सरकार ने एसएससी परीक्षा विवाद में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं लेकिन छात्रों की कई मांगें अभी भी नहीं मानी गई है.
सीजीओ कॉम्पलेक्स स्थित स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (एसएससी) दफ्तर के सामने से गुजरती संकरी सड़क पर सैकड़ों छात्र जमा हैं. इन छात्रों का आरोप है कि एसएससी की परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितता और धांधली हुई है. छात्रों की मांग है कि इसकी सीबीआई जांच करवाई जाय. देश के अलहदा हिस्सों से यहां इकट्ठा हुए छात्रों के इस आंदोलन को अब एक सप्ताह से ज्यादा हो चुका है.
रात के नौ बज रहे हैं. लड़के बारी-बारी से कविता, शायरी, हास्य व्यंग्य में अपना समय बिता रहे हैं. बीच-बीच में इंकलाबी नारे भी लगते हैं. लड़के एसएससी मुर्दाबाद, वी वांट जस्टिस जैसे नारे लगाते हैं. हालांकि लड़कियों की संख्या रात होने के कारण कम हो गई है लेकिन वहां मौजूद छात्र बताते हैं कि दिन में लड़कियां भी काफी संख्या में होती हैं. छात्रों के आंदोलन को देखते हुए प्रदर्शन स्थल के करीब मौजूद जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन के दो गेट बंद कर दिए गए हैं.
क्या है मामला?
पिछले महीने 17 से 22 फरवरी के बीच कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) की चयन परीक्षा हुई थी. छात्रों का आरोप है कि इन परीक्षाओं में धांधली हुई है. शहर के कई परीक्षा केंद्रों के बाहर ऑनलाइन प्रश्न पत्र के स्क्रीनशॉट मिल रहे थे. इनमें सवालों के जवाब भी मौजूद थे.
भभुआ, बिहार की रहने वाली छात्रा आरती कुमारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “हमलोग एसएससी से ये जानना चाहते हैं कि जब हमारे हेयर क्लिप, घड़ी, चूड़ी, बेल्ट, पानी की बोतल यानी सबकुछ परीक्षा केंद्र के बाहर ही रखवा लिया जाता है तो फिर ये प्रश्नपत्र कैसे बाहर आ जाता है? आखिर एसएससी को सीबीआई जांच का आदेश देने में क्या परेशानी है?”
राजस्थान से आए कन्हैया बताते हैं, “21 फरवरी को सीजीएल की परीक्षा में कई ऑनलाइन सेंटर्स पर परीक्षा के प्रश्नपत्र में जवाब पहले से मौजूद थे. कुछ सेंटरों पर परीक्षा के बीस मिनट बाद ही ऑनलाइन पेपर बंद हो गया. ऐसे में हम एसएससी को चोर नहीं कहेंगें तो क्या कहेंगें? एसएससी के चेयरमैन असीम खुराना इसे टेक्निकल ग्लिच बताते हैं. अरे भाई इस टैक्निकल ग्लिच की ही जांच करा दो.”
हालांकि 21 फरवरी को हुई परीक्षा एसएससी ने पहले ही रद्द कर दिया है. लेकिन रविवार को एसएससी की ओर से जारी सूचनाओं ने दिनभर छात्रों को उहापोह में रखा. रविवार को भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और मनोज तिवारी छात्रों की मांगों को लेकर एसएससी के अधिकारियों से मिले. उसके बाद एसएससी की ओर से सूचना जारी की गई कि एसएससी डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) के जरिए सरकार से सीबीआई जांच के लिए अपील करेगा. इसमें 17 से 22 फरवरी के बीच जितनी भी शिकायतें आई हैं, उनपर जांच कराने की अपील की जाएगी.
थोड़े देर बाद ही एक और सूचना आई कि एसएससी डीओपीटी के जरिए सरकार से सिर्फ 21 को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं और धांधली की सीबीआई जांच कराने की मांग करेगा.
रविवार शाम तक छात्रों के बीच यह सवाल बना रहा कि आंदोलन जारी रखना है या अब वापस होना है. लेकिन कोचिंग के शिक्षकों ने उन्हें मामला समझाया कि अभी सीबीआई जांच की मांग मानी नहीं गई है और यह आंदोलन कमजोर करने की साजिश है. देर शाम स्वराज इंडिया के योगेन्द्र यादव ने भी छात्रों का असमंजस खत्म किया और कहा, “जबतक मंगलवार को सदन के जीरो आवर में सरकार के मंत्री सीबीआई जांच की पुष्टि नहीं करते, आपको डटे रहना है.”
इस बीच दैनिक भास्कर की एक ख़बर ने आंदोलनकारियों को एसएससी की नीयत पर संदेह का एक और कारण भी दे दिया. रिपोर्ट में बताया गया कि मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) की कॉपियों के मूल्यांकन के पहले ही कट ऑफ जारी कर दिए गए हैं. छात्र अब उसकी भी जांच कराना चाहते हैं. साथ ही वेंडरों को भी बदलने की मांग है.
परीक्षा रद्द किए जाने के सवाल पर छात्रों का मत विभाजित हैं. कुछ छात्र नहीं चाहते कि परीक्षा रद्द की जाए. लेकिन कुछ छात्रों का मानना है कि परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा ली जाए.
“राजनीतिक नहीं है हमारा आंदोलन”
आंदोलनकारी छात्रों के बीच यह बहुत आम कथन है, “राजनीतिक नहीं है हमारा आंदोलन.” छात्र इस आंदोलन को आम छात्रों का आंदोलन बता रहे हैं.
पीकेश कुमार, केडी कैंपस, मुखर्जी नगर में सीजीएल की तैयारी करते हैं. वे पिछले एक सप्ताह से आंदोलन में शामिल हैं. उन्होंने कहा, “यह आंदोलन अभ्यर्थियों का है. हमलोग नहीं चाहते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल इसमें राजनीतिक रोटियां सेंके.”
इसी रणनीति के तहत जब जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे व शेहला राशिद एसएससी प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच अपना समर्थन देने गए तो प्रदर्शनकारी छात्रों ने उन्हें यह कहते हुए वापस भेज दिया कि, “यह किसी की राजनीति चमकाने का मंच नहीं है. हमें इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना है.” प्रदर्शनकारी छात्रों की हूटिंग के कारण दोनों छात्र नेताओं को वापस लौटना पड़ा.
हालांकि कुछ छात्रों का कहना था कि हूटिंग एबीवीपी के लड़कों ने की थी. आम छात्रों को उनके संबोधन से कोई दिक्कत नहीं थी.
छात्रों के बीच डर है कि विपक्ष के लोगों को शामिल किए जाने से उनका आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा. अभी भले ही मीडिया में बहुत ज्यादा कवरेज नहीं मिल रहा है पर कांग्रेस या अन्य दलों के आने से मीडिया की सहानभूति आंदोलनकारियों से खत्म हो सकती है.
रविवार सुबह सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे छात्रों के बीच पहुंचे. उन्होंने छात्रों की मांगों का समर्थन किया.
आंदोलनकारी छात्र एसएससी के चेयरमैन असीम खुराना का इस्तीफा मांग रहे हैं, लेकिन कहीं भी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने से बच रहे हैं.
घटनास्थल का दृश्य इस मामले में दिलचस्प है कि एक तरफ प्रदर्शनकारी विपक्ष के नेताओं से समर्थन लेने पर या इसकी तुलना व्यापमं घोटाले से करने पर विरोध कर रहे हैं, दूसरी तरफ वहां भाजपा नेताओं का स्वागत हो रहा है, भारत माता की जय के साथ ही मोदी, मोदी के नारे भी लग रहे हैं.
अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक छात्र ने बताया, “एसएससी में भ्रष्टाचार नई बात नहीं है, पहले से होता आया है. इसीलिए मोदी सरकार को घेरना उचित नहीं है. अगर व्यापक जांच होगी तो बहुत से पूर्व एसएससी के अधिकारी और कोचिंग सेंटर्स बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए हमलोग सरकार के खिलाफ माहौल न बनाकर एसएससी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.”
कोचिंग सेंटर्स की सक्रिय भूमिका
प्रदर्शन स्थल पर लगातार दो दिन बिताने के बाद यह समझ आने लगता है कि आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटर समर्थन दे रहे हैं.
शनिवार को देर रात पैरामाउंट कोचिंग सेंटर के फैकल्टी सदस्य रामदेव भाटी ने छात्रों के बीच आकर पैरामाउंट कोचिंग की ओर से एक लाख रुपए का सहयोग देने का एलान किया. इसके थोड़े ही देर पहले केडी कैंपस की नीतू सिंह ने भी छात्रों के बीच हर संभव सहयोग का एलान किया. इन दोनों संस्थानों के एलानों पर छात्रों की तालियों से बौखलाए एक अन्य संस्थान के शिक्षक भड़क उठे. उन्होंने छात्रों से अपील की कि, “वे किसी को भी यहां ब्रांडिंग करने का मंच न प्रदान करें.”
इसी दौरान एबीवीपी ने केडी कैंपस को घेरने की कोशिश भी की. एसएससी के पूर्व चेयमैन कनन रघुपति केडी कैंपस में बतौर शिक्षक काम करते हैं.
हालांकि एबीवीपी ने कनन रघुपति का नाम नहीं लिया, बल्कि पूर्व एसएससी चेयमैन के कार्यकाल में हुई परीक्षाओं और उनके कोचिंग सेंटर से जुड़े होने का जिक्र किया है. रघुपति ने अपने फेसबुक वॉल पर इसकी जानकारी दी है.
यह भी दिलचस्प है कि कुछ महीने पहले तक नीतू सिंह पैरामाउंट कोचिंग की डायरेक्टर थी. अगस्त में पति से अलग होने के बाद उन्होंने केडी कैंपस की शुरुआत की है. नीतू के फेसबुक पर आंदोलन के बीच भी मार्केटिंग और कोचिंग ज्वाइन करने की अपील चल रही है.
जब हमने पैरामाउंट के शिक्षक रामदेव भाटी से आंदोलन और पैरामाउंट की सक्रिय भूमिका पर सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.
वहीं केडी कैंपस के शिक्षक रजनीश झा ने आश्वस्त किया कि “केडी कैंपस छात्रहितों के साथ है. कोचिंग सेंटर्स के बीच किसी तरह की कोई राजनीति है इस पर मुझे जानकारी नहीं है.”
सोशल मीडिया पर है सरकार की नजर
आंदोलन में जुटे छात्रों को सीजीओ कॉम्पलेक्स में चल रहे आंदोलन की जानकारी फेसबुक और यूट्यूब से दी जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि ट्वीट करने के साथ हैशटैग #SSCScam जरूर जोड़े. हर घंटें कोचिंग सेंटर्स के फेसबुक पेज पर आंदोलन के अपडेट्स जारी किए जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के छात्र अनिल ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर कमेंट किया. उनके कमेंट को पेज द्वारा स्पैम कर दिया गया. योगी आदित्यनाथ के पेज (आधिकारिक नहीं) पर भी उन्होंने एसएससी स्कैम से जुड़े कमेंट किए, उसे भी स्पैम कर दिया गया.
एक अन्य अभ्यर्थी माधुरी सिंह का भी ऐसा ही दावा था. उन्होंने कहा, “सरकार की हमारे आंदोलन पर नजर है. लेकिन वे देशभर में अपनी छवि खराब होने नहीं देना चाहते इसलिए हमारे कमेंट को स्पैम कर दिया जा रहा है.” कुछ छात्रों ने एसएससी पर यह भी आरोप लगाया है कि आंदोलन स्थल पर जैमर लगा दिया जाता है जिससे कि हम सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सके.
सोमवार सुबह केडी कैंपस की निदेशक ने फेसबुक पर आंदोलन में राजनीति होने के कारण अांदोलन से बाहर आने की बात कही और सरकार पर अपना भरोसा जताया.
दोपहर तक केंद्रीय गृह मंत्री ने सीबीआई जांच की मांग मान लेनी की बात कही और छात्रों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है. हालांकि छात्रों का प्रदर्शन जारी है. वे लिखित में एसएससी की तरफ से आश्वासन मांग रहे हैं. साथ ही एसएससी की अन्य परीक्षाओं की जांच कराने की मांग कर रहे हैं. इस बात की संभावना प्रबल है कि एसएससी के छात्रों के भविष्य से जुड़ा यह अराजनीतिक आंदोलन कोचिंग संस्थानों की राजनीति का अखाड़ा बन जाए.