आरोप है कि जेल में रुपयों के बदले कुछ कैदियों को वीआईपी सुविधाएं मिल रही हैं तो कुछ को अधपका और जरूरत से कम खाना मिल रहा है.
आप सोचेंगे कि जेलों में कैदी सज़ा काटते हैं, उनके चरित्र में सुधार का काम होता है, उन्हें आज़ाद जिंदगी की तमाम सुविधाओं से महरूम रखा जाता है, ताकि वो उन तमाम असमाजिक गतिविधियों और अपराधों से दूर रहे, जिनके अपराध में उन्हें जेल में डाला गया है. लेकिन पुणे की तलोजा सेंट्रल जेल में ऐसा नहीं हो रहा है. यहां भ्रष्टाचार के साथ-साथ जेल में नई ‘वर्ण व्यवस्था’ लागू हो गई है. इसकी शिकायत यहां बंद विचारधीन कैदी सुरेंद्र गडलिंग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को की है. अपनी शिकायत में उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया है कि जेल में कैदियों के साथ दोहरा व्यवहार हो रहा है. यहां कुछ कैदी रुपये देकर वो सारी सुविधाएं हासिल कर सकते हैं, जो अमूमन आज़ाद जिंदगी में उपलब्ध होती हैं.
आरोप है कि जेलर ने तलोजा जेल में कैदियों को दो हिस्सों में बांट दिया है. जहां पैसे के बदले कुछ कैदियों को वीआईपी सुविधाएं मिल रही हैं तो कुछ को अधपका और जरूरत से कम खाना मिल रहा है.
फिलहाल तो सुरेंद्र के बेटे इस मामले को हाइकोर्ट ले जाने की बात कह रहे हैं ताकि इसकी ठीक से जांच हो सके. पढ़िए जेल की नई ‘वर्ण व्यवस्था पर प्रतीक गोयल की ये रिपोर्ट.