हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्तेभर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा में इस हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में पेश किए गए विधेयक जिसके ज़रिए सरकार ने संविधान में 130वां संशोधन प्रस्तावित किया और देश के पत्रकारों पर अलग-अलग मामलों में दर्ज एफआईआर को लेकर विस्तार से बात हुई.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार में जारी स्पेशल इंटेसिव रिविज़न में आधार को शामिल करने का आदेश देना, कुत्तों पर अपने फैसले में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीकाकरण करके छोड़ने के आदेश देना, राहुल गांधी द्वारा बिहार में वोट अधिकार यात्रा की शुरुआत करना, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का राहुल गांधी को सात दिनों के भीतर हलफनामा देने या माफी मांगने को कहना, असम पुलिस द्वारा द वायर के संस्थापक संपादक और वरिष्ठ पत्रकार करण थापर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का नामाकंन दाखिल करना आदि ख़बरें भी हफ्ते भर सुर्ख़ियों में रहीं.
इस हफ्ते चर्चा में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष पॉल, वरिष्ठ पत्रकार निरुपमा सुब्रमण्यम और हृदयेश जोशी शामिल हुए. न्यूज़लॉन्ड्री टीम से सह संपादक शार्दूल कात्यायन ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूजलॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल कहते हैं, “सरकार ने जो विधेयक पेश किया है उसमें यह प्रावधान है कि किसी भी अपराध या भ्रष्टाचार के मामले में कोई आरोप मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पर लगता है तो 30 दिन के बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना होगा अन्यथा उन्हें पदच्युक्त मान लिया जाएगा. इस विधेयक के सन्दर्भ में सरकार की नीयत पर विपक्ष हमलावर है और सत्र के आखिरी दिनों में लाना क्या यह अन्य ज़रूरी मुद्दों से भटकना है?”
इस मुद्दे पर संतोष कहते हैं, “कोई भी नेता जब संविधान में संशोधन की बात करता है तो होशियार हो जाना चाहिए.”
सुनिए पूरी चर्चा -
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