तीन जिले, तीन एनकाउंटर और सब आरोपियों की एक ही कहानी- पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में फंसाया  

उत्तर प्रदेश पुलिस पर आरोप हैं कि वह पहले आरोपियों को गुपचुप तरीके से उठाती है, फिर कुछ दिनों बाद एक ‘पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट’ के तहत मुठभेड़ दिखाकर ‘'हाफ एनकाउंटर'’ की कहानी गढ़ती है.

WrittenBy:अवधेश कुमार
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उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से किए जा रहे कथित ''हाफ एनकाउंटर'', जिन्हें पुलिस 'ऑपरेशन लंगड़ा' कहती है, पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. यूपी पुलिस पर आरोप हैं कि वह पहले आरोपियों को गुपचुप तरीके से उठाती है, फिर कुछ दिनों बाद एक ‘पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट’ के तहत मुठभेड़ दिखाकर ‘'हाफ एनकाउंटर'’ की कहानी गढ़ती है. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस स्टोरी में ऐसे ही तीन मामलों की पड़ताल की. इसके लिए हमने उत्तर प्रदेश के कानपुर, अलीगढ़, मथुरा और ग्रेटर नोएडा का दौरा किया. सबसे पहले हम कानपुर पहुंचे.

दरअसल, यह घटना 11 जनवरी 2025 की दोपहर करीब 2:30 बजे की है. पीड़ित परिवार का कहना है कि उनके घर कुछ पुलिसकर्मी पहुंचे, उन्हें डरा-धमका कर पहले गाड़ी (ईको वैन) की चाबी ली और फिर गाड़ी को उठाकर अपने साथ ले गए. इसके बाद रात करीब 10 बजे इसी गाड़ी को मुठभेड़ में दिखाकर इसके मालिक प्रांशू सोनकर को कई धाराओं में अभियुक्त बना दिया गया. इस मुठभेड़ में पुलिस ने दो युवकों के पैरों में गोली भी मारी.

परिवार का दावा है कि जिस प्रांशू सोनकर को पुलिस मुठभेड़ में शामिल बता रही है, वह उस दिन कानपुर से करीब 550 किलोमीटर दूर कोटा में नौकरी कर रहे थे. यही नहीं, परिवार ने न्यूज़लॉन्ड्री को पुलिसकर्मियों द्वारा गाड़ी उठाने के सीसीटीवी फुटेज और प्रांशू के कोटा में होने के भी सबूत दिए.

इसके बाद हम दूसरी मामले की सच्चाई जानने के लिए गौतमबुद्ध नगर के गांव अली अहमदपुर उर्फ गढ़ी पहुंचे. यहां अलीगढ़ जिले के थाना पिसावा की पुलिस ने 25 जनवरी को 26 वर्षीय हरीश को उस वक्त उठा लिया जब वे अपने कुछ साथियों के साथ जहांगीरपुर कस्बे में बैठे थे. इसके बाद एक 'हाफ एनकाउंटर' में दिखाकर उसके पैर में गोली मार दी. लेकिन जब पुलिस हरीश को लेकर जा रही थी, तो गांव के तमाम लोगों ने उन्हें देखे जाने का दावा किया. परिजन और गांववालों का आरोप है कि जब पुलिस हरीश को पीटते हुए ले जा रही थी, तब यह घटना 7 से 8 सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई थी. हालांकि, कुछ देर बाद ही दो गाड़ियों में आए पुलिसकर्मी इलाके के सभी सीसीटीवी की डीवीआर अपने साथ ले गए. यहां तक कि पुलिस एक मस्जिद में लगे सीसीटीवी की डीवीआर भी ले गई. जबकि एफआईआर में पुलिस ने कुछ अलग ही कहानी बताई है.

मथुरा निवासी सोमेश गौतम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. बीटेक कर रहे इस छात्र को पुलिस ने 6 सितंबर 2022 की रात मुठभेड़ का हवाला देते हुए गोली मार दी. भले ही पुलिस ने सोमेश को मुठभेड़ में दिखाया हो, लेकिन हमारी पड़ताल में सामने आया कि जब सोमेश को उठाया गया, तब वह दिल्ली के शकरपुर में रह रहे थे. वहीं, जब जेवर पुलिस उन्हें अपने साथ ले जा रही थी, तब यह घटना भी सीसीटीवी में कैद हो गई थी. हालांकि, इस मामले में बाद में इस ऑपरेशन में शामिल रहे 12 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर भी दर्ज हुई.

कुल मिलाकर- तीन जिले, तीन एनकाउंटर और कहानी एक जैसी है. हमारी यह रिपोर्ट पुलिस की इन कार्रवाइयों पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

देखिए यह वीडियो रिपोर्ट –

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