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एनएल चर्चा 401: राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ, SIR प्रक्रिया और चुनाव सुधार पर मंथन

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्तेभर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     

एनएल चर्चा में इस हफ्ते संसद में वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह, चुनाव सुधार और एसआईआर पर हुई चर्चा समेत इंडिगो संकट को लेकर विस्तार से बात हुई.

इसके अलावा सरकार ने इंडिगो को अपनी उड़ान संख्या 10 फीसदी घटाने के लिए कहा, गोवा के एक नाईट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की मौत, कर्नाटक सरकार द्वारा माहवारी के दौरान एक दिन की छुट्टी के प्रावधान वाले नोटिफिकेशन पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने लगाई रोक, मध्यप्रदेश के किसानों में खाद की कमी को लेकर चिंता और विरोध प्रदर्शन, केरल में चलती गाड़ी में अभिनेत्री से यौन शोषण की साज़िश के मामले में अभिनेता दिलीप बरी, पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार ने तीन साल बाद सशर्त मनरेगा योजना शुरू करने का दिया आदेश, एक रिपोर्ट के अनुसार- नवंबर के बाद ग़ाज़ियाबाद बना देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के कृषि उत्पादों पर अतिरिक्त कर लगाने का इशारा किया, मेक्सिको ने भारत पर 50% तक अपने कर बढ़ाए और धुरंधर फिल्म के रिव्यूज़ को लेकर फिल्म समीक्षक निशाने पर आदि ख़बरें भी हफ्तेभर की सुर्खियों में शामिल हैं.

इस बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और बीबीसी हिंदी की वीडियो हेड सर्वप्रिया सांगवान शामिल हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री टीम से सह संपादक शार्दूल कात्यायन और स्तंभकार आनंद वर्धन ने चर्चा में हिस्सा लिया. न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने चर्चा का संचालन किया.

वंदे मातरम पर संसद में हुई बहस से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल चौरसिया ने कहा, “नेहरू ने पूर्व में जो फैसले लिए उसे लेकर उनके पत्राचार उपलब्ध हैं जिससे पता चलता है कि उन्होंने किससे क्या मशवरा किया जो कि एक लोकतंत्र में ज़रूरी है लेकिन क्या कोई जानता है कि नरेंद्र मोदी ने जब नोटेबंदी की घोषणा की तो किससे सलाह ली थी? ऐसे ही अनगिनत फैसले हैं जो सवाल खड़े करते हैं.”

इस बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए सर्वप्रिया कहती हैं, “शुरुआत से ही नरेंद्र मोदी के पावर में आने के बाद यह नैरेटिव सेट किया गया है कि वह राष्ट्रवादी हैं और बाक़ी लोगों के लिए विपरीत विशेषणों का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की डिबेट केवल अपने आप को राष्ट्रवादी स्थापित करने के लिए नहीं बल्कि एक इंटेलेक्चुअल स्पेस में जगह बनाने की कोशिश भी है.”

सुनिए पूरी चर्चा -

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