दिल्ली: मकान मालिकों और ब्रोकर का नेक्सस तोड़ रहा यूपीएससी छात्रों का सपना?

बीते 21 जुलाई को सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही अंजलि ने खुदकुशी कर ली. अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा, “मकान मालिक और ब्रोकर छात्रों को लूट रहे हैं.”

WrittenBy:अनमोल प्रितम
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इन छोटे से कमरों में ना वेंटिलेशन होता है और ना खास सुविधाएं. लेकिन किराया 12 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह होता है.

“मम्मी- पापा, मुझे माफ कर देना. मै अब सचमुच जिंदगी से हार चुकी हूं. यहां सिर्फ समस्याएं और मुद्दे हैं, सुकून नहीं. मुझे सुकून चाहिए. मैंने इस सो कॉल्ड डिप्रेशन से निकलने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन मैं इससे निकल नहीं पा रही हूं. डॉक्टर के पास भी गई लेकिन फिर भी मेरी मानसिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. मेरा एकमात्र सपना था यूपीएससी को पहले प्रयास में पास करना और इसी वजह से मैं इतनी अस्थिर हूं. आप दोनों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया लेकिन मैं तब तक ठीक नहीं हो सकती जब तक मैं खुद की मदद ना करूं और अब मैं बहुत ही असहाय महसूस कर रही हूं. बस अब मैं खुशी से जाना (दुनिया छोड़ कर) चाहती हूं और शांति में रहना चाहती हूं.”

अंजलि आगे लिखती हैं, “मरने के बाद मेरे शरीर के अंगों को किसी जरूरतमंद को दान कर देना जो जीना चाहता हो. सरकार से निवेदन है कृपया सरकारी परीक्षाओं में धोखाधड़ी को कम करें और रोजगार सृजन करें. बहुत से युवाओं को नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. पीजी और हॉस्टल के किराए भी कम किए जाने चाहिए, ये लोग बस छात्रों से पैसे लूट रहे हैं. हर छात्र इसे अफोर्ड नहीं कर सकता.”

सिविल सेवा अभ्यर्थी अंजलि गोपनारायण के तीन पेज के सुसाइड नोट के ये कुछ अंश हैं. मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला जिले की रहने वाली अंजलि दिल्ली के यूपीएससी हब यानि ओल्ड राजेंद्र नगर में 2 साल से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी. लेकिन बीते 21 जुलाई को उन्होंने अपने पीजी के कमरे में पंखे से फंदा लगाकर जान दे दी. अपने तीन पन्नों के सुसाइड नोट में अंजलि ने यूपीएससी में असफलता, देश में बढ़ती बेरोजगारी, सरकारी परीक्षाओं में होती धोखाधड़ी और ओल्ड राजेंद्र नगर में पीजी एवं हॉस्टल मालिकों द्वारा छात्रों से 'पैसे लूटने' का जिक्र किया है.

अंजलि ओल्ड राजेंद्र नगर के ब्लॉक वन में रहती थी. उनके पीजी से थोड़ी ही दूर पर उनके दोस्त विशाल शिंदे भी रहते हैं. विशाल भी महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. विशाल बताते हैं, “21 जुलाई को मैंने शोर सुना कि बगल के किसी पीजी में एक लड़की ने सुसाइड कर लिया है. जब मैं नजदीक गया तो मैंने देखा कि यह तो अंजलि की पीजी हैं. वहां पर दिल्ली पुलिस, अंजलि के पिता अनिल गोपनारायण और मामा पहले से मौजूद थे. जब मैं अंजलि के कमरे में गया तो मैंने देखा कि जिस पंखे से लटक कर उसने जान दी थी, वह टेढ़ा हो गया था.”

अंजलि की एक और दोस्त जो उसी पीजी में रहती थी, वह बताती हैं, "अंजलि जिस तरह के मानसिक प्रेशर से गुजर रही थी, उस तरह का मानसिक प्रेशर यहां के बहुत सारे छात्रों पर रहता है. दरअसल, जब यहां पर एक दो साल तक तैयारी कर लेते हैं, फिर भी सिलेक्शन नहीं होता है तो हमें खुद एक तरह का गिल्ट होने लगता है कि घरवालों से हम पैसे भी मंगा रहे हैं और सिलेक्शन भी नहीं हो रहा है. इसलिए हम कम से कम खर्च में एडजस्ट करने लगते हैं. अंजलि भी यही कर रही थी. वह 8X6 के एक छोटे से कमरे में रहती थी, उसका किराया 15 हजार 500 रुपये था. लेकिन मकान मालकिन ने अभी चार-पांच दिन पहले रेंट बढ़ाकर 18 हजार रुपये कर दिया और बोला कि अगर आप 18 हजार रुपये नहीं दे सकती तो रूम खाली कर देना. इस वजह से भी वह काफी परेशान हो गई थी.”

अंजलि के पिता अनिल गोपनारायण महाराष्ट्र पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात हैं. वह बताते हैं कि अंजलि बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी और वह कभी भी किसी क्लास में फेल नहीं हुई थी. उसने अकोला यूनिवर्सिटी से बीएससी कंप्लीट करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लिया. जून, 2022 में वह खुद अंजलि के साथ ओल्ड राजेंद्र नगर में आए थे. 

वह आगे कहते हैं “अंजलि रोज दिन में तीन-चार बार अपनी मां से फोन पर बात करती थी. लेकिन 21 जुलाई को उसने एक बार भी फोन नहीं किया और ना ही मां के फोन का जवाब दिया. जब शाम तक अंजलि ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने अंजलि के भाई को फोन किया. फिर उसने पीजी के गार्ड को फोन किया. जब गार्ड कमरे में गया तो उसने देखा कि अंजलि अपनी चुन्नी का फंदा लगाकर पंखे से लटकी हुई. तब मैं फौरन दिल्ली आ गया.” पोस्टमॉर्टम के बाद अंजलि का शव उनके परिवारवालों को सौंप दिया गया. हालांकि, परिवार ने इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.

मकान मालिकों द्वारा किराया बढ़ाए जाने को लेकर अंजलि के पिता कहते हैं, “यहां (दिल्ली में) दलालों और मकान मालिकों ने बाहर से आ रहे छात्रों को लूटने की सारी हदें पार कर दी हैं. जब मैंने अंजलि को कमरा दिलाया था तो मुझे एक महीने के रेंट के साथ डिपॉजिट और 21 दिन के रेंट का हिस्सा ब्रोकर को देना पड़ा था. इसके बाद ब्रोकर ने 20 मिनट में हमें कमरा दिला दिया था. 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट होता है लेकिन फिर भी यह लोग 6 महीने के भीतर ही किराया बढ़ा देते हैं और अगर किराया ना दो तो रूम खाली करने को बोल देते हैं ताकि नए किराएदार से ब्रोकरेज और डिपाजिट वसूला जा सके.”

हमने अंजलि की मकान मालकिन हिना भाटिया से संपर्क किया लेकिन उन्होंने हमसे बात करने से इनकार कर दिया.

हजारों छात्र परेशान

गौरतलब है कि राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत हो जाने के बाद से राजेंद्र नगर पहले से ही काफी चर्चा में है. 27 जुलाई से ही छात्र सेंटर के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि कोचिंग संस्थानों, पीजी और हॉस्टल को सरकार रेगुलराइज करे ताकि इनकी मनमानी की वजह से किसी और छात्र की मौत ना हो. दिल्ली सरकार ने कोचिंग संस्थानों और उससे जुड़े बाकी उपक्रमों को रेगुलेट करने का फैसला लिया है, जिसके लिए उन्होंने छात्रों से प्रतिनिधि भी मांगे हैं. 

एस्पिरेंट रिफॉर्म कमेटी के कोऑर्डिनेटर राजा ने बताया कि 10-10 लोगों की एक टीम कोचिंग संस्थानों के रेगुलेशन पर सरकार से बात करेगी. वहीं, दूसरी टीम पीजी और हॉस्टल के किराये के रेगुलेशन पर सरकार के सामने छात्रों का पक्ष रखेगी. 

इंटरनल सर्वे में सामने आई छात्रों की परेशानी

वहीं, कुछ अभ्यर्थियों ने राजेंद्र नगर, करोल बाग और पटेल नगर में मकान मालिकों और ब्रोकरों से परेशान छात्रों की समस्याएं जानने के लिए एक इंटरनल सर्वे किया. इसमें 400 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे का खाका ओल्ड राजेंद्र नगर में रहने वाले यूपीएससी एस्पिरेंट शुभम और पोर्शिया द्वारा तैयार किया गया. शुभम झारखंड के रहने वाले हैं जबकि पोर्शिया हिमाचल से आती हैं. 

शुभम ने हमें बताया, “राव आईएएस में मौत के बाद से कोचिंग सेंटरों की मनमानी के बारे में चर्चा हो रही है लेकिन यहां के हॉस्टल और पीजी के बारे में कोई बात नहीं कर रहा जबकि छात्र हॉस्टल और पीजी से ज्यादा प्रताड़ित हैं. यहां पर कोई रेंट रेगुलेशन नहीं है, मकान मालिक का जब मन करता है रेंट बढ़ा देता है और अगर हम असहमत होते हैं तो सीधे बोल दिया जाता है कि रूम खाली कर दो. 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट होता है लेकिन 6 महीने बीतते ही मकान मालिक किराया बढ़ा देते हैं. कई बार तो हमारा सिक्योरिटी डिपॉजिट भी वापस नहीं करते. कहते हैं कि तुम तो 6 महीने में ही खाली कर रहे हो.”

वह आगे कहते हैं, “हमारे पास कमरा या पीजी छोड़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता क्योंकि यहां पर कोई ऐसी रेगुलेटरी बॉडी नहीं है, जिसके पास हम शिकायत लेकर जाएं. फिर जब हम खाली करके नया रूम ढूंढते हैं तो हमें फिर से सिक्योरिटी डिपॉजिट और ब्रोकरेज देना होता है यानि किराए का लगभग तीन गुना देना पड़ता है.”

पोर्शिया बताती हैं, “यह लोग हमें इंसान ही नहीं समझते. हम लोग अपना घर छोड़कर यहां पढ़ने आते हैं लेकिन यह लोग हमें पढ़ने लायक माहौल भी नहीं देते. अगर पीजी में कुछ खराब हो जाए जैसे पंखा, एसी या किचन से संबंधित कोई समस्या हो तो यह लोग उसे ठीक नहीं करवाते. शिकायत करने पर बोलते हैं कि या तो खुद से ठीक करवा लो या फिर रूम खाली कर दो.”

“वरना खाली कर दो” चार शब्दों का यह वाक्य ओल्ड राजेंद्र नगर में मकान मालिकों की तरफ से छात्रों की हर शिकायत का जवाब होता है. 

हमने अपनी पड़ताल में पाया कि पटेल नगर में कई जगहों पर बेसमेंट में पीजी चल रहे हैं. यहां तक कि कई जगह पर सीढ़ियों के नीचे के हिस्से को कमरे में तब्दील कर दिया गया है. 8X6 के इन कमरों में ना किसी तरह का वेंटिलेशन होता है और ना ही कोई खास सुविधाएं. लेकिन इनका किराया बारह से 15 हजार रुपये प्रतिमाह होता है.

इस सर्वे में जिन 400 स्टूडेंट्स ने शिकायत दर्ज कराई है. उनमें से 150 शिकायत ऐसी हैं, जिसमें मकान मालिक ने सिक्योरिटी वापस नहीं की. इन 400 छात्रों में से हमने कुछ से बात की है. 

बिहार की रहने वाली प्रज्ञा मिश्रा पिछले ढाई साल से ओल्ड राजेंद्र नगर में रह रही हैं. एक साल पहले उनके पुराने मकान मालिक ने अचानक से किराया 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये कर दिया. जिसकी वजह से उन्हें अपना कमरा छोड़ना पड़ा. उन्हें 12 हजार में और कहीं कमरा नहीं मिल रहा था तो बेसमेंट में एक कमरा लिया. जिसके लिए उन्होंने 12 हजार किराये सहित 12 हजार सिक्योरिटी डिपॉजिट दिया. साथ ही ब्रोकर को भी 8 हजार रुपये दिए. लेकिन वहां शिफ्ट होने के बाद उन्हें पता चला कि कमरे में वेंटिलेशन और सीलन की समस्या है. जिसकी वजह से उनका दम घुटता था और वहां पर ना सो पाती थी, ना ही पढ़ पाती थी. उन्होंने यह समस्या अपने मकान मालिक और ब्रोकर को बताई. सिक्योरिटी और ब्रोकरेज वापस करने की मांग रखी लेकिन उन्हें इनमें से कुछ भी नहीं मिला.

वहीं, झारखंड की रहने वाली अर्चना कुछ अलग ही कहानी बताती हैं. वह 2 महीने पहले ही झारखंड से ओल्ड राजेंद्र नगर यूपीएससी की तैयारी करने आई है. उन्होंने 14 हजार रुपये किराया और 22 हजार रुपये सिक्योरिटी एवं ब्रोकरेज देने के बाद 8X8 का एक सिंगल सिटिंग कमरा लिया. यहां वह पिछले दो महीने से रह रही थी. लेकिन हाल ही में राव आईएएस वाली घटना के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट में चलने वाले पीजी हॉस्टल और लाइब्रेरी को सील कर दिया गया. इसके बाद उनके पीजी में बेसमेंट में रहने वालों को ऊपर फ्लोर में शिफ्ट कर दिया गया. इनका कमरा जो पहले सिंगल ऑक्यूपाइड था, उसमें अब 3X6 के दो बेड लगा दिए गए. रेंट भी 24 हजार रुपये (12 हजार रुपये प्रति बेड) कर दिया गया है. जब अर्चना ने एतराज जताया तो उनसे कहा गया कि आपको रहना है तो रहो वरना रूम खाली कर दो.”

अर्चना कहती हैं, “अभी 2 महीने ही हुए हैं मैं कैसे घर पर बोलूं कि और पैसा भेजो ताकि मैं फिर से किसी को ब्रोकरेज दूं और नया कमरा लूं. इसलिए मजबूरी में वहीं रह रही हूं.”

वहीं, दूसरी तरफ ओल्ड राजेंद्र नगर में छात्रों का प्रदर्शन अभी भी जारी है. जिनकी मांग है कि मृतक परिवारों को 5 करोड़ रूपया मुआवजा दिया जाए. कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट किया जाए. इसके अलावा उनकी मांग है कि इस क्षेत्र में किराए के कमरों के किराए पर एक कानूनी प्राइस कैप लगाया जाए. ब्रोकरेज सिस्टम को खत्म करके एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जाए, जहां से लैंडलॉर्ड और स्टूडेंट सीधे तौर पर बातचीत कर सकें और कमरे किराए पर ले सकें. इसके अलावा ज्यादातर छात्रों की शिकायत सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस न मिलने की है. इसलिए सिक्योरिटी डिपॉजिट के लिए भी नियम बनाए जाएं.

नियम हैं लेकिन छात्रों को जानकारी नहीं

हमारी पड़ताल में ये भी सामने आया कि दिल्ली में किराये, किरायेदारों और मकान मालिकों को लेकर नियम बने हुए हैं. दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम (रेंट कंट्रोल एक्ट) में समय समय पर संशोधन भी हुआ है. यह एक्ट दिल्ली के मकान मालिकों और किराएदारों के बीच सामंजस्य बैठाने और दोनों के अधिकारों की रक्षा के लिए बना है. लेकिन संभवतः या तो छात्रों को इसकी जानकारी नहीं है या वे इसके रास्ते जाना नहीं चाहते, यही वजह है कि वह इस तरह की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं.

हमने छात्रों के आरोपों को लेकर ओल्ड राजेंद्र नगर के कई ब्रोकर और मकान मालिकों से बात करने की कोशिश की लेकिन इनमें से कोई भी हमसे बात करने को तैयार नहीं हुआ.

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