हमदर्द की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का मामला है.
पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक बाबा रामदेव ने उस वीडियो को हटाने पर सहमति व्यक्त की है, जिनमें उन्होंने दवा और खाद्य कंपनी हमदर्द और उसके लोकप्रिय पेय रुह अफजा को नाम लिए बिना निशाना बनाने के लिए सांप्रदायिक भाषा का इस्तेमाल किया था.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, 3 अप्रैल को रामदेव ने हमदर्द के शरबत रुह अफ़ज़ा पर कथित तौर निशाना साधा और दावा किया था कि ये कंपनी अपने पैसे का इस्तेमाल मस्जिद और मदरसे बनाने में कर रही है. पतंजलि के नए शरबत का प्रचार करते हुए उन्होंने अपने वीडियो में ‘शरबत जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया था. इसके बाद हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने मंगलवार को मामले की सुनवाई की.
हमदर्द की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस दौरान कहा, “यह एक ऐसा मामला है जो चौंकाने वाला है, जो अपमान से परे है. यह सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का मामला है, जो नफरत फैलाने वाले भाषण जैसा है. इसे मानहानि के कानून से संरक्षण नहीं मिलेगा, इसे एक पल के लिए भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. हमारे देश में पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं.”
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने वीडियो के लिए रामदेव की आलोचना करते हुए कहा कि पतंजलि संस्थापक की टिप्पणी अक्षम्य है और इसने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है. इसके बाद अदालत ने रामदेव से हलफनामा दाखिल कर यह वचन देने को कहा कि वह भविष्य में इस तरह के बयान नहीं देंगे और मामले की सुनवाई 1 मई को तय की गई है.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पिछले हफ़्ते भोपाल में रामदेव के खिलाफ धार्मिक घृणा फैलाने के आरोप में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद रामदेव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने अपने वीडियो में किसी ख़ास ब्रांड का नाम नहीं लिया था.
रामदेव ने कहा था, “मैंने किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन रुह अफज़ा वालों ने अपने ऊपर 'शरबत जिहाद' ले लिया है. इसका मतलब है कि वे यह 'जिहाद' कर रहे हैं."
यह पहली बार नहीं है, जब पतंजलि इस तरह के विवाद में फंसी है. पतंजलि के संस्थापक रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को साक्ष्य-आधारित चिकित्सा के खिलाफ कंपनी के भ्रामक विज्ञापनों के लिए अदालत में फटकार लगाई गई थी. उन्हें अपने उस बयान का भी उल्लंघन करते हुए पाया गया कि वे ऐसे भ्रामक विज्ञापनों का प्रसारण या प्रकाशन नहीं करेंगे.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले बताया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में बहुत से लोगों को दोषी ठहराया जा सकता है. इस बारे में रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
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