प्लांट को सरकार की तरफ से बीते सितंबर में पर्यावरण संबंधी मंजूरी दी जा चुकी है. जिसके बाद से यहां प्लांट का विरोध बढ़ने लगा है.
ओडिशा का क्योंझर ज़िला अपनी खनिज संपदा के लिए जाना जाता है. हाल ही में यहां सरकार ने एस्सार कंपनी को एक आयरन ओर प्लांट लगाने के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी दी है. यह प्लांट जिले के टिकरपाड़ा और कड़ागढ़ में होगा.
हालांकि, स्थानीय लोगों को प्लांट की सूचना के बाद से अपनी जीविका के साथ-साथ खेती और नदी पर मंडराते संकट की चिंता सताने लगी है. ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने जिस जगह ज़मीन ली है, उसके चारों तरफ़ खेती की भूमि और आबादी वाले गांव हैं. इस पूरे इलाके में लोग कृषि पर निर्भर हैं.
ऐसे में प्लांट के लिए नदी से भारी मात्रा में पानी लिया जाएगा तो उनके सामने पानी का संकट होगा. वहीं, प्लांट से उड़ने वाली धूल धीरे-धीरे उनकी जमीन को बंजर कर देगी. ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि परियोजना के लिए सही तरीके से जन सुनवाई नहीं हुई. साथ ही उनकी चिंताओं की अनदेखी करते हुए इसे मंजूरी दी गई.
ग्रामीण बताते हैं कि प्लांट को लेकर 18 जनवरी 2025 को जन सुनवाई हुई थी लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोके रखा. जिससे वो अपनी बात नहीं रख पाए. दूसरी ओर, पर्यावरण विशेषज्ञ भी इस प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि इससे नदी का जलस्तर कम होगा और प्रदूषण भी बढ़ेगा.
पर्यावरणविद् प्रफुल्ल साम्नात्रा कहते हैं, “यह इलाका बेहद उपजाऊ कृषि क्षेत्र है. बैतरणी नदी यहां की खेती का मुख्य जल स्त्रोत है. ऐसे में इस प्लांट के लिए भारी मात्रा में पानी की जरूरत होगी. जो बैतरणी नदी से ही लिया जाना है. इससे बैतरणी नदी को नुकसान होगा. बारिश का मौसम बीतने के बाद यह नदी सूख जाती है. क्रशिंग और ग्राइंडिंग से हर तरह का प्रदूषण होगा. बच्चे, बुज़ुर्ग और किसान सभी इस प्रदूषण की मार झेलेंगे.”
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
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