अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय: छात्र हैं तो छात्रसंघ भी होगा, शर्तें लागू

अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के सतत प्रयास के बाद छात्रसंघ चुनाव का रास्ता साफ हो सका है.

WrittenBy:शर्जील उस्मानी
Date:
Article image

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (अमुवि) के कुलपति ने कुछ दिन पहले घोषणा की है कि अमुवि छात्रसंघ चुनाव की तैयारी 30 अक्टूबर से शुरू कर दी जाएगी. 30 अक्टूबर की तारीख, अमुवि छात्रसंघ संविधान और लिंगदोह समिति द्वारा बताई गई समय सीमा का भी उल्लंघन करती है.

अमुवि छात्रसंघ का इतिहास:

अमुवि छात्रसंघ की स्थापना इसके संस्थापक सर सैय्यद अहमद ख़ान ने खुद 1884 में की थी. यह तब ‘सिड्डन्स डिबेटिंग क्लब’ के नाम से जाना जाता था. सिड्डन्स डिबेटिंग क्लब की स्थापना करने का मकसद अच्छे वक्ता व समझदार नेता पैदा करना था. सन 1920 में ‘मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल’ (एमएओ) कॉलेज को विश्वविद्यालय बना दिया गया तब सिड्डन्स डिबेटिंग क्लब का नाम बदल कर मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ रख दिया गया. सन 1952 में इस छात्रसंघ का संविधान तैयार किया गया. इस संविधान के अनुसार छात्रसंघ का चुनाव नया अकादमिक वर्ष के शुरू होने के 75 दिनों का अंदर हो जाना चाहिए.

आखिर छात्रों को क्यों करना पड़ा धरना?

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव करवाना प्रशासन को कभी पसंद नहीं रहा. पिछले साल छात्रों को नौ दिनों तक धरना देने के बाद ही छात्रसंघ चुनाव की तारिख मिली. इस साल छात्रों ने समझदारी दिखाते हुए नवनियुक्त कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को छात्रसंघ चुनाव कराने हेतु चिठ्ठी लिखी. प्रशासन व कुलपति की ओर से इस चिठ्ठी का कोई जवाब नहीं आया. छात्रों ने कुछ दिन इंतज़ार करने के बाद कुलपति को दूसरी चिठ्ठी लिखते हुए उनसे छात्रसंघ चुनाव के मुद्दे पर बात करने के लिए समय मांगा. प्रशासन ने 13 सितम्बर को मिलने का समय दिया और कई छात्र कुलपति से मिलने उनके ऑफिस पहुंचे. वहां कुलपति ने आश्वासन दिया की वे छात्रसंघ चुनाव जल्द ही कराएंगे. छात्रों ने फिर इंतज़ार किया मगर प्रशासन की ओर से कोई पहल न की गई. अब छात्रों ने मिलकर प्रशासन को 16 सितम्बर को 24 घंटे में चुनाव की तारीख न देने पर धरने पर बैठने की चेतावनी दी. प्रशासन का इस चेतावनी पर भी कोई जवाब नहीं आया. अंततः छात्रों ने धरने पर बैठने का निर्णय लिया और 17 सितम्बर को छात्र धरने पर बैठ गए.

धरने पर बैठे छात्रों के साथ प्रशासन का बर्ताव

छात्रों के धरने पर बैठते ही प्रशासन ने इस पूरे धरने को अलोकतांत्रिक घोषित कर दिया. प्रशासन के अनुसार परिसर में धरने पर बैठने से पहले प्रॉक्टर कार्यालय से अनुमति लेना अनिवार्य है. छात्र अनुमति लिए बिना ही धरने पर बैठ गए. छात्र अपनी मांग पर डटे रहे, जिसके बाद प्रशासन ने धरने को खत्म करने का दूसरा तरीका अपनाया. प्रशासन ने धरने पर बैठे छात्रों के परिजनों को चिठ्ठी लिख कर बताया कि उनका बेटा विश्वविद्यालय में पढ़ने की बजाय अलोकतांत्रिक गतिविधियों में शामिल है.

imageby :

छात्रसंघ चुनाव की मांग मान ली गई, प्रशासन की शर्त पर

धरने के पांचवे दिन, छात्रों को प्रशासन ने बात करने के लिए बुलाया. छात्रों को बताया गया कि परीक्षा के चलते चुनाव स्थगित करना पड़ेगा मगर प्रशासन लिखित में आश्वासन देने को तैयार है कि छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे. प्रशासन का प्रत्येक वर्ष यही रवैया रहता है. चुनाव के समय वे परिसर में परीक्षा रख देते हैं. अंततः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव नवम्बर या जनवरी माह में कराया जाता है. ऐसे में छात्रसंघ को काम करने के लिए केवल दो से तीन महीने ही मिल पाते हैं.

परिसर में छात्रसंघ की तैयारीयाँ शुरू हो गई हैं, मुद्दा नजीब होगा

जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय (जेएनयू) छात्र नजीब अहमद हो लापता हुए एक वर्ष पूरे हो चुके हैं. नजीब का केस सीबीआई को दे दिए जाने के बाद भी कोई खास सुराग नहीं मिले हैं. इससे अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के छात्रों में काफी रोष है. इन्हीं छात्रों ने बीते वर्ष 31 दिसम्बर को ‘रेल रोको आन्दोलन’ करके नजीब के केस की निष्पक्ष जांच के लिए माँग की थी. अब पूरे परिसर में फिर से नजीब के मुद्दे को लेकर चर्चा हो रही है. छात्रसंघ चुनाव के उम्मीदवारों ने नजीब के मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरने का फैसला किया है. यह भी माना जा रहा है कि चुनाव के बाद फिर से रेल रोको आन्दोलन शुरू किया जा सकता है.

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like