इंदिरा गांधी से मोदी तक महिलाओं के वोट ने चुनावों पर डाला क्या असर? रुही तिवारी की किताब- व्हाट वुमेन वॉन्ट

चुनावी राजनीति में महिलाओं की भूमिका में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस बीच कुछ दलों ने उन्हें एक वोटबैंक की तरह भी देखना शुरू किया है. 

कई मीडिया संस्थानों में काम कर चुकीं और वरिष्ठ पत्रकार रुही तिवारी इन दिनों अपनी किताब ‘व्हाट वुमेन वॉन्ट’ को लेकर सुर्खियों में है. इस बीच रूही से न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी के साप्ताहिक पॉडकास्ट एनएल चर्चा में उनकी किताब को लेकर बात हुई. बातचीत की शुरुआत हालिया बिहार चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मिले प्रचंड बहुमत में महिलाओं की भूमिका को समझने से हुई. एनडीए की इस जीत के बाद चुनाव में महिलाओं की भूमिका को लेकर काफी बातचीत हो रही है. यहां तक कि कुछ लोग तो इस जीत में महिलाओं की ही बड़ी भूमिका बता रहे हैं.  

उल्लेखनीय है कि साल 2014 के आम चुनावों के बाद से ही महिलाएं लगातार चुनावी चर्चा का विषय हैं. लोगों के मन में सवाल है कि महिलाएं क्या सोचकर और किस मुद्दे को लेकर वोट कर रही हैं. 

रुही तिवारी ने अपनी किताब ‘व्हाट वुमेन वॉन्ट’ में ऐसे कई सवालों पर रोशनी डालने की कोशिश की है. रुही कहती हैं कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनावों में महिला मतदाताओं ने बड़ी संख्या में वोट किया था. उसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी ने समझा कि महिला मतदाता एक ऐसा तबका है, जिसपर अभी तक ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. इसलिए उसके बाद से महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं में भी बढ़ोतरी हुई. अब हर तबके की महिलाओं ने जाति धर्म से ऊपर उठ कर वोट देना शुरू किया है, हालांकि, मुस्लिम महिलाएं अभी भी भाजपा को उस अनुपात में वोट नहीं करती हैं, जितना कि बाकी तबके की महिलाएं.  

देखिए रूही तिवारी से बातचीत का ये खास अंश. 

चर्चा का पूरा एपिसोड देखने के लिए यहां और सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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