फिल्म के जरिए सांप्रदायिक भावनाओं के गुबार को इतनी राजनीति हवा दी गई कि गड़े मुर्दे उखाड़ते- उखाड़ते बात औरंगजेब की कब्र उखाड़ने तक जा पहुंची.
शंभाजी महाराज और आलमगीर औरगंजेब के इस 300 साल से ज्यादा पुराने इतिहास में 2025 की 14 फरवरी यानि वेलेंटाइन डे के दिन छावा नामक फिल्म का तड़का लगा. पर्दे पर उकेरे गए आधे-अधूरे इतिहास और औरंगजेब का क्रूर एक्शन देख लोग भावुक हो रहे थे. इस बीच राजनीतिक गलियारों में इस फिल्म के बहाने अलग ही पटकथा लिखी जा रही थी. नेता एक दूसरे को औरंगजेब का चहेता बता रहे थे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सबके मुंह से छावा का नाम सुनाई दे रहा था. फिल्म के बहाने एक खास वर्ग को निशाने पर लिया जा रहा था.
लेकिन दूसरी तरफ जनता में संभाजी को धोखा देने वाले उनके रिश्तेदारों को लेकर बात होने लगी तो सपा सांसद अबू आजमी के एक बयान ने पूरे मामले को इतनी राजनीतिक हवा दी कि गड़े मुर्दे उखाड़ते- उखाड़ते बात औरंगजेब की कब्र उखाड़ने तक जा पहुंची. कैसे शुरू हुआ ये पूरा मामला और कौन कर रहा था इस फिल्म के बहाने ध्रुवीकरण की कोशिश जानने के लिए देखिए सारांश का ये अंक.