अब पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के बयान से तय होगी कार्ती चिदंबरम की किस्मत. पिता पी चिदंबरम भी संदेह के घेरे में.
सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को मुंबई जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी के सामने बिठाकर पूछताछ की. इस पूछताछ की जानकारियां अभी सामने नहीं आ सकी हैं, लेकिन यह तय है कि अब इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के बयानों पर ही कार्ति चिदंबरम का भविष्य काफी हद तक निर्भर करेगा.
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को सीबीआई ने गिरफ्तार कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सीबीआई दोनों पर जल्द ही मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी संपत्ति के मामले में कार्रवाई करेगी.
हालांकि यह अबतक नहीं हुआ है. भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी अपनी कुछ बेहद महत्वपूर्ण जांचों को भटकाने और उलझाने के लिए जानी जाती है. टूजी घोटाला इसका ताजा उदाहरण है जिसे सरलता से खोला और बंद कर दिया गया.
कथित तौर पर सीबीआई का आरोप है कि कार्ती ने आइएनएस मीडिया से पैसे लिए. इस कंपनी के मालिक पीटर और इंद्राणी मुखर्जी थे. इसके बदले में उन्होंने इनकम टैक्स अधिकारियों को कंपनी के खिलाफ जांच करने से रोकने की कोशिश की. यह वही वक्त था जब कार्ति के पिता वित्त मंत्री थे.
सीबीआई ने कुछ दस्तावेज पेश किए हैं जिससे यह साबित हो सके कि फोरेन इंवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) ने चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते आईएनएक्स मीडिया में निवेश को हरी झंडी दी और फिर आईएनएक्स ने यह पैसा कार्ति की कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग सर्विसेज़ में निवेश कर दिया.
एडवांटेज कंसल्टिंग सर्विसेज़ की सिंगापुर में एक सहायक कंपनी है जिसने दुनिया भर में निवेश करक रखा है. सीबीआई का दावा है कि एफआईपीबी ने आईएनएक्स को 4.5 करोड़ निवेश की ही मंजूरी दी थी लेकिन मीडिया संस्थान ने कथित तौर पर मॉरिशस स्थित अन्य कंपनियों के जरिए करीब 300 करोड़ का निवेश किया.
आईएनएक्स मीडिया का केस दिसंबर 2015 में प्रकाश में आया, जब सीबीआई एयरसेल-मैक्सिस केस में कार्ति की कथित संलिप्तता की जांच कर रही थी.
अप्रैल 2015 में, ईडी ने कार्ति को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसके साथ ही उनसे जुड़ी एक फर्म को भी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के कथित उल्लंघन के मामले में नोटिस भेजा गया. चेन्नई स्थित एक अन्य कंपनी वासन हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड को कथित रूप से 2,262 करोड़ के विदेशी निवेश के उल्लंघन के लिए नोटिस दिया गया.
सीबीआई और ईडी के सूत्रों का कहना है कि चिंदबरम की दिक्कतें एयरसेल-मैक्सिस केस में और भी बढ़ सकती है. यह केस एयरसेल के मालिक सी शिवशंकरण द्वारा 2006 में बेचे जाने से संबंधित है. आरोप है कि पूर्व टेलिकॉम मंत्री दयानिधि मारन ने एयरसेल को बेचने का कथित दबाव बनाया था. इसके एवज में, मैक्सिस ग्रुप ने सन ग्रुप में लगभग 47 करोड़ का निवेश किया. सन ग्रुप के मालिक कालानिधि हैं जो मारन के भाई हैं. और यह सारा कथित लेनदेन कार्ती की कंपनी एडवांटेज कंसल्टिंग के जरिए हुआ.
अप्रैल 2016 में, वित्तीय सलाहकार और चेन्नई स्थित तुगलक पत्रिका के संपादक एस गुरुमुर्ती ने आरोप लगाया कि एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को दोनों पी चिदंबरम और कार्ति बेनामी नामों से चलाते थे. दोनों ने हालांकि हमेशा मालिकाना हक़ अपने पास न होने की बात कही है. साथ ही कहा है कि यह फर्म उनके दोस्तों द्वारा संचालित की जाती है.
गुरुमुर्ति ने कहा कि उनके पास एडवांटेज के वर्तमान शेयरधारकों के हस्ताक्षर थे, जिसके मुताबिक यदि उनकी मृत्यु होती है तो एडवांटेज कंसल्टिंग के शेयर अदिति नलिनी चिदंबरम को हस्तांतरित कर दिए जाएं. अदिति कार्ति की बेटी हैं. वसीयतनामे में कार्ती का नाम योजनाओं को अमलीजामा पहनाने वाले व्यक्ति (वसीयत प्रबंधक) के रूप में दर्ज है. ये सारे दस्तावेज इनकम टैक्स विभाग और ईडी के 2015 में की गई संयुक्त जांच में कार्ती से जब्त किए गए थे.
बेनामी डील बेनामी और वास्तविक मालिकों के बीच एक गुप्त ट्रस्ट होता है जिसमें किसी दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती. हालांकि, कार्ति- जैसा की गुरुमुर्ती दावा करते हैं- ने ऊपर दर्ज सभी वसीयतों का संग्रह किया है, और यह साबित होता है कि इसमें गलत तरीके अपनाये गए थे. गुरुमुर्ति का दावा है कि एडवांटेज के पास वासन आई केयर के 1.5 लाख में से करीब 90,000 शेयर हैं. वासन आई केयर दक्षिण भारत में आई केयर चेन है. कार्ती द्वारा फर्म में कालाधन लाने में वासन को ढाल बनने का आरोप है.
गुरुमूर्ति का दावा है कि लंदन, दुबई, साउथ अफ्रीका, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, फ्रांस, ग्रीस, स्पेन और अमेरिका में निवेशों के जरिए एडवांटेज सिंगापुर ने अपना साम्राज्य फैला लिया है. सीबीआई के मुताबिक, चिदंबरम के वित्त मंत्री और गृह मंत्री रहते इसकी संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
कार्ती का कहना है कि एडवांटेज का उनसे कोई संबंध नहीं है. लेकिन गुरुमूर्ति ने जो पेपर्स सीबीआई को सौंपे हैं, उनके मुताबिक कार्ती कंपनी के मालिक हो सकते हैं. हालांकि 2011 में उन्होंने इसे अपने किसी करीबी को ट्रांसफर कर दिया था.
दस्तावेजों के मुताबिक, 2006 और मई 2011 के बीच, कार्ति ऑस्ब्रीज होल्डिंग के जरिए एडवांटेज के करीब दो तिहाई हिस्से पर अपना मालिकाना हक रखते थे. लेकिन उसके बाद ऑस्ब्रीज का मालिकाना हक मोहनन राजेश जो कि कार्ति के मित्र हैं, को मिल गया.
2011 से, एडवांटेज स्ट्रैटेजिक इंडिया के शेयर चार बेनामी साझीदारों के पास है- सीबीएन रेड्डी, पद्म विश्वनाथन, रवि विश्वनाथन और भास्करन. पद्म विश्वनाथन एडवांटेज बोर्ड के निदेशक हैं.
सीबीआई को यह बात साबित करनी होगी कि आईएनएक्स द्वारा एडवांटेज में भुगतान की गई रकम के बदले में पूर्व वित्त मंत्री के सहयोग से आईएनएक्स में विदेशी निवेश की हरी झंडी ली गई थी, और साथ ही कर चोरी के मामलों में भी राहत पहुंचाई गई.
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कार्ति के आईएनएक्स मीडिया से संबंध को मुखर्जी और उनकी पत्नी ने कंफर्म कर दिया है. दोनों अभी अलग-अलग जेलों में अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या मामले में बंद हैं.
ऐसे में पीटर और इंद्राणी के बयान महत्वपूर्ण हैं. उनपर यह बताने कि जिम्मेदारी है कि क्या उन्होंने पैसे दिए हैं. अगर वे इसकी पुष्टि करते हैं तो केस कार्ती की किस्मत तय हो जाएगी. www.pgurus.com नाम की वेबसाइट के मुताबिक, इंद्राणी ने पहले ही सीबीआई को बता दिया है कि उन्होंने कार्ती को पेमेंट किया है.
हालांकि सीबीआई ने कुछ भी ऑन रिकॉर्ड नहीं बोल रही है. इसलिए अभी के लिए बस इतना कि आईएनएक्स को एफआईपीबी ने क्लियरेंस दिया, वह भी तब, जब पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे. और इसके बदले में, आईएनएक्स ने एडवांटेज को भुगतान किया. इस बीच एडवांटेज ने शातिराना तरीके से चार लोगों से शेयर साझा किए. और तब, इन चारों ने वसीयतनामे में यह दर्शाने की कोशिश की कि वे कार्ती की बेटी का नाम वारिस के तौर पर लिख रहे हैं.
सीबीआई ने एफआईआर में कहा है कि कार्ति ने इंद्राणी और पीटर की कंपनी आईएनएक्स को फॉरेन इंवेस्टमेंट परमिट दिलाने में दलाल की भूमिका निभाई थी. जिसके एवज में आईएनएक्स ने एडवांटेज को पेमेंट दिया था. अगर कार्ती अप्रत्यक्ष रूप से भी एडवांटेज का मालिकाना हक़ रखे पाए जाते हैं, तो उन्हें जेल भेजा जाएगा. बहुत संभव है कि उनके पिता को भी भ्रष्टाचार में सहयोग करने के लिए सजा हो.
सीबीआई की एफआईआर में कार्ति, उनकी कंपनी चेस मैनेजमेंट और एडवांटेज, पद्म विश्वनाथन, पीटर और इंद्राणी मुखर्जी पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और फेमा के अंतर्गत केस दर्ज किया है.
चिदंबरम शुरू से कहते आ रहे हैं कि उनके परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है और वे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाए गए हैं. लेकिन सीबीआई और ईडी इससे सहमत नहीं है. यही कारण है कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के लिए यह कठिन समय है. इन मामलों में उनकी संलिप्तता, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, बेटे के हिरासत में लिए जाने के बाद जांच के घेरों में आ जाएगी.