विशेष: दस्तावेजों के बिना दैनिक जागरण ने छापी कठुआ की रिपोर्ट

दैनिक जागरण के डिजिटल एडिटर कमलेश रघुवंशी के मुताबिक दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण जागरण ने कठुआ रिपोर्ट को हटाया और फिर लगाया.

WrittenBy:Rohin Kumar
Date:
Article image

शुक्रवार को दैनिक जागरण के सभी प्रिंट और डिजिटल संस्करणों में जम्मू के कठुआ में हुई आठ साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या के संबंध में अवधेश चौहान की बाइलाइन से एक बड़ी और अंतिम निष्कर्ष देती हुई रिपोर्ट छपी. इसका शीर्षक था- “कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म.” बाद में जागरण के डिजिटल प्लेटफॉर्म से यह ख़बर हटा ली गई. हालांकि संबंधित यूआरएल को एक्टिव रखा गया था. शाम को लगभग आठ घंटे बाद एक बार फिर से स्टोरी को बिना किसी खास बदलाव के वेब पर अपलोड कर दिया गया.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

इस बाबत दैनिक जागरण डिजिटल के संपादक कमलेश रघुवंशी ने न्यूज़लॉन्ड्री के साथ बातचीत में बताया कि प्रिंट और डिजिटल के नियम अलग-अलग होते हैं. जरूरी नहीं कि जागरण डिजिटल अपने प्रिंट का रेप्लिका (नकल) हो.

वेब से कठुआ वाली स्टोरी को हटाने को लेकर रघुवंशी ने कहा, “हमारे पास शुरुआत में रिकॉर्ड और प्रमाण नहीं थे, इसलिए हमने स्टोरी हटा दी थी. हमने रिपोर्टर से कहा कि सबसे पहले हम तथ्यों को एक बार जांच ले फिर प्रकाशित करेंगे.”

तो फिर पहली बार में स्टोरी को छापा ही क्यों गया? इस सवाल के जवाब में रघुवंशी ने कहा, “चूंकि प्रिंट ने छाप दी थी इसलिए शुरुआत में डिजिटल में भी प्रकाशित कर दिया गया. लेकिन जब हमें लगा कि तथ्यों की पड़ताल कर लेनी चाहिए, तब हमने स्टोरी हटा ली.”

“तो क्या प्रिंट ने बिना तथ्यों की पुष्टि किए ही स्टोरी छाप दी थी?” इस पर रघुवंशी ने कहा, “नहीं ऐसा नहीं है. हमारे रिपोर्टर ने डॉक्युमेंट देखे थे. पर हमने कहा कि देखने से काम नहीं चलेगा. हमें भेजो.”

दैनिक जागरण डिजिटल के एडिटर की इन बातों पर अगर गौर करें तो कई सवाल उसकी स्टोरी पर खुद ब खुद खड़े हो जाते हैं. मसलन इतना बड़ा अख़बार इतने संवेदनशील केस में ख़बर छापने के बाद तथ्यों की जांच करता है? अगर जागरण डिजिटल के संपादक की बातों पर भरोसा करें तो प्रिंट के हर संस्करण में ख़बर इस आधार पर छाप दी गई कि रिपोर्टर ने डॉक्युमेंट देखा था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने रघुवंशी से कुछ और सवाल भी पूछे मसलन क्या दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बात सच है और क्या दोनों आपके पास मौजूद हैं? इस पर रघुवंशी ने बताया कि उनके पास अब दोनों पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मौजूद हैं, इसीलिए उन्होंने फिर से स्टोरी लाइव कर दिया है. एक बार पूरी रिपोर्ट पढ़कर उसमें जरूरी अपडेट किया जाएगा.

यानी एक बार फिर से पूरी रिपोर्ट लाइव कर दी गई रिपोर्ट को बिना पढ़े. हमने रघुवंशी से पूछा कि कहीं आप एक फॉरेंसिक रिपोर्ट और एक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तो नहीं बता रहे हैं? इस पर उनका जवाब था, “नहीं हमारे पास दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है.”

हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री ने जब उनसे दोनों पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट शेयर करने की इच्छा जताई तो उन्होंने साफ मना करते हुए कहा, “हम उसे किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते.”

यहां हम साफ कर दें कि न्यूज़लॉन्ड्री के पास पूरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मौजूद है और इस रिपोर्ट में आगे हम उसके आधार पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट का मिलान भी करेंगे, लेकिन पहले जागरण की रिपोर्ट से जुड़ी कुछ बुनियादी बातें जान लें.

जागरण की दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट थियरी

शुक्रवार को दैनिक जागरण ने रिपोर्टर अवधेश चौहान की बाइलाइन से रिपोर्ट छापी जिसका शीर्षक था, “कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म”. ख़बर में आरोपितों के वकील असीम साहनी के हवाले से दावा किया गया कि इस मामले में कठुआ जिला अस्पताल ने दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिए हैं. ख़बर के अनुसार पहले रिपोर्ट में, ‘बच्ची के शरीर पर छह जख्मों का जिक्र है. एक जख्म कान के पास है जिसकी गहराई दो सेंटीमीटर है. सिर में कोई फ्रैक्चर नहीं है.’

दूसरी (पोस्टमार्टम) रिपोर्ट के बारे में ख़बर बताती है कि पीड़िता के शरीर पर सात जख्म थे, “जांघ के पास खरोंच के निशान मिले हैं. सबसे बड़ी बात कि दुष्कर्म नहीं हुआ है. बच्ची का हाइमन फटा था.” रिपोर्ट इस बात का जिक्र करते हुए श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल के हवाले की स्त्री विशेषज्ञ के हवाले से हाइमन फटने के संभावित कारणों का जिक्र करता है, जैसे- घुड़सवारी, तैराकी, साइकलिंग आदि.

रिपोर्ट में फटे हुए हाइमन का ज़िक्र है, उसके फटने के संभावित कारणों पर बात की जा रही है लेकिन चतुराई से हाइमन फटने का एक और कारण बलात्कार को छुपा जाती है. इस मामले में जहां बच्ची की हत्या हुई है, सामूहिक बलात्कार प्रमुख कारण के तौर पर उभर कर सामने आया है वहां जागरण बड़ी सुविधा से इस एक कारण को नजरअंदाज कर देता है.

दैनिक जागरण इन्हीं दो कथित रिपोर्टों के आधार पर बलात्कार की पूरी वारदात को खारिज कर देता है.

क्या कहती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट

न्यूज़लॉन्ड्री के पास पोस्टमॉर्टम की प्रति मौजूद है. अपनी पड़ताल में हमने पाया कि दैनिक जागरण की रिपोर्ट में कई खामियां हैं, कई बातों को सुविधाजनक ढंग से नजरअंदाज कर दिया गया है. दरअसल, कठुआ जिला अस्पताल ने दिनांक 17.01.2018 को 2.30 बजे दोपहर जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी की, उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है, “बच्ची की योनी अपने स्वभाविक रूप में नहीं थी, और उसकी गहराई एक उंगली के लंबाई बराबर थी.”

आगे उसी रिपोर्ट में लिखा है- “हाइमन यथावत स्थिति में नहीं था. योनी के भीतर खून के धब्बे मिले हैं. जांघ और कंधों के पास खरोंच के निशान हैं. दायीं कान की तरफ जख्म है.” इसके अलावा किसी दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

भ्रमित करते रहे आरोपितों के वकील असीम साहनी

दैनिक जागरण की पूरी रिपोर्ट के सूत्रधार आरोपितों के वकील असीम साहनी थे जिन्होंने दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट वाली कहानी को हवा दी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने साहनी से बात की. असीम साहनी ने जागरण को बयान दिया है कि उन्हें कठुआ जिला अस्पताल से दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिले हैं.

असीम ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, “पहली रिपोर्ट प्रीलिम्नरी रिपोर्ट है और दूसरी रिपोर्ट कंफर्मिंग रिपोर्ट है. दोनों रिपोर्ट का दिन और समय एक ही है. लेकिन दूसरी रिपोर्ट में डॉक्टर ने हस्ताक्षर मार्च में किया है. इसमें कहीं भी बच्ची से बलात्कार की कोई बात नहीं लिखी है.”

असीम कहते हैं, “अमूमन दो पोस्टमोर्टम रिपोर्ट नहीं बनायी जाती. क्राइम ब्रांच हमारे क्लाइंट को झूठे केस में फंसाने की कोशिश कर रही है, यही कारण है कि उन्होंने दो पोस्टमोर्टम रिपोर्ट बनाये.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने असीम से उन दोनों पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की मांग की तो असीम ने सीधे मना कर दिया. वे पूरी बातचीत को उलझाने की कोशिश करते रहे मसलन क्राइम ब्रांच ने डॉक्टर्स पर बहुत दबाव बनाया. इसी दबाव के चलते क्राइम ब्रांच के दबाव में कठुआ अस्पताल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने यौन उत्पीड़न को भी एक संभावित कारण बताया. लेकिन उन्होंने दोनों पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया.

अब यहां दो महत्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं, अगर असीम साहनी के पास दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है तो वो इसे न्यूज़लॉन्ड्री के साथ साझा करने से क्यों पीछे हट रहे हैं, जबकि उन्होंने कथित तौर पर इस रिपोर्ट को दैनिक जागरण के साथ साझा किया है, जिसे आधार बना कर जागरण ने अपनी स्टोरी लिखी है.

दूसरा सवाल, क्या इस तरह की कोई रिपोर्ट है भी या जागरण और असीम झूठ बोल रहे हैं क्योंकि दोनों ही किसी न किसी बहाने से दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का सबूत देने में आनाकानी कर रहे हैं.

क्या कहना है जांच अधिकारियों का?

जागरण और असीम साहनी के दावों की तह में जाने के लिए हमने जम्मू क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी (आईजी-क्राइम) अहफाद-उल-मुज़तबा से बात की. उन्होंने साहनी के दो पोस्टमॉर्टम वाली थियरी का खंडन किया. उन्होंने बताया, “सिर्फ एक ही पोस्टमोर्टम रिपोर्ट है जो 17.01.2018 को जारी हुआ है. उसमें साफ लिखा गया है कि बच्ची का हाइमन फटा हुआ था और उसके शरीर पर जख्म थे.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने कठुआ केस को लीड कर रहे क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी रमेश जाला से भी बात की. उन्होंने कहा, “एक ही पोस्टमोर्टम रिपोर्ट है. दो पोस्टमोर्टम रिपोर्ट होने का प्रश्न ही नहीं उठता.”

“डॉक्टर्स ने 17.01.2018 को पोस्टमोर्टम रिपोर्ट बनाया. तब यह केस जम्मू पुलिस के पास था. डॉक्टर्स ने बॉडी देखी और रिपोर्ट तैयार की. क्राइम ब्रांच कैसे पोस्टमोर्टम रिपोर्ट में छेड़छाड़ कर सकती है? यह बेतुकी बात है. साहनी मीडिया को मीसलीड कर रहे हैं,” मुज़तबा ने कहा.

मुज़तबा ने जागरण की रिपोर्ट में बच्ची के सिर पर फ्रैक्चर न होने की बात पर कहा, “आप बच्ची की फोटो भी देख लोगे तो समझ आ जाएगा सिर पर पत्थर से मारा गया है. कोई आम आदमी भी सिर की चोट देखकर समझ जाएगा.”

साहनी और दैनिक जागरण डिजिटल के संपादक कमलेश रघुवंशी, दोनों ने ही हमें दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने से मना कर दिया.

क्या कहती है फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट

यह बात साफ कर लें कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में योनी पर लगी चोट, खून के निशान आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती. इसके बाद डॉक्टरों और फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम यह निष्कर्ष निकालती है कि किसी के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं. इस मामले में मेडिकल बोर्ड ने यौन उत्पीड़न की पुष्टि की है.

इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट फॉरेसिंक लैब के अधिकारियों के हवाले से बताती है कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था. दिल्ली स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के अधिकारी ने पुष्टि की है कि आठ वर्षीय पीड़िता के वैजाइनल स्मियर रिपोर्ट आरोपितों से मेल खाते हैं. दिल्ली की लैब ने इस तरह के 14 सबूतों की पड़ताल के बाद अपना निष्कर्ष दिया है.

जम्मू में पर्याप्त फोरेंसिक तकनीक की कमी के कारण क्राइम सीन से मिले बच्ची के कपड़े (जिसे आरोपियों ने धो दिया था), खून के धब्बे वाली मिट्टी, आदि कुल 14 सबूत जांच के लिए दिल्ली स्थिति फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेजी गई थी. फोरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया गया है, बच्ची के कपड़े पर आरोपितों के खून के निशान मिले हैं. मंदिर में मिले खून के निशान बच्ची के खून से मेल खाते हैं. यही खून बच्ची के योनी के पास भी मिले थे. इससे फोरेंसिक ने निष्कर्ष निकाला है कि बच्ची मंदिर के अंदर रखी गई थी और उसका रेप मंदिर के भीतर हुआ था. क्राइम सीन से मिले बाल आरोपित शुभम सांगरा के डीएनए से मेल खाते हैं. देवीस्थान से मिले बाल के सैंपल बच्ची के डीएनए से मेल खाता है. जिसका मतलब है बच्ची को देवीस्थान में बंधक बनाकर रखा गया था.

आरोपितों ने बच्ची के कपड़ों को धो दिया था और यही कारण था कि जम्मू फोरेंसिक लैब को कपड़ों पर कोई खून के निशान नहीं मिले. जिसके वजह से सैंपल को क्राइम ब्रांच ने दिल्ली भेजा था. आरोपी सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता ने पोस्टमोर्टम कर रहे डॉक्टर्स से पीड़िता के खून की सैंपल रिपोर्ट ही नहीं ली थी.

दैनिक जागरण का भ्रामक खेल

दैनिक जागरण प्रिंट के सभी संस्करणों में ख़बर छपने के बाद से ही सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी समर्थकों ने इसे तथ्य बताकर फैलाना शुरू कर दिया. जागरण डिजिटल की स्थिति इस मामले में सांप-छछूंदर वाली हो गई. पहले उसने स्टोरी लगाई, फिर हटाई, फिर लगा दी.

imageby :

जागरण के एडिटर इन चीफ संजय गुप्ता ने यह सुनते ही फोन काट दिया कि फोन न्यूज़लॉन्ड्री से आया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने उन्हें स्टोरी से जुड़े सवाल भेजे हैं. उनका जवाब मिलने की स्थिति में उसे इस स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा. बताते चलें कि हाल ही में कोबरापोस्ट के स्टिंग में दैनिक जागरण के मार्केटिंग एरिया मैनेजर संजय प्रताप सिंह कथित रूप से हिंदुत्व का एजेंडा चलाने के लिए तैयार होते दिखे थे. तब संजय गुप्ता ने बयान दिया था कि सिंह की हैसियत नहीं है संपादकीय निर्णय लेने की.

जागरण की रिपोर्ट में एक जगह देवीस्थान में बच्ची के बाल मिलने की बात पर संदेह जताया गया है. रिपोर्ट कहती है, “क्या 17 जनवरी के बाद मंदिर की सफाई नहीं हुई?” यह आगे बताता है कि मंदिर में रोजाना लोग नतमस्तक होते हैं. जागरण का यह दावा बिल्कुल ज़ी न्यूज़ के दावे की ही तरह है, जहां मंदिर में खिड़कियों और दरवाजों की बात की गई थी. जबकि चार्जशीट में साफ लिखा है बच्ची को देवीस्थान के भीतर टेबल के नीचे दरी और चटाई से ढंककर रखा गया था. आरोपितों ने मंदिर में ताला भी बंद किया था. ये बात आरोपितों के हवाले से ही चार्जशीट में लिखी गई है. अर्थात जागरण ने मूल रूप से चार्जशीट भी नहीं पढ़ी.

साहित्यकारों-स्तंभकारों ने किया जागरण का विरोध

इन दिनों जागरण के बैनर तले ‘मुक्तांगन’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था. कार्यक्रम का विषय था- ‘मेरा परमेश्वर कोई नहीं: कविता और स्त्री.’ कठुआ मामले की तथ्यहीन और असंवेदनशील रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए एक के बाद एक कई स्तंभकारों और लेखकों ने खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया है.

लेखकों ने जागरण की रिपोर्ट पर सार्वजनिक आपत्ति भी जताई हैं. कश्मीरनामा के लेखक अशोक कुमार ने कहा, “जिस तरह की रिपोर्टिंग जागरण ने की है, ऐसे में कार्यक्रम का बहिष्कार करना ही चाहिए. एक आठ साल की बच्ची जिसके साथ जघन्य अपराध हुआ है, आप उसके बारे में झूठी ख़बर फैला रहे हैं. ऐसे में किस आधार पर स्त्री विमर्श की बात की जा सकती है.”

वहीं कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे मिहिर पंड्या ने फेसबुक पर लिखा, “मैं पेशे से अध्यापक हूं और मेरे लिए यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने बच्चों के लिए कैसा भारत बनाना और बचाना चाहते हैं.”

एक अन्य स्तंभकार सुजाता ने लिखा, “बलात्कारियों के पक्ष में बेशर्मी से खड़े होने वाले अखबार जहां शामिल होंगे, उस तरह के किसी कार्यक्रम का हिस्सा हम नहीं हो सकते.” सुजाता ने यह लिखकर खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया.

इसी तरह सविता सिंह और विपिन चौधरी ने भी खुद को जागरण के कार्यक्रम से अलग कर लिया है.

वरिष्ठ साहित्यकार आलोक धन्वा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि जागरण के बिहार संवादी में भी जा रहे साथी स्तंभकार जागरण के कार्यक्रम में शामिल होंगे लेकिन वहां मंच पर विरोध जताएंगें.

subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like