सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम: कारीगरों और कर्मचारियों पर संकट

मालूम हो कि राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालयों के लिए गिफ्टिंग और रेनोवेशन का काम यही एम्पोरियम करता है. वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि उनकी पुकार को सरकार अनसुना कर रही है.

WrittenBy:अवधेश कुमार
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दिल्ली के जनपथ स्थित सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम (सीसीआईई) कभी भारत की कला और कारीगरी का प्रतीक माना जाता था. लेकिन आज यहां हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कर्मचारियों और कारीगरों की आजीविका पर ही संकट खड़ा हो गया है.

करीब 250–300 कर्मचारियों का महीनों से वेतन बकाया है. यूनियन स्टाफ का 4 महीने, ऑफिसर्स का साढ़े छह महीने और कैज़ुअल कर्मचारियों का दो महीने से वेतन रुका हुआ है.न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में एक कर्मचारी ने कहा, “बच्चों की पढ़ाई रुक गई है, इलाज कराने तक के पैसे नहीं हैं. हम सरकारी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन हालत प्राइवेट से भी खराब है.”

मुश्किल केवल यहीं तक सीमित नहीं. सप्लायर्स को भी महीनों से भुगतान नहीं मिला. नतीजा, सप्लाई बंद हो गई और कारीगरों की आमदनी रुक गई. एक सप्लायर ने कहा, “हम पर हजारों आर्टिज़न्स निर्भर हैं. जब हमें पैसा नहीं मिलेगा तो वे भी भूखे मरेंगे. कोर्ट जाना हमारी मजबूरी बन गई है.”

इसका सीधा असर बिक्री पर पड़ा है. जहां पहले रोज़ 15–20 लाख की सेल होती थी, अब पूरा महीना मिलाकर सिर्फ 3 से 4 लाख की बिक्री हो रही है. त्योहारों पर कभी करोड़ों का कारोबार करने वाला शो-रूम अब लगभग खाली पड़ा है. “ग्राहक आते हैं, लेकिन सामान न मिलने से निराश होकर लौट जाते हैं,” एक कर्मचारी ने बताया.

स्थिति इतनी खराब है कि एयर कंडीशनिंग तक बंद कर दिया गया है. कर्मचारियों के मुताबिक, यह लगभग 202 करोड़ रुपये के बकाए की वजह से हुआ.

मालूम हो कि राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालयों के लिए गिफ्टिंग और रेनोवेशन का काम यही एम्पोरियम करता है. लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि उनकी पुकार को सरकार अनसुना कर रही है. यूनियन ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर संबंधित मंत्रालय तक दर्जनों पत्र लिखे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है. 

सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम के संकट पर देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.

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