हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्तेभर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा में इस हफ्ते पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा पास किए गए धार्मिक ग्रंथों के अपमान से जुड़े विधेयक और बिहार में वोटर लिस्ट रिवीज़न पर रिपोर्टिंग के मामले में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम पर एफआईआर को लेकर विस्तार से बात हुई.
इसके अलावा कांवड़ यात्रा के दौरान जारी सामाजिक ध्रुवीकरण, महाराष्ट्र में पत्रकार स्नेहा बर्वे की रिपोर्टिंग के दौरान की गई बर्बरता से पिटाई, ओडिशा में प्रोफेसर के यौन उत्पीड़न से परेशान होकर आग लगाने वाली छात्रा की मौत, हरियाणा में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की पिता द्वारा गोली मारकर की हत्या, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद के ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी पर की सख़्त टिप्पणी की और श्रीनगर में उमर अब्दुल्लाह को शहीदों के क़ब्रिस्तान पर श्रद्धांजलि देने से रोका गया आदि ख़बरें भी हफ्ते भर सुर्ख़ियों में रहीं.
इस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान स्वतंत्र वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, द कारवां की वरिष्ठ पत्रकार जतिंदर कौर और द रेड माइक के सह संस्थापक सौरभ शुक्ला शामिल हुए. न्यूज़लॉन्ड्री टीम से स्तंभकार आनंद वर्धन और विकास जांगड़ा ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूजलॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया.
पंजाब सरकार द्वारा पास किए गए धार्मिक ग्रंथों के अपमान से जुड़े विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए शार्दूल कहते हैं, “किसी भी आस्था की निंदा करना एक व्यक्तिगत मामला है, सरकार इसका दायरा बढ़ा रही है. अकाली सरकार हो, कांग्रेस सरकार हो या अब आदमी पार्टी की सरकार हो सभी ने यह विधेयक लाने की कोशिश की है. सभ्यता से आलोचना किसी की भी जा सकती है.”
इस मुद्दे पर जतिंदर कहती हैं, “यह अवमानना की राजनीति ही है, यह विधेयक सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब के लिए नहीं है लेकिन यह सबके लिए भी नहीं है. यह मामले जिसमें लोग अति आक्रामक हो रहे हैं, 2015 के बाद से बढ़े हैं.”
सुनिए पूरी चर्चा -
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