धराली और आसपास के इलाकों में तबाही के बाद हालात बदतर हैं. स्थानीय लोगों का अपने रिश्तेदारों से संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, किसी को नहीं पता उनका अपना ज़िंदा है या नहीं.
उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण आपदा के बाद से न्यूज़लॉन्ड्री लगातार ज़मीनी हालात की रिपोर्टिंग कर रहा है. हर्षिल, धराली और गंगोत्री जैसे इलाकों में फोन लाइनें और बिजली पूरी तरह ठप हैं, जिससे स्थानीय लोग कम्युनिकेशन नहीं कर पा रहे हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें अपने रिश्तेदारों की कोई खबर नहीं मिल पा रही है.
हम जब उत्तरकाशी ज़िले के भटवाड़ी ब्लॉक के पास स्थित रैथल गांव पहुंचे, तो वहां हमारी मुलाकात चंद्री देवी से हुई.
चंद्री देवी बताती हैं, “मेरा भतीजा शुभम नेगी, 24–25 साल का था. जब से आपदा आई है, उसका कुछ अता-पता नहीं है. आपदा के बाद से रात को न नींद आती है, न कुछ खा पाते हैं."
वे आगे कहती हैं, “बरसात से हम पहले ही बहुत परेशान थे, लेकिन ये जो तबाही आई है, उसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी. धराली में हमारे जो मकान थे, जो पीढ़ियों से बने थे, सब खत्म हो गया. मेरे दादा–बाबा ने बनवाए थे. चलो मकान चले गए, पर जवान भतीजा भी चला गया. अभी तक न उसके ज़िंदा होने की खबर है, न मरने की. यहां न बिजली है, न खाने का सामान.”
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