दिल्ली: यमुना का सिकुड़ता फ्लडप्लेन और तबाही की इबारत लिखती सरकारें

यमुना फ्लडप्लेन पर साल दर साल बढ़ते अतिक्रमण के कारण यमुना की बाढ़ को समाहित करने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है. इसका नतीजा भविष्य के लिए भयावह हो सकता है.

WrittenBy:अनमोल प्रितम
Date:
   

11 जुलाई को दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 1978 में बने सर्वकालिक को तोड़ते हुए 208.66 मीटर तक पहुंच गया. इसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई और यमुना का पानी लाल किला, सुप्रीम कोर्ट, आइटीओ, रिंग रोड और सिविल लाइंस तक पहुंच गया. यहां तक कि यमुना खादर में बसे सभी इलाके जलमग्न हो गए और इसके चलते करीब 25 हजार लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट करना पड़ा.

आम आदमी पार्टी ने इस बाढ़ के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि हरियाणा ने हथिनीकुंड बैराज से 11 जुलाई को दो घंटे के लिए 3.6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया था. वहीं भाजपा की तरफ से बाढ़ के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया. 

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या दिल्ली में बाढ़ के लिए अकेले हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी जिम्मेदार है? जवाब है नहीं.

विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना की बाढ़ के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार दिल्ली में यमुना के फ्लडप्लेन पर बढ़ता अतिक्रमण है. यमुना फ्लडप्लेन पर साल दर साल बढ़ते अतिक्रमण के कारण यमुना की बाढ़ को समाहित करने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है.

यमुना पर एक दशक से काम कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फैयाज अहमद के मुताबिक, "फ्लडप्लेन किसी नदी के जीवित रहने के लिए जरूरी हिस्सा है. साधारण भाषा में कहें तो यह नदी के खेलने का मैदान होता है. यह वह क्षेत्र होता है जिसमें नदी बाढ़ के दौरान फैलती है. लेकिन अगर इस हिस्से पर अतिक्रमण हो जाए तो नदी फैलने के बजाय ऊपर चढ़ेगी और जलस्तर बढ़ेगा जिसका नतीजा तबाही के रूप में सामने आएगा जैसे दिल्ली में हुआ."

आंकड़ों के मुताबिक वजीराबाद बैराज जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है, से लेकर ओखला बैराज जहां से यमुना दिल्ली से निकलती है के बीच यमुना की लंबाई 22 किलोमीटर है. इस 22 किलोमीटर के दायरे में यमुना का अधिकारिक फ्लडप्लेन 9700 हेक्टेयर है. इसमें से ज्यादातर हिस्से पर स्थाई स्ट्रक्चर बन चुके हैं. 

यमुना के कुल फ्लडप्लेन 9700 हेक्टेयर में सें लगभग 3638 वो है जो कि दिल्ली विकास प्राधिकरण द्रारा रेगुलेट किया जाता है. डीडीए द्वारा रेगुलेटेड 3638 हेक्टेयर फ्लडप्लेन में से, 1000 हेक्टेयर फ्लडप्लेन पर स्थाई स्ट्रक्चर बन चुके हैं. जिनमें अक्षरधाम मंदिर करीब 100 हेक्टेयर पर, खेल गांव 63.5 हेक्टेयर पर, यमुना बैंक मेट्रो डिपो 40 हैक्टेयर पर, शास्त्री पार्क मेट्रो डिपो 70 हेक्टेयर पर और बाकी क्षेत्र में आईटी पार्क, दिल्ली सचिवालय, मजनू का टीला और अबु फजल एनक्लेव जैसे बड़े अतिक्रमण हैं.

इसके अलावा जुलाई 2022 में वन विभाग और डीडीए के बीच हुए एक ई मेल एक्सचेंज से यह पता चलता है कि साल 2009 से लेकर 2022 के बीच यमुना के 2480 हेक्टेयर फ्लडप्लेन पर अतिक्रमण हो चुका है. इसके अलावा वजीराबाद और ओखला के बीच यमुना पर कुल 22 पुल बन चुके हैं और चार निर्माणधीन हैं. 

इस वीडियो रिपोर्ट में हमने वजीराबाद से लेकर ओखला तक यमुना के फ्लडप्लेन पर अतिक्रमण वाली जगहों का दौरा किया और विशेषज्ञों के माध्यम से समझने की कोशिश की, कि कैसे साल दर साल सरकारें यमुना विनाश और दिल्ली के तबाही की इबारत लिख रही हैं.

देखें पूरा वीडियो-

Also see
article imageगाजियाबाद: बाढ़ में डूबे घर और रोते- बिलखते सरकारी मदद का इंतजार कर रहे पीड़ित
article imageदिल्ली यमुना बाढ़: 'हमारा सामान दिला दो हम दिल्ली छोड़कर वापस अपने गांव चले जाएंगे'

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like