क्लाउड सीडिंग: आईआईटी का विज्ञान भी नहीं भगा सका प्रदूषण का साया

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बाद में बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए आवश्यक नमी बादलों में मौजूद नहीं थी.

WrittenBy:अवधेश कुमार
Date:
   

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर प्रदूषण की चपेट में है. मौजूदा वक्त में दिल्ली-एनसीआर की हवा इतनी खराब हो चुकी है कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ, हर साल सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है. खासतौर पर अक्टूबर या दीपावली के आस-पास तो हालात ऐसे बन जाते हैं कि दिल्ली एक ‘गैस चैंबर’ में तब्दील हो जाती है. इसमें दीपावली पर जलने वाले पटाखों की भी अहम भूमिका होती है.

इसी प्रदूषण से निपटने के लिए इस बार दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया. लेकिन दिल्ली में हुए इसके तीनों ट्रायल असफल रहे.

सेना विमान ने पहले आईआईटी कानपुर और बाद में मेरठ की हवाई पट्टी से उड़ान भरी और दिल्ली के अलग-अलग इलाकों जैसे कि खेकड़ा, बुराड़ी, करोल बाग और मयूर विहार समेत अन्य इलाकों क्लाउड सीडिंग के लिए कैमिकल छोड़े. लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा और बारिश नहीं हुई. 

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बाद में बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए आवश्यक नमी बादलों में मौजूद नहीं थी. सफल क्लाउड सीडिंग के लिए बादलों में कम से कम 50 फीसदी नमी जरूरी होती है, जबकि उस समय यह मात्र 10 से 15 फीसदी ही थी.

इस पूरे मसले को समझने के लिए हमने कई विशेषज्ञों से बात की.

आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज में सहायक प्रोफेसर शहज़ाद गनी का कहना है, “जब बादलों में नमी ही नहीं थी तो क्लाउड सीडिंग करवाने का कोई मतलब नहीं था और मान लीजिए बारिश हो भी जाती तो उसका असर कुछ घंटों से ज़्यादा नहीं टिकता. यह प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है.”

देखिए पूरी वीडियो रिपोर्ट-  

ये दूसरी बार है जब हम किसी मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं और आपसे इसका हिस्सा बनने की अपील कर रहे हैं. ऐसा क्यों है, जानने के लिए ये लेख पढ़िए. साथ ही इस मुहिम में मनचाही राशि के जरिए योगदान दीजिए और ‘हवा का हक़’ की इस मुहिम में शामिल होने लिए यहां क्लिक करें. 

Also see
article imageक्लाउड सीडिंग पर वैज्ञानिक नजरिया, क्या कहते हैं पूर्व मौसम महानिदेशक केजे रमेश
article imageक्लाउड सीडिंग से बारिश या भ्रम? जानिए पूरी प्रक्रिया

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like