7 अक्टूबर से गाजा में अब तक कम से कम 15,500 लोग मारे गए हैं.
7 अक्टूबर से चल रहे इज़रायल-हमास के बीच संघर्ष में अब तक कम से कम 63 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. सात दिनों के "संघर्ष विराम" के बाद पिछले हफ्ते इज़रायल द्वारा गाजा पर फिर से बमबारी शुरू करने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गई है. कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की रिपोर्ट के अनुसार, 1 दिसंबर से अब तक कम से कम पांच पत्रकार मारे गए हैं.
सीपीजे के मुताबिक, अभी तक मारे गए कुल 63 पत्रकारों में से 56 फिलिस्तीनी और चार इज़रायली हैं. वहीं, तीन लेबनान से हैं.
1 दिसंबर को तीन पत्रकार मारे गए, जिस दिन इज़रायल ने अपना हमला फिर से शुरू किया. उस दिन अल-अक्सा टीवी के कैमरामैन अब्दुल्ला दरवेश, अनादोलु एजेंसी के कैमरापर्सन मोंटेसेर अल-सवाफ और गाजा के एक फिलिस्तीनी स्वतंत्र पत्रकार और अल-अक्सा विश्वविद्यालयों में मीडिया प्रोफेसर अदहम हसौना मारे गए.
3 दिसंबर को अल-कुद्स टीवी के पत्रकार हसन फरजल्लाह और अल-मजेदत के साथ काम करने वाली शाइमा अल-गज्जर गाजा पट्टी में इजरायली बमबारी में मारे गए. दोनों पत्रकारों के परिवार वालों की भी हत्या कर दी गई.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने 1 दिसंबर को एक और मौत की गिनती की. फोटो जर्नलिस्ट अला अल-सरराज, जो कथित तौर पर इजरायली हवाई हमले में मारा गया.
सीपीजे ने कहा कि 11 पत्रकारों के घायल, तीन के लापता और 19 पत्रकारों को गिरफ्तार किये जाने की भी सूचना है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इससे पहले भी रिपोर्ट दी थी कि संघर्ष में मारे गए कई पत्रकार काम पर थे, और दुनिया भर के दर्शकों को युद्ध की भयावहता से अवगत कराने की कोशिश कर रहे थे. तीन बच्चों की मां से लेकर अपनी "सहानुभूति" के लिए जाने जाने वाले पत्रकार तक, इन पत्रकारों ने भी कैमरे से दूर जीवन जीया. इसके बारे में सब कुछ यहां पढ़ सकते हैं.