हमने ज़ेन-ज़ी के प्रदर्शनों पर जेएनयू में पढ़ने वाले नेपाली छात्रों से बात की. साथ ही पड़ोसी मुल्क होने के नाते भारत के प्रति उम्मीदों पर भी सवाल पूछे.
नेपाल में 'जेन ज़ी' के प्रदर्शन के बाद सरकार गिर गई है. सेना ने फिलहाल कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले ली है. इससे पहले नेपाल में दो दिनों तक प्रदर्शनों के बीच अचानक से हिंसा भड़क उठी. जिसमें अब तक 34 लोगों की मौत की ख़बर है. साथ ही सैंकड़ों लोगों के घायल होने की जानकारी है.
इस बीच सुलगते नेपाल की तपिश दिल्ली तक महसूस की जा रही है. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पढ़ने वाले नेपाली छात्रों की आंखों में चिंता साफ झलकती है, लेकिन उनके दिलों में एक उम्मीद भी पल रही है. हमने ऐसे ही कुछ नेपाली छात्रों से बात की है. उनसे जाना कि इस मुश्किल वक्त को वो कैसे देख रहे हैं, क्या महसूस कर रहे हैं, साथ ही पड़ोसी मुल्क होने के नाते उन्हें भारत से क्या उम्मीदे हैं.
जेएनयू से अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई कर रही दीक्षा कोइराला कहती हैं, “नेपाल इस वक्ता बहुत बुरे हालात से गुजर रहा है. मीडिया ने सिर्फ सोशल मीडिया बैन की बात कही है जबकि यह प्रदर्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ भी था क्योंकि लोग इससे परेशान हो गए थे. यह प्रदर्शन बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ था लेकिन पीएम ओली ने 30 लोगों को मरवा दिया. इससे नाराज होकर छात्र और ज्यादा भड़क गए.”
इसके अलावा हमने अन्य कई छात्रों से भी बातचीत की. एक सवाल पर छात्र कहते हैं कि हमें नेपाल में राजशाही नहीं चाहिए हम चाहते हैं कि फिर से लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू हो लेकिन उसमें मौजूदा समय के नेता नहीं होने चाहिए बल्कि अच्छे लोगों को देश की कमान मिलनी चाहिए.
देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.