कठुआ बलात्कार केस में पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने ज़ी न्यूज़ के ऊपर छवि खराब करने का आरोप लगाया और माफी मांगने को कहा.
कठुआ बलात्कार मामले का दूसरा पक्ष सामने लाने की होड़ में कुछ समाचार चैनल लगातार इस मामले को उलझाने और तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने में लगे हैं. खासकर ज़ी न्यूज़ पिछले कुछ दिनों से अपने प्राइम टाइम पर कठुआ मामले की एकदम अलहदा तस्वीर दिखाने में लगा है. सोमवार की रात को सुधीर चौधरी ने अपने कार्यक्रम डीएनए में क्राइम ब्रांच की चार्जशीट पर कई प्रश्न उठाए. उनका दावा था कि उनका रिपोर्टर पांच दिनों तक ग्राउंड में था और चार्जशीट के दावों की पड़ताल कर रहा था. हालांकि रिपोर्टर और सुधीर चौधरी की रिपोर्ट देखकर समझ में आया कि उन्होंने चार्जशीट को ढंग से पढ़ा नहीं या जानबूझकर चार्जशीट के तथ्यों को तोड़मरोड़कर पेश करने की कोशिश करते रहे. न्यूज़लॉन्ड्री ने सोमवार के शो का विस्तृत विश्लेषण पेश किया था.
जांच और जांच से जुड़े लोगों पर कीचड़ उछालने का यह सिलसिला ज़ी पर मंगलवार को भी जारी रही. कठुआ का पूरा सच बताने का दावा करते हुए सुधीर चौधरी ने पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत पर कुछ निजी आक्षेप लगाए और उन्हें जेएनयू से जुड़ा बताया. हैरत की बात है कि सुधीर चौधरी इसे खोजी पत्रकारिता बताते रहे.
18 अप्रैल की देर शाम, दीपिका के वकील की तरफ से ज़ी न्यूज़ और सुधीर चौधरी के नाम कानूनी नोटिस भेज दिया है. नोटिस में स्पष्ट रूप से लिखा है कि डीएनए के दावे हमारी क्लाइंट को बदनाम करने के उद्देश्य से किए गए थे. चैनल जानबूझकर मामले की सांप्रदायीकरण कर रहा है. ज़ी न्यूज़ से वीडियो को हटाने और चैनल से ऑन एयर माफी मांगने की मांग की गई है. यह नोटिस नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और प्रेस काउंसिल को भी भेजा गया है.
ज़ी न्यूज़ ने अपने कार्यक्रम में वकार भट्टी नाम के एक शख्स का जिक्र किया. बताया गया कि इसी शख्स ने कठुआ रेप मामले को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था. चैनल ने भट्टी के प्रोफाइल के बारे में कोई जानकारी देना उचित नहीं समझा. बस इतना बताया गया कि वह बकरवाल समाज से आता है और बकरवाल समाज का नेता है.
भट्टी के हवाले से एंकर बताता है, “मामला तब बिगड़ा जब तालिब हुसैन नाम का व्यक्ति प्रदर्शन से जुड़ा. जोर देकर बताया गया कि तालिब अलीगढ़ विश्वविद्यालय का पढ़ा है और जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय जाकर भाषण दे रहा था.”
वकार भट्टी कहता है कि “शेहला रशीद और जेएनयू के लोगों ने प्रदर्शन को हाइजैक करने की कोशिश की है. वे पैसा इकट्ठा कर रही हैं. वे देश को ठगने की कोशिश कर रही हैं.”
इस शो पर आपत्ति जताते हुए दीपिका सिंह राजावत ने बुधवार को एक प्रेस स्टेटमेंट भी जारी किया. उनका साफ तौर पर कहना है कि वे कभी भी जेएनयू नहीं गई. हालांकि वो साफ करती है कि जेएनयू जाना कोई अपराध नहीं है.
राजावत कहती हैं, “भट्टी और सुधीर चौधरी के दिए बयान सरासर झूठे हैं और यह मेरी छवि खराब करने की कोशिश है. मैं कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कोई पैसा नहीं ले रही हूं. लीगल कॉउन्सल के सदस्य भी फ्री में मदद कर रहे हैं.”
राजावत ने अपने बयान में अपने ट्विटर अकाउंट को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों का भी खंडन किया. एक ट्विटर अकाउंट जो उन्होंने बहुत पहले बनाया था लेकिन कभी इस्तेमाल नहीं किया, उससे जो भी ट्वीट किए जा रहे हैं, वे उनके नहीं हैं. किसी ने हैक कर लिया है. उनका सिर्फ एक ही विश्वसनीय ट्विटर हैंडल है- @DeepikaSinghR15
सुधीर चौधरी इस हद तक चले गए कि उन्होंने ऑन एयर कहा, “अभिनेता और अभिनेत्री कम पढ़े लिखे लोग हैं. उन्हें मालूम नहीं होता है कि किसी मुद्दे के पीछे क्या राजनीति है. वे अपनी टिप्पणी कर देते हैं. चंदा भी दे देते हैं. विदेशी लोग चंदा दे रहे हैं. भारत के किसी रेप केस की मदद करने के लिए विदेशी लोग चंदा क्यों देंगे?”
इस सवाल के जरिए ज़ी न्यूज़ एक पूरी थियरी तैयार करता है कि यह पैसा दीपिका राजावत को दिया जाएगा. एक नमूना देखिए, कैसे तथ्य स्थापित किए जा रहे हैं- “स्क्रीन पर शेहला राशीद की तस्वीर चल रही है. दूसरी तस्वीर दीपिका और शेहला की साथ की है. बताया जाता है कि शेहला चंदा इकट्ठा कर रही हैं. दीपिका, शेहला साथ-साथ घूमती हैं. कहा जा रहा है कि चंदा कानूनी मदद के लिए लिया जा रहा है. इसका मतलब है ये पैसा दीपिका राजावत को दिया जाएगा. फिर एंकर बताता है ये लोग अफजल प्रेमी गैंग के लोग हैं. बुरहान वानी को समर्थन करते हैं. अब आप खुद ही समझ लीजिए.”
सुधीर चौधरी पूर्व में भी इस तरह के कई कानूनी नोटिसों को सफलतापूर्वक गच्चा देते आए हैं, देखते हैं इस नोटिस का क्या हश्र होता है.