फरीदाबाद स्मार्ट सिटी का सूरत-ए-हाल: करोड़ों खर्च का दावा पर जमीनी हकीकत खस्ताहाल

न्यूज़लॉन्ड्री ने फरीदाबाद स्मार्ट सिटी में हुए कामों से जुड़े कागजात विधानसभा और आरटीआई से हासिल किए. जब हम पड़ताल करने निकले तो सामने आया कि विकास कागजों पर ज्यादा और धरातल पर कम दिखता है. 

WrittenBy:बसंत कुमार
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सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 100 स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की.  कुछ अंतराल के बाद इन शहरों के नाम घोषित होते थे. जिन शहरों के नाम इसमें आ गए वहां के लोग खुशी से झूम रहे थे. अख़बारों में खबरें छपती थी, जिसमें भविष्य की तस्वीरें दिखाई जाती थी. 

ऐसे ही साल 2015 में मोदी सरकार ने फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी घोषित किया. यहां के अख़बारों में भी दनादन खबरें छपी. जिसमें बताया कि इस योजना के तहत शहर में क्या-क्या काम होंगे. तकरीबन 9 साल गुजर जाने के बाद स्मार्ट सिटी में हुए विकास की सच्चाई जानने के लिए हमने दस्तावेज इकठ्ठा किए और इसकी पड़ताल के लिए फरीदाबाद पहुंचे. 

अगस्त 2022 में विधानसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए हरियाणा के मंत्री डॉक्टर कमल गुप्ता ने बताया था कि शहर में तीन पार्क स्मार्ट सिटी के तहत बन रहे हैं. इन पार्कों के नाम- विवेकानंद पार्क, जिसे 4 करोड़ 7 लाख खर्च कर बनाया जा रहा है, जो 30 अप्रैल 2023 तक पूरा हो जाएगा. दूसरा, स्मार्ट सिटी पार्क, सेक्टर 21B, में अनुमानित राशि 3 करोड़ 42 लाख की लागत से बन रहा ये पार्क 30 सितंबर 2022 तक बन जाएगा. तीसरा छत्रपति शिवजी पार्क भी सेक्टर 21 B में ही है, उसे एक करोड़ 18 लाख की लागत से 30 अप्रैल 2023 तक बनकर तैयार होना था.  

सबसे पहले हम पहुंचे विवेकानंद पार्क. इस पार्क में विवेकानद की एक मूर्ति लगी हुई है. जिसके चारों तरफ अब घास ऊग आया है. पार्क के आधे हिस्से में पानी भरा हुआ है तो आधे में गाये और दूसरे आवारा पशु घूमते नजर आते हैं. पार्क की हालत यह है कि इसमें पांच मिनट बैठना दूभर है.

पार्क की गेट पर ही राशन की एक दुकान है. उसे कोलकता के रहने वाले एक शख्स चलाते हैं. वो कहते हैं, ‘‘यहां विवेकानद जी की मूर्ति लगा दी है. कोई पूछने तक नहीं जाता है. जब से लगाए हैं तब से इसी हाल में है. सम्मान देने की बजाय उनका अपमान हो रहा है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है.’’

हमने बताया कि चार करोड़ खर्च कर इस पार्क को बनाया गया है तो वो कहते हैं, “पास में ही एक ‘अंडर पास’ है. थोड़ी सी बारिश के बाद वो भर जाता है. उसका पानी मोटर से खींचकर पार्क में डाल दिया जाता है. गन्दा पानी पार्क में डाला जाता है. ऐसे में कौन बैठेगा. इसे पार्क कहना ‘पार्क’ की बेइज्जती है.”

इसके बाद हम स्मार्ट सिटी पार्क पहुंचे. जो विवेकानंद पार्क से तक़रीबन एक किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से जिस रास्ते से होकर हम पार्क पहुंचे वो स्मार्ट सिटी रोड है. जगह-जगह लगे बिजली के खंभों पर स्मार्ट सिटी लिखा हुआ है. थोड़ी देर पहले ही बारिश हुई थी, जिस कारण सड़क पर लबालब पानी भरा हुआ था.

स्मार्ट सिटी पार्क में पहुंचते ही लगता है कि यह कभी सुन्दर रहा होगा लेकिन देखभाल की कमी के कारण खस्ताहाल हो गया है. यहां लाखों खर्च कर दो शौचालय बनवाये गए पास के ही रहने वाले बुजुर्ग कहते हैं, ‘‘बेटा इसका किसी ने कभी इस्तेमाल नहीं किया है. अगर मैं गलत हुआ तो मुझे फांसी दे देना. इस पार्क को बनाने में लूट हुई है. यहां बैठने लायक नहीं है.’’ 

तीसरे पार्क का भी यही हाल है.  इन पार्कों हाल देखने के बाद हम उन दो गांवों में पहुंचे जिनमें स्मार्ट सिटी के तहत काम होना था. ये गांव हैं- फतेहपुर चंदेला और संत नगर है. यह दोनों सेक्टर 21 B के पास ही हैं. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, यहां 95 प्रतिशत से ज़्यादा विकास के काम हो चुके है. 

लेकिन दोनों ही गांवों में न जाने की सड़क है और न ही पीने का पानी. यहां खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि पानी की निकासी नहीं होने के कारण जगह-जगह पानी भरा हुआ नजर आता है. फतेहपुर चंदेला, एक गुर्जर बाहुल्य गांव है. यहां के लोग बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को वोट करते है. विकास को लेकर जब भी यहां के लोगों ने नेताओं से बात की तो उन्हें कोरा आश्वासन ही मिला. 

यहां हमें एक दिलचस्प जानकारी मिलती है. दरअसल, फतेहपुर चंदेला में स्मार्ट सिटी के तहत सामुदायिक भवन का सौंदर्यीकरण कराया गया है. टाइल्स लगाए गए और बाउंड्री वॉल पर ग्रिल्स लगाए गए. उसी दौरान इसके पुराने लोहे के गेट को तोड़ दिया गया. गांव वालों का कहना है कि स्मार्ट सिटी वाले उस गेट को यह कह कर ले गए कि हम नया लगवाएंगे लेकिन तीन साल गुजर गए अब तक गेट नहीं लगा है.  

फरीदाबाद स्मार्ट सिटी के तहत कई सड़कों का निर्माण होना था. यहां घूमते हुए हमें ज़्यादातर सड़कें बदहाल ही नजर आती हैं लेकिन एक सड़क बेहद सुन्दर तरीके से बनाई गई है. वहीं, एक दूसरी सड़क है, जिसका चौड़ीकरण हुआ है. दोनों सड़कों की खासियत यह है इसमें से एक केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर तो दूसरी हरियाणा सरकार में मंत्री रहीं सीमा त्रिखा के घर की ओर जाती हैं.  

दस्तावेजों की मानें तो फ़रवरी 2024 तक फरीदाबाद स्मार्ट सिटी को केंद्र और राज्य सरकार से 833 करोड़ रुपये मिले हैं. जिसमें से 822 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. उसके पास 10 करोड़ रुपये बचे हुए हैं.  

इस वक्त हरियाणा में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है. कोई कह रहा कांग्रेस की लहर है तो कोई कह रहा कि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आएगी. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी बीच न्यूज़लॉन्ड्री की टीम हरियाणा से विशेष रिपोर्ट आप तक ला रही है. हरियाणा में भ्रष्टाचार के बाद फरीदाबाद स्मार्ट सिटी को लेकर हमने रिपोर्ट की है.

देखिए हमारी ये वीडियो रिपोर्ट. 

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