नीरव मोदी भारतीय बैंकों की दुर्दशा का सिर्फ शुरुआती अध्याय है

पीएनबी फ्रॉड में बैंकों की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में हैं जहां नीरव मोदी, जतिन मेहता और चौकसी जैसे पहुंच वाले व्यापारियों को सीधे नगद पैसा पहुंचाने का आसान प्रावधान है.

WrittenBy:शांतनु गुहा रे
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अपने नाम को सही साबित करते हुए, नीरव मोदी खामोश हो चुके हैं.

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47 वर्षीय हीरा व्यापारी, जिसका नाम पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 1.7 बिलियन के फ्रॉड में उजागर हुआ है, वह अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क जा चुका है. जबकि उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पीएनबी के चेयरमैन सुनील मेहता ने कथित तौर पर वित्तमंत्री अरुण जेटली को अपने इस्तीफे की पेशकश की है.

सूरत में एक अलग वाकये में जहां नीरव मोदी की फैक्टरी में हीरों की कटाई और पॉलिश होती है, उसी शहर के सर्राफा व्यापारियों ने पीएनबी शाखा के सामने यह कहते हुए प्रदर्शन किया कि बैंक के अधिकारी हीरा काटने वाले मजदूरों को माहवारी किस्त जमा न कर पाने के कारण प्रताड़ित करना बंद करे.

“अगर एक बड़ा हीरा व्यापारी बैंक को इतनी बड़ी चपत लगाकर फरार हो गया तो हमलोग कुछ नहीं हैं, हमारी किस्त तो 1500 रुपए से भी कम हैं. लेकिन अगर हम किस्त नहीं भरते हैं, या एक किस्त छूट जाती है तो बैंक एजेंट हमारे दरवाजे पर आकर हमें धमकाते हैं,” हीरा काटने वाले चंदर भाई सुता ने बताया.

सुता ने करीब चार महीने पहले मोदी को सूरत में देखा था. वही सूरत जिसे भारतीय हीरा उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है.

दिलचस्प है कि, मोदी ख़बरों में तब छाए जब एक अन्य भारतीय हीरा व्यापारी जतिन मेहता, (जो वर्तमान में लंदन में छिपा बैठा है) शारजाह और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने उसके पक्ष में फैसले सुनाए.

मेहता की कंपनी, विनसम डायमंड्स और फॉरएवर डायमंड्स, ने भारतीय बैंकों से 6,800 करोड़ का कर्ज लिया हुआ है. कागजों पर वह भारत का दूसरा सबसे बड़ा कॉरपोरेट डिफॉल्टर है.

लेकिन हालिया फैसलों ने मेहता द्वारा पेमेंट न करने के एवज में दिए गए कारणों को वैध माना है. मेहता, जो कभी जेम्स एंड जुलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन कॉउन्सिल का सबसे युवा अध्यक्ष था, ने कहा कि वह बैंकों को भुगतान इसलिए नहीं कर सका क्योंकि उसके एक सबसे बड़े क्लाइंट को सर्राफा बाजार और फोरेक्स डेरिविएटिव्स में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है, अत: क्लाइंट उसे भुगतान नहीं कर सका है.

लेकिन भारतीय जांच एजेंसियों का दावा है कि मेहता ने इरादतन भारतीय बैंकों को भुगतान नहीं किया और अपने टैक्स हेवेन खातों में बैंक से ली गई रकम पहुंचा दी है. अब, कोर्ट के फैसले ने भारतीय जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, खासकर सीबीआई और इनफोर्समेंट डॉयरेक्ट्रेट (ईडी) को.

सीबीआई और ईडी के दावों की जांच करने के लिए शारजाह फेडरल कोर्ट ने वकीलों और विशेषज्ञों की एक विशिष्ट समिति बनाई थी. इस समिति ने भारतीय जांच एजेंसियों को सूचित किया है कि मेहता का दावा सच है. शारजाह कोर्ट का ऑर्डर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की वेबसाइट पर उपलब्ध है.

दिल्ली और मुंबई में कोई इस बात का जबाव नहीं दे रहा है कि 41 एफआईआर के बाद क्यों सीबीआई ने केस दर्ज किया. सीबीआई को केस दर्ज करने में इतना वक्त क्यों लगा. और यह भी कि कैसे पीएनबी के राज्य स्तरीय छोटे-मोटे अधिकारी मोदी को लोन देते रहे- आखिरी भुगतान फरवरी 2017 तक किया गया है. इस वक्त नीरव मोदी के भाई निशल मोदी का नाम केस में आ चुका था. निशल की शादी इशिता से हुई है और इशिता मुकेश अंबानी की भतीजी और धीरूभाई अंबानी की नातिन हैं.

पीएनबी ने लगभग 30 राष्ट्रीयकृत बैंकों से पूछा है कि क्या उन्होंने भी इस तरह का कोई कर्ज नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी (गीतांजली जेम्स एंड्स ज्वेलर्स) को दिए हैं. चौकसी का भी नाम एफआईआर में दर्ज है. युद्धस्तर पर आकलन चल रहा है और अगर कोई बैंक कहता है कि उनके पास भी अनपेड लोन है, तो यह रकम 20 हजार करोड़ के ऊपर जा सकती है.

इन सबके केन्द्र में बैंकों का वह कामकाज का तरीका जिम्मेदार है जहां बैंक ऐसे बिजनेसमैन को नकद कर्ज देते हैं.
चौकसी को सबसे कद्दावर हीरा व्यापारी माना जाता है. उनकी पहचान इस रूप में भी है कि वे बैंकों की बोर्ड मीटिंग में जाकर कैश की मांग करते हैं. पीएनबी घोटाले के बाद 2013 की एक घटना सामने आई है. यह चौकसी और इलाहाबाद बैंक के बीच का मामला है, जहां डायरेक्टर्स के विरोध के बावजूद उन्हें 50 करोड़ का लोन दिया गया. जबकि डायरेक्टर्स ने चौकसी से कहा कि वे नए लोन लेने से पहले बैंक के 1500 करोड़ रूपए पहले वापस करें.

“विरोध करने वाले डायरेक्टर दिनेश दुबे को इस्तीफा देना पड़ा. सब चाहते थे कि मैं इस्तीफा दे दूं, वित्त मंत्रालय और इलाहाबाद बैंक के उच्च अधिकारी चाहते थे कि मैं इस्तीफा दे दूं,” दुबे ने एक साक्षात्कार में कहा.

मुंबई में, ब्रीच कैंडी हाउस ब्रांच के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी और क्लर्क मनोज खरात, के परिजनों ने सीबीआई से उनकी रिहाई की गुहार लगाई है. उन्होंने तर्क दिया कि जूनियर अधिकारियों ने “सीनियर्स के कहने के बाद फैसले लिए. सीनियर्स ने उन्हें आश्वस्त किया कि सारी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं.”

मजेदार है कि 25 बिलियन डॉलर के लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग बिना किसी सुरक्षा उपाय या वैकल्पिक सावधानी बरते जारी कर दिया गया, इसने कंपनियों को भारतीय बैंकों के अंतरराष्ट्रीय शाखाओं से पैसे निकालने की छूट दे दी.

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग लोन देने वाले बैंक द्वारा लोन लेने वाले बैंकों और कंपनियों को दी गई गारंटी होती है कि एक सीमित अवधि में रकम का भुगतान कर दिया जाय.

मोदी और उसकी कंपनियों ने हॉन्ग कॉन्ग के खरीददारों को इलाहाबाद बैंक (लगभग 2000 से 2200 करोड़), यूनियन बैंक (2000 से 2300 करोड़), एक्सिस बैंक (करीब 2000 करोड़) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (960 करोड़) से क्रेडिट प्राप्त करने के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग की छूट दी.

इंडस्ट्री के जानकार बताते हैं कि ज्यादातर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग अक्सर कैश की मांग करते वक्त हीरा व्यापारियों द्वारा दिखाई गई पहुंच और ऊंचे लोगों से संबंधों के कारण जारी होते हैं. “कुछ बड़े घरों में या उद्योग घरानों में ब्याहे होते हैं, कुछ के राजनेताओं के परिवारों के साथ करीबी व्यापारिक संबंध होते हैं और कुछ दावा करते हैं कि उनके पास पुश्तैनी संपत्ति है,” सर्राफा बाजार पर नजर रखने वाले अशोक मर्चेन्ट कहते हैं.

मोदी और चौकसी दोनों पर अधिकारियों के प्रश्रय में पीएनबी फ्रॉड करने का आरोप है. इससे पहले कि उनके ऊपर लगे आरोपों पर कारवाई होती, मोदी और उसके परिजन भारत छोड़कर निकल गए. यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका कि इसमें मोदी सरकार से जुड़े किसी मंत्री या वरिष्ठ पदाधिकारी की कोई भूमिका थी.

इस ख़बर ने मुंबई स्थित भारत डायमंड बायर्स को विचलित कर दिया है जहां मीटिंग के दौरान सदस्य पूरे दिन परिस्थितियों को समझने में उलझे नजर आए. यह बात उन्हें सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी कि मोदी और चौकसी खुद को इतने बड़े घपले से नहीं बचा पाएंगें.

दरअसल नीरव मोदी ने बड़े गर्व से दावोस में हुए वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की तस्वीर ट्वीट की थी जिसमें वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ ग्रुप फोटो में थे. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि वह एक रश्मी फोटो थी और उससे यह साबित नहीं होता कि उनकी प्रधानमंत्री के साथ निकटता थी.

लेकिन नीरव मोदी भारत और एंटवर्प के एक छोटे से शांत जिले होव्नियरस्ट्राट (दुनिया के सबसे बड़े हीरे के बाजार) दोनों जगह पर बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं. मोदी और अन्य भारतीयों ने दो दशक से भी ज्यादा वक्त से वैश्विक डायमंड ट्रेड पर राज किया है. उन्होंने एंटवर्प सेंट्रल स्टेशन जहां कभी यहूदियों की भारी संख्या थी, उसे भारत के गुजरातियों के लिए घर में तब्दील कर दिया है.

मोदी के लोग वर्साचे और अरमानी सूट पहनकर अपने हसिद हीरा खरीददारों (जिनकी पहचान लंबे काले कोट और माथे पर सजी टोपी से होती है) से मिलते हैं. मोदी को आज भी होव्निरस्ट्राट में प्रभावशाली माना जाता है. उनका शाकाहारी भोजन स्थानीय यूरोपीय और यहूदियों द्वारा पसंद किया जाता है.

मोदी जैसे लोगों का ही प्रभाव है कि भारतीयों की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर सड़क किनारे लगने वाले प्रतिष्ठित कोशर रेस्तरां ने खुद को शाकाहारी रेस्तरां में तब्दील कर लिया है. यहां एक जैन मंदिर भी है जहां मोदी खुलकर दान देते हैं.

एंटवर्प, लंदन, न्यूयॉर्क और पेरिस में स्थिक अपने खास ग्राहकों के लिए निकाली जाने वाली चमकदार पत्रिकाओं में अक्सर मोदी छपते रहते हैं. उन्होंने प्रतिष्ठित फिल्मी अदाकारों और मॉडलों (प्रियंका चोपड़ा और रोजी हंटिंग्टन व्हाइटली) को अपने आभूषणों का ब्रांड अंबेस्डर बनाया है.

मुंबई और एंटवर्प के लोग उन्हें उनकी मधुर आवाज के लिए याद करते हैं. नवंबर में जब पीएनबी के साथ तल्खियां चरम पर थी, मोदी ने मुंबई के फोर सीजन्स में पार्टी दी थी. इस पार्टी में अभिनेत्री सोनम कपूर और इटली से थ्री स्टार सेफ़ मस्सिमो बोट्टुरा जैसे कुछ विशिष्ट अतिथि भी मौजूद थे.

मोदी की शान-ओ-शौकत पीएनबी के अधिकारियों के लिए एक दुविधा थी कि उनसे कर्ज की रकम कैसे वसूली जाए.
बंगलौर स्थित बिजनेसमैन हरि प्रसाद करते हैं कि उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय को आगाह किया था. हरि प्रसाद ने मोदी और चौकसी के साथ 2012 में एक व्यापारिक अनुबंध किया था. प्रसाद ने करीब 100 मिलियन लागत लगाई थी और मोदी और चैकसी को उन्हें कुल 250 मिलियन की राशि निम्नांकित करनी थी. लेकिन अनुबंध के अनुसार जो हीरे और अन्य ज्वाहरात उन्हें मिलने थे, वे हरि प्रसाद को नहीं मिले.

प्रसाद ने बंगलौर पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई और शिकायत की प्रति सीबीआई और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजा. प्रधानमंत्री कार्यालय ने शिकायत रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ को बढ़ा दी. हैरत की बात है, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ ने बिना सुबूत मांगें ही केस बंद कर दिया.

“मुझे एहसास हुआ कि मोदी और चौकसी बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्होंने मेरे खिलाफ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में लॉबी की है,” प्रसाद ने कहा.

पीएनबी को लिखे एक पत्र में, ऐसा माना जा रहा है कि मोदी ने 5,000 करोड़ की रकम चुकाने के लिए छह महीने का वक्त मांगा था. गर्दिश में फंसे मोदी के सितारों के लिए मुश्किलों की घड़ी की बस शुरूआत है.

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