शायद 1999 के उस चक्रवाती तूफान के कहर से हासिल सबक है कि अब ओडिशा पहले से काफी सतर्क और तैयार नजर आता है.
बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफ़ान मोंथा ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटवर्तीय इलाकों में मंगलवार शाम को दस्तक दी. इसका असर 3 से 4 घंटे तक रहा. ओडिशा के 8 जिलों में मोंथा का असर साफ दिखा. इनमें मलकानगिरी, कोरापुट, रायगड़ा, गजपति, गंजाम, कंधमाल, कालाहांडी और नबरंगपुर शामिल हैं.
इस चक्रवात का असर हल्की बारिश और तेज हवाओं के साथ 27 अक्टूबर से ही दिखने लगा था. 28 अक्टूबर की सुबह आते-आते इसमें बढ़ोतरी होने लगी और शाम को पूरी तरह असर दिखा. इस दौरान 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चली. हालांकि, ओडिशा में इस तूफान की वजह से किसी प्रकार का जानी नुकसान दर्ज नहीं किया गया जबकि आंध्र प्रदेश में 2 व्यक्ति की मौत हुई है. ओडिशा के बाकी ज़िलों में अभी भी हल्की बारिश जारी है. माना जा रहा है कि चक्रवात का असर 31 अक्टूबर तक रहने की संभावना है.
इसके बहाने हमें 1999 का चक्रवात याद आता है. जब अनेकों-अनेक लोगों की जान चली गई थी. लेकिन शायद उसी का सबक है कि अब ओडिशा पहले से काफी सतर्क और तैयार नजर आता है. मोंथा के चलते अभी किसी प्रकार के जानी नुकसान की ख़बर नहीं है. हालांकि कई जगह पर भूस्खलन और पेड़ गिरने की घटनाएं हुई हैं.
मोंथा की दस्तक से पहले हमने 28 अक्टूबर को गंजाम जाकर गोपालपुर और आर्यपाली इलाकों में लोगों और अधिकारियों से बात की. साथ ही इससे निपटने की तैयारियां भी दर्ज की. ओडिशा में कुल 11,000 लोगों को निकाला गया है.
इस दौरान हमने पाया कि आर्यपाली इलाके में लोगों को स्थानांतरित करने में अधिकारियों को दिक्कतें आईं क्योंकि वहां भाषा की समस्या थी, जिसके चलते उन्होंने जागरूकता रैली निकाली.
देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
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