हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
इस हफ्ते असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नई डिजिटल मीडिया नीति 2024 को मंजूरी और केंद्र सरकार द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम को पास करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई.
इसके अलावा इस हफ्ते, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा अडानी ग्रुप की थर्मल प्लांट से अवैध कोयला बिजली घर वन भूमि पर बनाने के लिए जवाब देने के लिए कहना, महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग जिले में शिवाजी की 35 फीट ऊंची मूर्ती का भारी बारिश में टूट कर गिरना, केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख के लिए चार नए जिलों की घोषणा करना, चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की 17 सदस्यों वाली एक एग्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्यों ने यौन शोषण के बढ़ते आरोपों को देखते हुए पद से इस्तीफा देना, बंगाल में कोलकाता रेप मर्डर केस मामले में पुलिस और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी होना और दिल्ली मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारतीय राष्ट्रीय समिति की नेता के कविता का रिहा होना जैसी खबरें प्रमुख रहीं.
इस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान द वायर की नेशनल अफेयर एडिटर संगीता बरुआ, डॉक्टर मेडुसा, न्यूज़लॉन्ड्री टीम से वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल कहते हैं, “ उत्तर प्रदेश सरकार ने नई डिजिटल मीडिया नीति के तहत उत्तर प्रदेश में और उसके बाहर संचालित होने वाले विभिन्न मीडिया हैंडल जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब इत्यादि के लिए एक मानक तय किया है, जिसका उद्देश्य एक तरह से सरकार का प्रचार-प्रसार करना है. इस काम के लिए 2 लाख से लेकर 8 लाख का भुगतान सरकार की तरफ से किया जाएगा इस नीति का प्रभाव होगा?”
इस सवाल के जवाब में हृदयेश कहते हैं, “पत्रकारों को प्रलोभन देना कोई नई बात नहीं है. इसे पीत पत्रकारिता कहा जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले में जो सबसे बड़ी समस्या है वो ये है कि सरकार इस काम के बदले में पैसे देने की बात कर रही है और दूसरा ये कि कुछ गलत होने पर करवाई करने की बात जो ज्यादा खतरनाक है.”
सुनिए पूरी चर्चा -
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