साइकिल योजना, नौकरी में आरक्षण, वृद्धा पेंशन में वृद्धि और शराब बंदी जैसे सरकारी फैसलों की वजह से महिलाओं का एक बड़ा तबका नीतीश कुमार के पक्ष में मतदान करता है.
तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' को देश के लिए नुकसानदायक बताया था. लेकिन बिहार में विधानसभा चुनावों से ठीक एक महीने पहले 2 सितंबर 2025 को प्रदेश में उनकी सहयोगी सरकार ने घोषणा की कि 'जीविका कार्यक्रम से जुड़ी महिलाओं को कारोबार के लिए 10-10 हज़ार रुपये दिए जाएंगे.'
पहली बार ऐसा हुआ है जब जीविका समूह की महिलाओं को बिना ब्याज के सीधी वित्तीय सहायता दी जा रही है. यह घोषणा चुनाव आयोग के 6 अक्टूबर को राज्य में चुनाव की तारीखों के ऐलान से बस महीनाभर पहले ही हुई. अब सवाल ये है कि क्या ये 'रेवड़ी' है या 'महिला सशक्तिकरण' की दिशा में एक कदम?
बिहार में 2006 में विश्व बैंक की मदद से शुरू हुआ जीविका कार्यक्रम अब राज्य की सामाजिक-आर्थिक पहचान बन चुका है. सालों से इस योजना ने लाखों ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है. कोई पशुपालन से जुड़ी, कोई छोटे कारोबार से तो कोई सिलाई या दुकानदारी से. इससे महिलाओं के हाथ में पैसे आए. जिससे उनकी सामाजिक ताक़त भी बढ़ी.
साइकिल योजना, नौकरी में आरक्षण, वृद्धा पेंशन में वृद्धि और शराबबंदी जैसे सरकारी फैसलों की वजह से महिलाओं का एक बड़ा तबका नीतीश कुमार के पक्ष में मतदान करता है. वहीं इस बार जीविका से जुड़ी महिलाओं के खाते में पैसे डालने का क्या असर होगा, यह जानने के लिए हमने अलग-अलग जिलों में महिलाओं से बात की.
लेकिन इस बार महिलाओं के खाते में सीधे 10-10 हज़ार रुपये डाले गए हैं. क्या यह चुनाव से पहले की वोट साधने वाली योजना है या सशक्तिकरण की एक और कोशिश? इस मुद्दे को समझने के लिए हमने राज्य के अलग-अलग जिलों में जीविका से जुड़ी महिलाओं से बात की.
बिहार में वोटिंग के कई लेयर हैं. उसमें जाति एक बड़ी कड़ी है. जीविका से जुड़ी महिलाओं में भी यह देखने को मिलता है. वो तबका जो बीजेपी को लंबे समय से वोट करता रहा है, वो इसे बेहतर बता रहा है.
वहीं दूसरा तबका इस पर सवाल खड़ा कर रहा है. वहीं एक चीज़ और हमें देखने को मिली कि महागठबंधन की तरफ से जो जीविका से जुड़ी महिलाओं के लिए वादा किया गया, कुछ जगहों पर यह बात उन तक पहुंच नहीं पाई है और जहां पहुंची हैं उनको भरोसा नहीं है. वो कहती हैं, नीतीश तो दे रहे हैं, ये पता नहीं देंगे या नहीं.
बिहार के कुल 7.43 करोड़ मतदाताओं में से 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं. इसमें से एक करोड़ से ज़्यादा जीविका से जुड़ी महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये डाले गए हैं. यह एक बड़ा आंकड़ा है. पुरुषों की तुलना में यहां महिलाएं मतदान ज़्यादा करती हैं. 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो जहां पुरुषों का वोट प्रतिशत 54.68 था, वहीं महिलाओं का 59.69 रहा.
एक बार फिर पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ है. मतदाता स्थलों पर महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली. देखना होगा कि जैसा कहा जाता है कि महिला वोटर एनडीए और खासकर नीतीश कुमार के साथ हैं, ऐसा ही होता है या तेजस्वी के तमाम वादों का उन पर असर होता है.
नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.
देखिए ये खास रिपोर्ट.
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