दिल्ली की हवा बर्बादी की राह पर है. इसे साफ करने की ज़िम्मेदारी किसकी है? और वो क्या कर रहे हैं?
कहीं दिल्ली की जनता इस ज़हरीली हवा की आदी न हो जाए, इसीलिए ज़रूरी है कि हम उन लोगों से सवाल पूछें जो हमारी हवा और जल–जंगल की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार हैं.
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में दिल्ली में लगभग 17,000 मौतें सीधे हवा के प्रदूषण से जुड़ी थीं यानि हर सात में से एक मौत की वजह बर्बाद हवा थी.
डॉक्टर कह रहे हैं कि स्कूल जाने वाले बच्चों के फेफड़े अब ‘काफ़ी कमज़ोर’ पाए जा रहे हैं. और नवजात शिशु भी कम वज़न और दमे जैसे ख़तरों के साथ पैदा हो रहे हैं. दिल्ली की हवा अब एक तरह से हेल्थ इमरजेंसी बन चुकी है. जहां सांस लेना कोई सामान्य शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि रोज़ की जद्दोजहद बन गया है.
और फिर वही सवाल लौटकर खड़ा होता है, आखिर ज़िम्मेदारी किसकी है? भारत सरकार के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव हैं. वह साल 2021 से मंत्रालय संभाल रहे हैं. उनके अधिकार क्षेत्र में ही दिल्ली–एनसीआर के लिए बनाया गया कमीशन फ़ॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आता है. हालांकि, इसके अधिकारों का असर ज़मीन पर नज़र नहीं आ रहा. सुप्रीम कोर्ट ने आज सीएक्यूएम को उसके अधिकारों की याद दिलाते हुए, दीर्घकालिक समाधान लागू करने के लिए फ्री हैंड दिया है.
अब वक़्त बताएगा कि क्या हमारी पर्यावरण मंत्रालय और सीएक्यूएम मिलकर दिल्ली की हवा साफ़ कर पाएंगे या नहीं. और तब तक आइए देखते हैं कि सरकार के पर्यावरण मंत्री क्या कर रहे हैं.
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