‘मौजूदा समय में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेजी से हुआ है. लेकिन उम्मीद जगाने वाली बात ये है कि पहाड़ में लोगों का एक बड़ा हिस्सा यह समझता है कि इस तरह की नफरत सिर्फ कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक हित साधने के लिए फैलाई जा रही है. अगस्त्यमुनि की घटना के बाद जब हम वहां गए तो वहां के लोगों में एक पश्चाताप का भाव था. लोग यह मान रहे थे कि जो हुआ वह सही नहीं था. सोशल मीडिया पर भले ही कई लोग उस हिंसा को भी जायज़ ठहरा रहे थे, जैसा कि हाल ही में रामनगर की घटना में भी दिखा. लेकिन जमीनी स्तर पर माहौल अलग था. यहां लोगों को एहसास था कि उन्हें आपस में ही लड़वाकर इस्तेमाल किया गया है.’
सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेश इतनी तेजी से और इतनी ज्यादा संख्या में तैरने लगे हैं कि अब इस तरह की बातों का सामान्यीकरण हो चुका है. ऐसे में इस तरह के संदेशों को फैलने से रोकना प्रशासन के लिए भी लगभग नामुमकिन हो गया है. लेकिन उत्तराखंड में हुई सांप्रदायिक हिंसा की अलग-अलग घटनाओं पर यदि गौर करें तो यह साफ़ होता है इन घटनाओं को प्रशासन की सक्रियता से जरूर रोका जा सकता है. रामनगर के गर्जिया मंदिर की घटना में भी सिर्फ एक पुलिस अधिकारी की सक्रियता के चलते ही कोई बड़ा हादसा होने से टल गया.
ऐसा ही सक्रियता यदि पुलिस ने अन्य जगहों पर भी दिखाई होती तो इन घटनाओं को ताला जा सकता था. कई मामले तो यहां ऐसे भी हुए हैं जब स्थानीय लोगों ने किसी भ्रामक संदेश के फैलने पर पुलिस को सूचित किया लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. नतीजा ये हुआ कि उन्मादी भीड़ के गुस्से का फायदा उन लोगों ने उठा लिया जिनका उद्देश्य ही सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना था.
(पार्ट-2 में पढ़िए किस तरह से सांप्रदायिक संगठनों के लोग हिंसा को अंजाम देते हैं.)