चाहे पेपर लीक हों और या भर्ती घोटाले जैसे आरोप, एक बात तो साफ है कि इनकी वजह से भर्ती संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
हाल ही में ओडिशा पुलिस के लिए सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया. यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कहा जा रहा है. पुलिस इस मामले में अब तक 123 आरोपियों को पकड़ चुकी है. इनमें से 114 लोग इसी सब-इंस्पेक्टर परीक्षा के अभ्यर्थी थे.
पुलिस जांच में पता चला कि इन अभ्यर्थियों ने प्रश्न पत्र हासिल करने के लिए 25 लाख रुपये तक देने की बात तय की हुई थी. जिसमें जिसमें ₹10 लाख पहले और ₹15 लाख नौकरी मिलने के बाद देने थे. इस परीक्षा में कुल 933 पदों के लिए भर्ती निकली थी, जिनमें से करीब 300 पदों के लिए ‘सेटिंग’ हो चुकी थी.
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने फिलहाल ये मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
लेकिन ओडिशा में ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बार या तो पेपर लीक हो गए या फिर किन्हीं और कारणों से भर्ती परीक्षाएं रद्द होती गईं. कभी कोरोना ने तो कभी भर्ती परीक्षा की अनियमितताओं ने इन्हें लटकाए रखा. अनुमान है कि अब तक करीब दो दर्जन परीक्षाएं इस तरह से प्रभावित हो चुकी हैं. जिनमें स्कूली परीक्षाओं से लेकर प्रतियोगी परीक्षाएं शामिल हैं.
हमने इस मामले पर अभ्यर्थियों से भी बात की. अभ्यर्थी इस मामले पर काफी नाराज दिखाई दिए. उनकी मांग है कि सरकार परीक्षाओँं के प्रभावित होने पर कोई ठोस कदम उठाए.
ओडिश पुलिस के लिए सब-इंस्पेक्टर परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी आशीर्वाद राउत ने कहा, “हमने इस परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत की थी. अब जब इस तरह का घोटाला सामने आया है, तो छात्रों का मनोबल टूट गया है.”
चाहे पेपर लीक हों और या भर्ती घोटाले जैसे आरोप, एक बात तो साफ है कि इनकी वजह से भर्ती संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.
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